भदोही लोकसभा में ब्राह्मण वोट तीन भागों में बंटती नजर आ रही है। लेकिन रमाकान्त यादव को छोड दिया जाए तो रंगनाथ मिश्र और रमेश बिन्द ब्राह्मणों के मत पर अपना अधिकार समझ रहे है। लेकिन इस बार ब्राह्मणों का वोट न तो पूरा रंगनाथ को मिलेगा न ही रमेश बिन्द को और इसी वोट में कुछ वोट नोटा के तरफ भी पड सकता है। क्योकि इस बार के प्रत्याशियों में कोई मनमाफिक प्रत्याशी नही है। वैसे ब्राह्मणों के ज्यादातर मतदाता ‘बाहर’ ही रहते है जो है वे तो मतदान करेंगे लेकिन लोकसभा चुनाव में महिला मतदाता भी कम निकलती है।
यदि रंगनाथ मिश्र की बात की जाए तो रंगनाथ मिश्र ब्राह्मण प्रत्याशी है जिससे कुछ ब्राह्मणों का रूझान रमेश बिन्द या रमाकान्त यादव की अपेक्षा रंगनाथ के तरफ होना लाजमी है। लेकिन रंगनाथ को उनके व्यक्तिगत व्यवहार, संबंध, व जाति के नाम पर ब्राह्मणों का कुछ वोट मिल सकता है न कि बसपा के नाम पर। लेकिन कांग्रेस के रमाकान्त यादव को ब्राह्मण न के बराबर वोट देंगे क्योकि रमाकान्त की बयानबाजी ब्राह्मणों को नाराज करने में काफी सहायक हुई।
रही बात रमेश बिन्द की तो उनके व्यक्तिगत व्यवहार पर ब्राह्मण वोट नही देंगे बल्कि भाजपा को देखकर रमेश बिन्द को वोट भले मिल जाए लेकिन कुछ ऐसे भी ब्राह्मण है जो किसी को वोट देने की अपेक्षा नोटा दबाना पसंद करेंगे। क्योकि रमेश बिन्द का वायरल वीडियो उनको कही न कही नुकसान जरूर पहुचाया है। लेकिन इसी बीच ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्र का रमेश बिन्द को समर्थन देने से कुछ ब्राह्मण वोट में वृद्धि हो सकती है। न कि वे सभी ब्राह्मण रमेश को वोट देंगे। यदि यह कहा जाए कि विजय मिश्र के कहने पर तो यह बात भी गले नही उतर रही है। क्योकि विजय मिश्र की शख्सियत और किसी अन्य में काफी अन्तर है।
हालांकि विजय मिश्र का समर्थन भाजपा के रमेश बिन्द को मिलने से फायदा जरूर होगा। लेकिन सभी ब्राह्मणों का रमेश बिन्द या रंगनाथ को मिलना मुश्किल है। हालांकि रंगनाथ का स्थानीय होने का मुद्दा भी उनको फायदा पहुंचा सकता है लेकिन रमेश बिन्द के वायरल वीडियो से उनको काफी फजीहत झेलनी पडी। और दूसरी बात रमेश बिन्द को भी बाहरी का दंश झेलना पडेगा। वैसै ब्राह्मण समेत सवर्णो का वोट भाजपा का ही माना जाता है लेकिन रमेश बिन्द का वायरल वीडियो और रंगनाथ के रूप में स्थानीय ब्राह्मण नेता रमेश के लिए राह को आसान नही करने देंगे।
वैसे जहां तक अंदाजा लग रहा है कि रमेश बिन्द व रंगनाथ मिश्र में अधिकतर ब्राह्मण भाजपा के नाम पर रमेश बिन्द को ही वोट करेंगे। लेकिन इसकी कोई गारंटी नही है कि कौन कहां वोट करेगा? चुनाव परिणाम के बाद ही इसकी तश्वीर सामने आ पायेगी।
इस बार के चुनाव में लोकसभा के ब्राह्मण राष्ट्रवाद व जातिवाद के बीच में फंसकर निर्णय नही ले पा रहे है। वैसे लोकसभा के ब्राह्मणों का वोट काफी निर्णायक भूमिका निभाएगा। यदि मुकाबले की बात की जाए तो रमेश बिन्द और रंगनाथ मिश्र में ही सीधा मुकाबला है। मंगलवार को अखिलेश यादव के बयान से रमाकान्त यादव मुकाबले से पीछे हो गये। लेकिन चुनाव में जनता के मूढ के ऊपर निश्चित होता है कि अगला सांसद किसे चुनेंगे?