भदोही। कहने को जिला और जिले के गांव खुले से शौच मुक्त होने का प्रमाण भले ही पा लें लेकिन यह केवल सरकार के साथ धोखा है। इसमें अधिकारी और ग्रामप्रधान सभी की लापरवाही व मिलीभगत है। जो केवल जमीनी स्तर पर ध्यान न देकर केवल कागजी खानापूर्ति में जुटकर शासन को फर्जी व झूठा आंकडा भेजकर अपना जी छुड़ा ले रहे है। भदोही जिले का ऐसा कोई गांव नही है जहां लोग खुले में शौच करने न जाते हो। यदि जिला और जिले के गांव खुले में शौच से मुक्त हो गया है तो फिर लोग खुले में शौच करने की जरूरत क्यों है? इसके पीछे है विभाग की लापरवाही व भ्रष्टाचार जिसमें बेचारे ग्रामप्रधान बीच में उलझ कर रह गये है। न तो अधिकारियों के मन का काम कर पा रहे है न गांव के लोगों का। इसके पीछे वजह है कि यदि प्रधान अधिकारियों की ‘बात’ नही मानेंगे तो उनके खिलाफ जांच हो सकती है या उनके खिलाफ नोटिस जारी हो सकती है। इसी वजह से विवश ग्राम प्रधान अधिकारियों के इशारे पर ही आम को इमली और इमली को आम कहने पर विवश है।
दूसरी तरफ ग्राम प्रधानों को गांव का भी ध्यान देना है जिनकों सरकारी योजना का लाभ न मिले वह नाराज हो जायेगा और हो सकता है कि अगले प्रधानी चुनाव में प्रधान के खिलाफ ताल ठोक कर मैदान में आ जाए। तो बेचारे ग्राम प्रधान दोनों तरफ से दबाव झेलते है। और काम सही नही हो तो अधिकारी और ग्रामीण दोनों ग्राम प्रधान को ही दोषी बनाते है। लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकारियों के किन्ही वजहों से ग्राम प्रधानों को सही कार्य करने में समस्या होती है। जिसके वजह से गांवों में शौचालय, आवास, नाली समेत कार्यों में गुणवत्ता की कमी दिखती है और वहां सही परिणाम नही मिल पाता है।
इस लापरवाही व भ्रष्टाचार की वजह से ग्रामप्रधान भी ऐन केन प्रकारेण काम को करके कागज पर दिखाकर सम्बन्धित विभाग को देते है जो फर्जी आंकडेबाजी करके शासन को भेज देते है। इसका उदाहरण जिले में बने शौचालय है जो विभाग को मुंह चिढा रहे है। और विभाग के लोग केवल झूठी रिपोर्ट भेजने में मसगूल होकर सरकार के धन का दुरूपयोग कर रहे है। भदोही जिले का ऐसा कौन सा गांव है जहां पर शत प्रतिशत लोग शौचालय का प्रयोग करते है? शायद एक भी नही। लेकिन फिर भी सरकार को मूर्ख बनाने के लिए विभाग के लोग सरकार का पैसा खर्च करके सम्मानित करने का काम करते है। और जिले के निवासियों और शासन को केवल मूर्ख बनाते है। जबकि जमीनी हकीकत सभी अधिकारी और ग्रामप्रधान जानते है।
केवल कागजी खानापुर्ति से अधिकारियों को लाभ तो होगा लेकिन आम आदमी की परेशानी और बढेगी। इसीलिए ग्राम प्रनशाों को अपने गांव की विकास को ईमानदारी से करना चाहिए। क्योकि गांव के लोगों को जबाब ग्रामप्रधान को देना है न कि अधिकारियों को। अधिकारी आज भदोही में है कल किसी और जिले में रहेंगे लेकिन ग्राम प्रधान को तो हमेशा अपने ग्रामसभा में ही रहना है।