भदोही। गोपीगंज क्षेत्र के बीसा में चल रहे रामलीला कें पांचवे दिन राम वन गमन व दशरथ मरण का बडा ही मार्मिक मंचन किया गया। रामलीला में मंचन किया गया कि पूरे अयोध्या में राम के राज्याभिषेक की तैयारी हो रही है। पूरी अयोध्या के गली गली को फूलों, दीप मालाओ से सजाया गया था। हर जगह पूरा माहौल खुशनुमा था लोग राम के राज्याभिषेक की चर्चा कर रहे है। और तैयारी में जुटे है। लेकिन इसी बीच स्वर्ग में देवताओं को राम के राज्याभिषेक की खबर अच्छी न लगी क्योकि यदि राम अयोध्या में राजा बन जाते है तो रावण जैसे राक्षसों के संहार की योजना बाधित होगी। इसीलिए देवताओं ने माता सरस्वती का आह्वान किया और कुछ करने का निवेदन किया।
मां सरस्वती ने कैकयी की दासी मंथरा की मति को उल्टा कर दिया और मंथरा जाकर कैकयी को राम को राजा बनने के खिलाफ तैयार करने लगी। शुरू में तो कैकयी ने मंथरा की बात न मानी लेकिन कई तर्क व उदाहरण देकर कैकयी को राम को राजा बनने के खिलाफ तैयार किया। और उसकी तरकीब कामयाब हो गई। मंथरा ने कैकयी को बताया कि राजा दशरथ ने उसे दो वरदान देने को कहा है। अब यही समय है कि एक राम को वन तथा दूसरे वरदान के रूप में भरत को राजा बनाने का वरदान मांगे। ठीक मंथरा की बात को सुनकर कैकयी अपने भवन में गुस्सा करके बैठ गई। इसकी खबर जब राजा दशरथ को हुई तो कैकयी से उनकी नाराजगी का कारण बताया लेकिन काफी पूछे जाने और शपथ खाने के बाद राजा दशरथ से कैकयी ने अपने दोनों वरदान मांग लिऐ। कैकयी के वरदान के बाद राजा दशरथ जमीन पर गिर पडे और राम से मिलने की इच्छा जाहिर की।
मंत्री सुमन्त जाकर राम को दशरथ के पास ले गये। भगवान राम ने पिता से कारण पूछा और सहज रूप से वन जाने को तैयार हो गये। धीरे-धीरे यह खबर पूरे अयोध्या में फैल गई। और हर जगह खुशी भरा माहौल गम में बदल गया। राम के वन जाने की खबर के बाद लक्ष्मण और सीता भी राम के साथ वन जाने को तैयार हो गये। और इसके बाद पूरे अयोध्या के लोग रो रोकर राम को वन जाने से रोक रहे है। लेकिन भगवान माता-पिता की आज्ञा से वन जाना भी कई बार राजा बनने से श्रेष्ठ बताया। फिर माता-पिता से आज्ञा लेकर राम लक्ष्मण व सीता सहित वन को प्रस्थान कर गये। और पुरवासी केवल रोते विलखते रहे। और कैकयी को दोषी ठहराते रहे।
रामलीला के इस भाव भरे मंचन को देखकर उपस्थित लोग भी अपने आंखों में आंसू भरकर राम के चरित्र की भूरि-भूरि प्रसंशा करते दिखे।