समाजवादी पार्टी से निष्कासित होने के बाद अपने व्यक्तित्व के दम पर अपना राजनीतिक दबदबा बनाये रखने वाले बाहुबली विधायक विजय मिश्रा अब अपनी नई पारी खेलने के लिये तैयार हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो सपा के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव की नव गठित पार्टी समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा में कोई बड़ा दायित्व संभाल सकते हैं। ऐसी चर्चा राजनीतिक हल्कों में होनी शुरू हो गयी है किन्तु शिवपाल और विधायक श्री मिश्रा के संबंधों को देखते हुये इस संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब हो कि समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष पद संभालते ही अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव के करीबियों को दरकिनार करना शुरू कर दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने ज्ञानपुर से तीन बार सपा के टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे विजय मिश्रा का टिकट काट दिया तो विजय मिश्रा ने अखिलेश के प्रति बागी तेवर अपना लिया और निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव ही नहीं लड़ा बल्कि भदोही सहित पूरे पूर्वांचल से सपा का सूपड़ा साफ करने की कसम भी खा ली। इसका असर भी देखा गया। ज्ञानपुर विधानसभा से श्री मिश्रा ने चौथी बार अपनी जीत बरकरार रखते हुये भदोही में सपा का खाता भी खुलने नहीं दिया। एक तरफ पूरे प्रदेश में भाजपा का परचम लहरा रहा था तो विजय मिश्रा ने अपने दम पर अपनी सियासती चालों से अपने आगे किसी को भी टिकने नहीं दिया।
जिस निषाद पार्टी का कोई नाम निशान भी नहीं था उस पार्टी का एकमात्र विधायक बनकर श्री मिश्रा विधानसभा पहुंच गये और अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया। लेकिन गोरखपुर उपचुनाव में निषाद पार्टी ने श्री मिश्रा के भावनाओं की कद्र न करते हुये सपा से हाथ मिला लिया जो विधायक को नागवार गुजरा। दूसरी तरफ भाजपा के मंचों पर विजय मिश्रा की मौजूदगी से लोगों को यह अंदाजा हो रहा था कि श्री मिश्रा भाजपा का दामन थाम लेंगे लेकिन यह चर्चा सिर्फ चर्चा ही रही और विजय मिश्रा को भाजपा में प्रवेश नहीं मिल पाया।
वहीं कुछ महीने पहले विधायक के धनापुर स्थित निवास पर शिवपाल सिंह यादव अचानक पहुंचकर सभी को चौंका दिया था। यह रिश्ता क्या कहलाता है यहीं किसी की समझ में नहीं आ रहा था। किन्तु बुधवार को शिवपाल सिंह यादव ने जब अपनी नई पार्टी की घोषण की तो काफी धुंध छटने लगी है। लोगों की सोच से परे एक ऐसी राजनीति की चक्रव्यूह रचा जा रहा था जो पहले किसी की समझ में नहीं आया।
हालांकि इस समय बाहुबली विधायक विजय मिश्रा लखनउ में ही है और वे शिवपाल के साथ प्रेस वार्ता में नहीं थे, लेकिन विधायक का लखनउ होना और शिवपाल की नई पार्टी का उदय होना कई मायने में खास दिखायी दे रहा है। अखिलेश को मात देने के लिये विजय मिश्रा भी काफी दिनों से कमर कसे हुये हैं, वहीं सपा में अपनी उपेक्षा से त्रस्त शिवपाल भी अखिलेश को सबक सिखाना चाहते हैं। शिवपाल को मालुम है कि विजय मिश्रा एक कुशल सियासतबाज हैं। शिवपाल ने बयान भी दिया है कि सपा में उपेक्षित चल रहे सभी लोगों को मिलाकर चुनाव लड़ा जायेगा। ऐसे में बाहुबली की नई पारी 2019 के चुनाव में नया गुल खिला सकती है।
[…] […]
[…] […]
[…] […]