भदोही जिले के कई विभाग लापरवाही की सभी हदें पार करते हुये तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस के बालकाण्ड का इस चौपाई
परम स्वतंत्र न सिर पर कोई। भावइ मनहि करहु तुम्ह सोई॥
भलेहि मंद मंदेहि भल करहू। बिसमय हरष न हियँ कछु धरहू॥ (परम स्वतंत्र हो, सिर पर तो कोई है नहीं, इससे जब जो मन को भाता है, स्वच्छन्दता से वही करते हो। भले को बुरा और बुरे को भला कर देते हो। हृदय में हर्ष-विषाद कुछ भी नहीं लाते॥) का बखूबी पालन लापरवाही व मनमानी ढंग से करते नजर आ रहे है।
सरकार जहां डिजिटल इंडिया के नारा के साथ लोगो को इस संचार युग मे हमेशा आगे रखने के लिए लालायित है वही सरकारी नुमाइंदो की लापरवाही सिर चढ़कर सरकार के स्वप्न मे पलीता लगा रही है। जिससे आम जनता को सरकार की मंशा के अनुरूप लाभ नही मिल पा रहा है।
उदाहरण-1
भदोही जिले के विभिन्न विभागो मे तैनात अधिकारियों का मोबाइल नंबर जिले की सरकारी वेबसाइट पर अपलोड इसलिए किया गया है कि लोग जब चाहे सम्बन्धित विभाग के अधिकारी से बात करके अपनी समस्या या बात रख सके। लेकिन यहां भी लापरवाही की हद अपने सीमा को पार करती नजर आ रही है। इसका प्रमाण यह है कि इस समय ज्ञानपुर की उपजिलाधिकारी अमृता सिंह है जबकि उपलब्ध सूची में आशीष कुमार को ज्ञानपुर का उपजिलाधिकारी दर्शाया गया है। वही गोपीगंज थाना मे तैनात पूर्व थानाध्यक्ष सुनिल वर्मा एक मामले के बाद से गोपीगंज थाना मे तैनाती नही है जबकि सूची मे सुनिल वर्मा का नाम आज भी शोभा बढा रहा है और गोपीगंज मे तैनात वर्तमान थानाध्यक्ष शेषधर पाण्डेय का नाम सूची मे नही है। ऐसे ही कई भ्रामक जानकारी आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन रही है। अब यहा प्रश्न बनता है कि आखिर इस तरह की लापरवाही पर ध्यान क्यो नही देता है प्रशासन? क्या इस भ्रामक जानकारी के पीछे शासन या प्रशासन की कोई चाल तो नही है जो आम जनता से परे हो?
उदाहरण-2
सरकार भ्रष्टाचार निवारण व पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार कानून लागू किया जहां आम जनता किसी भी विभाग से जुड़ी जानकारी एक माह के अन्दर पा सकता है लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारी व विभाग सूचना का अधिकार का भी मखौल उड़ाने से बाज नही आते है। जिले के डीघ ब्लाक के बेरासपुर निवासी दिव्यांग रजनीश दूबे ने 21फरवरी 2018 को सूचना के अधिकार के तहत जिलाआपूर्ति कार्यालय से सूचना मांगी थी लेकिन सात माह भी विभाग ने दिव्यांग रजनीश को सूचना उपलब्ध नही दी। इस तरह के मामलो से यह स्पष्ट है कि इन सरकारी लापरवाह अधिकारियो के ऊपर कार्यवाही नही होने से इनका मनोबल बढा है। जो कही न कही सरकार के नियम कानून को धता बताकर अपने ही गति से काम करने मे लगे है।
उदाहरण-3
सरकार ने सभी विभागो से जुडी किसी भी शिकायत के त्वरित कार्रवाई व निवारण के लिए आईजीआरएस की बेहतरीन व्यवस्था की है, जहां से आम जनता को अपनी शिकायत करने का एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिला है लेकिन आईजीआरएस भी लापरवाही की भेंट चढता नजर आता है। हालांकि कुछ मामले मे इसके माध्यम से बेशक अच्छे परिणाम देखने को मिले। आईजीआरएस पर मनमानी ढंग से रिपोर्ट लगाने की शिकायत मिलती है कुछ मामले मे
शिकायतकर्ता से बिना बताये ही जांच या रिपोर्ट लगा दिया जाता है, जो केवल सरकार के कानून को ठेंगा दिखाते है।
इन मामलो को देखने से तो यह स्पष्ट होता है कि यदि सरकार के योजनाओ व कानून को सच मे पात्र लोगो तक पहुचाना है तो सभी को अपनी जिम्मेदारी से काम करना पड़ेगा। लापरवाही व मनमानी पूर्ण रवैया का त्याग और ईमानदारी व कर्मठता को अपने कार्यो मे स्थान देना होगा। जिलाधिकारी अपने हर बैठक मे पात्रों को योजनाओ का लाभ मिले और अपात्रों को किसी भी योजना का लाभ न देने की बात दुहराते रहते है लेकिन विभागो का काम अपने ही गति से होता रहता है।