पूर्वांचल के भदोही जिले में कालीन कारखाने में हुये बम ब्लास्ट में मरे मजदूरों की भूमिका संदिग्ध दिखायी दे रही है। विस्फोट में मारे गए 9 मजदूर पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले थे। विस्फोट के शुरूआती दौर में प्रशासन इस विस्फोट को पटाखा बताने में लगा रहा किन्तु शनिवार की शाम जब मलबे में हैण्ड ग्रेनेट मिला तो प्रशासन के भी कान खड़े हो गये। वहां से जो ग्रेनेड बरामद किए गए हैं जो अमूमन सेना या माओवादियों अथवा आतंकियों के पास होते हैं। एक साधारण से गांव के पटाखा कारखाने में ग्रेनेड कहां से आया, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। संजीवनी टुडे के मुताबिक यूपी पुलिस से घटना की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ले लिया है और उत्तर प्रदेश एटीएस के साथ मिलकर इसकी जांच पड़ताल शुरू की है। वहीं इस मामले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसी भी प्रकार का मुआवजा देने से इनकार कर दिया है, जबकि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो—दो लाख की राशि भी वितरीत कर दी है।
घटना में मारे गए 13 लोगों में से नौ लोग पश्चिम बंगाल के थे। शव लेने के लिए बंगाल पुलिस की एक टीम भदोही पहुंची है। फिलहाल सभी का बैकग्राउंड खंगाला जा रहा है। पता चला है कि कारखाने में ग्रेनेड बनाया जा रहा था। इसे तैयार करने के लिए पुख्ता प्रशिक्षण की जरूरत होती है, जो बम बनाने के एक्सपर्ट ही कर सकते हैं, लेकिन ऐसा प्रशिक्षण आतंकी दे सकते हैं या माओवादी। ऐसे में मारे गए नौ लोग संदिग्ध हैं और उन्हें साधारण मजदूर के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो शनिवार सुबह जब विस्फोट हुआ तब ऐसा लगा था जैसे बंगाल के नौ साधारण मजदूर इसमें मारे गए हैं, लेकिन अब मारे गए लोगों की भूमिका शक के दायरे में आ गयी है।
यूपी सरकार ने मारे गए लोगों को किसी भी तरह की आर्थिक मदद देने से इन्कार कर दिया है। उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि मारे गए लोग आपराधिक वारदात में शामिल थे, इसीलिए उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी। जबकि घटना के दूसरे दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मारे गए मालदा बंगाल के नौ लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दे दी। राज्य के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने रविवार को मालदा जाकर इन सभी मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी है। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी हमला बोला था। अब जब यह मामला दूसरी ओर मुड़ता जा रहा है और मारे गए लोगों की गतिविधियां संदिग्ध होती जा रही हैं, तब जल्दबाजी में ममता सरकार द्वारा इनके परिजनों को दी गई धनराशि को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, गत 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले हुए थे, जिसमें बंगाल के दो जवान शहीद हो गए थे। छह दिनों तक ममता बनर्जी ने शहीद परिवारों को आर्थिक मदद देने में चुप्पी साध रखी थी। विपक्ष के चौतरफा हमले के बाद 20 फरवरी को शहीद जवानों के परिजनों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की थी, जबकि उत्तर प्रदेश के भदोही में पटाखा कारखाने में हुए विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों को उसी दिन आर्थिक मदद की घोषणा ममता ने कर दी थी। खास बात यह है कि जो लोग मारे गए हैं, वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। ऐसे में एक बार फिर ममता सरकार की तत्परता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
वहीं भदोही के विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी ने इस घटना को बम ब्लास्ट बताते हुये भदोही से बंग्लादेशियों को भगाने की बात कही है। गौरतलब हो कि भदोही बड़ी संख्या में बंग्लादेशी घुसपैठियों का ठिकाना बन चुका है और प्रशासन सबकुछ जानते हुये भी अनजान बना हुआ है। गौर करने वाली बात यह भी देश में हुई कई आतंकी घटनाओं के बाद भदोही का नाम प्रकाश में आता रहा है इसके बाद भी खुफिया विभाग व भदोही का प्रशासन मामले को हल्के में लेने की कोशिस करता नजर आता है।