Home भदोही भदोही प्रकरण: हादसा हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी पुलिस

भदोही प्रकरण: हादसा हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी पुलिस

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राजनीतिक रंग में रंगती जा रही खूशबू यादव की मौत

भदोही। गत सप्ताह शहर कोतवाली के तुलसीचक गांव में हुई खूशबू यादव के मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पायी है।भदोही पुलिस हत्या-आत्महत्या और हादसे के बीच उलझी हुई है और समाजवादी पार्टी खूशबू यादव की मौत में भदोही में विलुप्त हो चुके अपने जनाधार को खोजने में लग चुकी है।

बता दें कि गत सप्ताह तुलसीचक गांव से खूशबू यादव नामक एक 17 वर्षीय बालिका अचाानक गायब हो गयी और दो दिन बाद वरूणा नदी की झाड़ियों में फंसा हुआ उसका शव मिला।शव मिलते ही आसपास के लोगों की भीड़, मीडिया और अधिकारियों का जमावड़ा हो गया। शव की हालत देखकर सभी ने उसकी हत्या होने का अंदाजा लगाया गया। एसपी भदोही ने भी हत्या की आशंका व्यक्त की। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला ही उलट गया। एसपी भदोही की पहल पर शव का पोस्टमार्टम दो बार में सात चिकित्सकों की टीम ने किया। लेकिन हत्या होने, तेजाब से जलाने और रेप के कोई भी प्रमाण नहीं मिले। वहीं एक सवाल अवश्य खड़ा हो गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डूबने से हुई मौत का साक्ष्य मिला तो डूबने का कारण क्या था?

पुलिस भी इसी सवाल का जवाब ढूढने के लिये रात दिन एक किये हुये है किन्तु खूशबू की मौत पर समाजवादी पार्टी अपना जनाधार मजबूत करने में लगी है और जिस तरह की राजनीति शुरू हो गयी है। उससे पुलिसिया जांच की प्रभावित होने लगी है।

सबसे बड़ा सवाल—पांच मिनट में कैसे गायब हो गयी खूशबू

खूशबू की मौत के बाद जब सियासत शुरू हुई तो एक भठ्ठा संचालक पर कुछ लोगों ने अपहरण, रेप ओर हत्या करने का आरोप लगाया। शव मिलने के बाद से ही एसपी भदोही ने खुद इस मामले को गंभीरता से लिया और हर पहलू पर जांच किया। यहां तक कि गत रविवार को करीब सात घंटे रहकर लोगों से पूछताछ की लेकिन इस सवाल का जवाब अभी तक ढूंढ नहीं पाये हैं।

हमार पूर्वांचल की टीम ने अपने सूत्रों से जानकारी जुटाई तो पता चला कि जिस दिन खूशबू गायब हुई उस दिन किसी बात पर उसका अपने घर पर विवाद हो गया था। सूत्रों ने बताया कि यह विवाद उसकी मां से हुआ था। इसके बाद वह गुस्से में आकर मवेशियों के साथ नदी के किनारे चली गयी। सुबह से बिना खाये पिये वह मवेशियों के साथ रही। सूत्र बताते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत के समय पेट खाली रहने की रिपोर्ट सामने आयी है।

जिन लोगों पर परिजनों ने अपना शक जताया था। उनलोगों की संलिप्तता इस मामले में अभी तक पुलिस खोज नहीं पायी है। आरोपियों का नाम जब सामने आया तो आरोपी खुद पुलिस के पास पहुंच गये और जांच में सहयोग किया। यहीं वजह है कि पुलिस अभीतक जरूरत पड़ने पर पूछताछ के लिये बुलाती है किन्तु हिरासत में नहीं लिया।

जब खूशबू गायब हुई तो उस समय दिन के लगभग तीन बजे थे। गांव में इस समय किसान अपने खेत खलिहान में ही रहते थे। घटनास्थल पर सन्नाटा नहीं था। थोड़ी ही दूर पर एक आवास के निर्माण कुछ मजदूर भी लगे थे। ऐसे में दिनदहाड़े किसी लड़की का अपहरण हो जाये और किसी की निगाह न पड़े ऐसा नहीं हो सकता। फिर ऐसा कौन सा व्यक्ति था जो 5 मिनट के अंदर उसका अपहरण करके रेप किया और हत्या करके चुपचाप चला गया। किसी की निगाह भी नहीं पड़ी।

जांच के दौरान जो बात सामने आयी है उसके मुताबिक खूशबू को पेड़ के नीचे बैठे हुये गांव का ही एक युवक देखा था।जिसने बयान दिया है कि खूशबू पेड़ के नीचे बैठी थी और उसकी मां अपने एक बेटे के साथ मवेशियों को लेने आ रही थी जो घटनास्थल से लगभग 300 मीटर दूर थी। जहां पर खूशबू बैठी थी। वहां पहुंचने में उसकी मां को अधिकतम पांच या सात मिनट लगे होंगे फिर इतनी ही देर में वह कहां गायब हो गयी? आसपास जो लोग भी मौजूद थे उन्होंने किसी को आते-जाते देखने की बात नहीं बता पाये।

कहीं डिप्रेशन में तो नहीं उठाया आत्मघाती कदम? 

बदलते माहौल का असर अब ग्रामीण बच्चों पर भी दिखायी देने लगा है। जिसके कारण अधिकतर बच्चों में अवसाद की भावना भर गयी है। लोगों में अब चर्चा होने लगी है कि घर से झगड़ कर बिना खाये-पिये निकली खूशबू कहीं मानसिक रूप से परेशान होकर खुद आत्मघाती कदम उठाया हो। अवसाद ग्रस्त होकर उसके मन में काफी उथलपुथल चल रही हो और जब उसने अपनी मां को आते देखा तो पास ही बह रही नदी में छलांग लगा दी हो।

खूशबू की मौत और राजनीति

खूशबू की मौत के बाद शुरू हुई राजनीति में समाजवादी पार्टी जमकर अपना हाथ सेंक रही है। जिले में तीनों सीट गवां चुकी सपा अब अपना जनाधार बढ़ाने में लगी हुई है। पिछले काफी दिनों से मुद्दाविहीन हो चुकी सपा को अब खूशबू की मौत में जनाधार दिखायी देने लगा है। सपा नेता कई बार पीड़ित परिवार के पास जा चुके है। गत दिनों जब पुलिस ने परिजनों से पूछताछ करनी चाही तो चर्चा है कि सपा नेता उसमें भी अड़ंगा लगा दिये जिससे जांच प्रभावित हो रही है। जिस मामले को अभी तक भदोही पुलिस सुलझाने में नाकाम रही है। उस मामले की जांच के लिये सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सपाईयों की जांच टीम गठित की है।

अब देखना यह है कि खूशबू के मौत की निष्पक्ष जांच करने में जुटी भदोही एसपी रामबदन सिंह की टीम नदी में डूबने का सही कारण ढूंढ पाती है या खूशबू की मौत पर सियासत कर रही सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा गठित की गयी टीम।

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