भदोही। लोकसभा चुनाव 2019 की असली जंग तो भदोही में देखी जा रही है। जिस पर सिर्फ उन्हीं की निगाहें नहीं हैं बल्कि आम वोटर से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक की निगाहें टिकी हुई हैं। इस चुनाव में एक तरफ मोदी, अखिलेश, मायावती हैं तो दूसरी तरफ रमाकांत यादव हैं, जिन्होने सिर्फ रंगनाथ मिश्रा और रमेश बिंद को ही नहीं बल्कि सबको चुनौती दी है। लेकिन रमाकांत यादव को आज पहली चुनौती मिली है। यह चुनौती माया, अखिलेश या मोदी नहीं बल्कि रंगनाथ ने दी है।
भदोही का यह लोकसभा चुनाव को सबसे रोचक यदि किसी ने बनाया है तो वह कोई और नहीं बल्कि रमाकांत यादव हैं, जिनके पास पाने के सिवा खोने को कुछ नहीं है। भदोही लोकसभा प्रधानमंत्री मोदी का पड़ोसी चुनाव क्षेत्र है। यदि यह चुनाव क्षेत्र हाथ से निकल जाता है तो विपक्षियों को कटाक्ष करने का मौका मिल जायेगा। इसीलिये तीन बार सांसद रहे विरेन्द्र सिंह को बलिया भेजा गया। भाजपा के शीर्ष नेता तनिक भी रिस्क लेना नहीं चाहते थे। इसीलिये कई दिनों के मंथन के बाद रमेश बिंद को टिकट दिया गया। अब रमेश बिंद को यह चुनौती जीतनी होगी, लेकिन इसके लिये कितने पापड़ बेलने होंगे यह रमेश बिंद को खुद पता होगा।
उधर कई महीनों पहले गठबंधन ने रंगनाथ मिश्रा को प्रत्याशी बनाने का निर्णय ले लिया था। गठबंधन को यह भरोसा था कि सपा बसपा में बंटने वाली मुस्लिम वोट, दलित और ओबीसी वोट मिलाकर चुनाव आराम से जीत लिया जायेगा। किन्तु इसी बीच रमाकांत यादव ने इन्ट्री मारकर गठबंधन का खेल बिगाड़ दिया। आजमगढ़ में विभिन्न दलों से विधायक और सांसद बन चुके रमाकांत यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। भदोही में आते ही उन्होंने यह संदेश दे दिया कि पिछड़ी जाति के वे मजबूत नेता हैं, जो पिछड़ों के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। रमाकांत ने यह भरोसा जुबान से बोलकर नहीं कराया बल्कि उनके भदोही आने के साथ उनकी शोहरत फैल चुकी थी। जिसके लिये किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है।
पिछड़ों को भी अपनी जाति के एक मजबूत नेता की तलाश पूरी होती दिखी इसलिये उन्हें हाथोंहाथ लिया। आखिर जब जिले में ब्राह्मण बाहुबली हैं तो पिछड़ी जाति का बाहुबली क्यों न हो, यह मंशा सभी की आंखों में झलकने लगी। रमाकांत यादव की निगाहें भी उसी वोटबैंक पर लगी है जिस पर गठबंधन की निगाहें हैं। साथ ही पिछड़ी जाति का वह मतदाता भी सोच में पड़ गया है। जो भाजपा को वोट करने का मूड बनाया था। वह यह परख रहा है कि उसके नेता रमेश बिंद सही होंगे या रमाकांत यादव। एक तरफ रंगनाथ मिश्रा और रमेश बिंद के साथ पार्टी का वोट है तो दूसरी तरफ रमाकांत यादव को अपने नाम पर वोट जुटाना है। फिलहाल इसके लिये तो अभी काफी समय है किन्तु आज अपने साथ हजारों की भीड़ दिखाकर रंगनाथ मिश्रा ने रमाकांत यादव को चुनौती दी है कि पिछड़े और दलित गठबंधन के साथ हैं।
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