आज जहां देखा जा रहा है कि लोग छुट्टा पशुओं से त्रस्त होकर आये दिन उनको मारपीट कर अपने खेतों से भगाते है। और इस दौरान छुट्टा पशुओं को काफी दिक्कत और परेशानी होती है। लेकिन लोगो की भी विवशता है कि अपनी फसलों को बचाने के लिए छुट्टा पशुओं को अपने खेतों से भगाते है। लेकिन लोगों द्वारा भगाने या मारने से कभी कभी पशुओं को काफी मुश्किल का सामना करना पडता है और उनकी जान भी जोखिम में आ जाती है।
मंगलवार को बेरासपुर में भी ऐसा वाकया देखा गया जहां लोगों द्वारा भगाया गया एक छुट्टा सांड गंगा के तरी में भागते-भागते गंगा के दलदल के पास चला गया और धीरे धीरे में उसमें फंस गया और धंसने लगा। आसपास खेल रहे बच्चे ने सांड को हांक कर निकालने का प्रयास किया लेकिन वह न निकल सका। इसकी खबर मंगलवार की रात कुछ युवाओं को जब पता चली तो गांव के कुछ युवाओं ने रात में करीब दो घंटे के काफी मशक्कत के बाद दलदल में फंसे सांड को बाहर निकाला। करीब पांच घंटे तक दलदल में फंसे रहने पर सांड काफी थक गया था और निकलने का काफी देर बाद वह धीरे-धीरे आगे गया। और फिर लोगो ने राहत की सांस ली।
मालूम हो कि बेरासपुर निवासी सुमित प्रजापति गंगा के किनारे घास लेने गया था और उसने दलदल में फंसे सांड को देखा था उस समय काफी लोग उसे निकालने का प्रयास कर रहे थे लेकिन सांड निकल न सका। और रात होने पर सब अपने घर गये। बाद में करीब सात बजे सुमित ने इस घटना की जानकारी पत्रकार संतोष तिवारी को दी। और पत्रकार संतोष तिवारी ने गांव के युवाओं को लेकर रात में गंगा के किनारे उस जगह गये जहां पर सांड फंसा था। सभी युवाओं ने एक जुट होकर दलदल में फंसे सांड को काफी मशक्कत के बाद निकाला। और इस दौरान सभी के कपडे और हाथ पैर में काफी मात्रा में कीचड भी लग गया लेकिन सांड को दलदल से निकाल दिये जाने पर लोगों ने काफी राहत की सांस ली। क्योकि यदि रात में सांड को न निकाला जाता तो सियार और कुत्ते उस सांड को जिंदा ही खाने में जुट जाते। बेरासपुर के युवाओं के इस मानवता भरे कार्य की क्षेत्र में काफी चर्चा हो रही है। इस कार्य में प्रमुख रूप से शिव प्रजापति, बबुंदर वर्मा, विजय वर्मा, छेदीलाल, गणेशकुमार और सुमित प्रजापति शामिल थे।