कई वर्षों के बाद भदोही लोकसभा में कांग्रेस भदोही लोकसभा में आईसीयू से बाहर निकलती दिख रही है। इसे लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर भी है किन्तु चुनाव के बाद कांग्रेस जनरल वार्ड में रहेगी या फिर आईसीयू में चली जायेगी। कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस को जिले में नई संजीवनी मिलनी का श्रेय राहुल गांधी को नहीं बल्कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रमाकांत यादव को जाता है।
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गौर करने वाली बात है कि उत्तरप्रदेश में सपा बसपा जैसी पार्टियों के उदय के बाद और भाजपा की मजबूत होती जमीन के कारण कांग्रेस लगभग समाप्ति की ओर चली गयी है। भदोही जैसे जिले में यदि मुठ्ठी भर लोगों को छोड़ दिया जाये तो कांग्रेस का झंडा ढोने वाला भी नहीं बचा है, लेकिन कांग्रेस ने आजमगढ़ के बाहुबली रमाकांत यादव को भदोही लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारकर सपा बसपा गठबंधन का समीकरण ही ध्वस्त कर दिया है।
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जिले में कांग्रेस का एक पहलू यह भी है कि उसकी नींव बनाये रखने में खासकर ब्राह्मण और मुसलमानों का हाथ है। आज भी जब कांग्रेस का कहीं कार्यक्रम होता है तो कांग्रेस की जिलाध्यक्ष श्रीमती नीलम मिश्रा समेत पीसीसी सदस्य धीरेन्द्र पाण्डेय, मिठाईलाल दूबे, संजीव दूबे, प्रेम बिहारी उपाध्याय, संरेश उपाध्याय, गुलजारीलाल उपाध्याय समेत भदोही से मुशीर इकबाल और सुरियावां से नसीम अंसारी जैसे लोगों का नाम ही प्रमुखता से आता है। लेकिन भदोही आने के बाद रमाकांत यादव के ब्राह्मण विरोधी बयान ने उन कांग्रेसी नेताओं के चेहरे पर कालिमा ला दी जो वर्षों से कांग्रेस का झंडा बुलंद किये हुये थे।
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दरअसल रमाकांत यादव जिले में कांग्रेस के बूते नहीं बल्कि अपने बूते चुनाव लड़ने आये हैं और उसी पर काम भी कर रहे हैं। आज आबीसी समुदाय और दलित समुदाय का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस को भले ही अपनी पार्टी न मानें किन्तु रमाकांत यादव के रूप में अपना नेता देख रहा है। यहीं वजह है कि गठबंधन में भदोही लोकसभा की सीट बसपा के खाते में जाने के बाद सपा का जो वोटबैंक नाराज था वह रमाकांत यादव में अपना नेता देख रहा है। रमाकांत की निगाह ब्राह्मण मतदाताओं पर है भी नहीं इसलिये वे ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में एकजुट करने के प्रयास में जी जान से लगे हुये हैं।
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भदोही लोकसभा में त्रिकोणीय हो रहे संघर्ष का लाभ जहां गठबंधन प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा रहा है वहीं भाजपा का पक्ष मजबूत होता दिखायी दे रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि रमाकांत यादव के समर्थन में आये लोग व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में दिख रहे हैं न कि कांग्रेस के पक्ष में। यदि रमाकांत यादव चुनाव जीत जाते हैं तो कई वर्षों के बाद भदोही में कांग्रेस का खाता खुल सकता है जो कि असंभव दिख रहा है, लेकिन वक्ती तौर पर आईसीयू से बाहर निकली कांग्रेस सिर्फ चुनाव तक ही जनरल वार्ड में रहेगी। फिर उसका ठिकाना आईसीयू में ही होगा।