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भदोही में लक्जरी कार, पक्का मकान और कई बीघा खेत वाले भी गरीबी रेखा से नीचे

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भदोही प्रशासन के रहमोकरम से अब भदोही वालो के पास यदि लक्जरी कार, पक्का मकान और कई बीघे खेत भी हैं तो वे गरीबी रेखा के नीचे गिने जाएंगे और उन्हे अंत्योदय कार्ड दिया जाएगा ।

सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को यह सहूलियत दे दी है कि सभी को हर महिने सरकारी राशन की दुकान से गेहूं चावल मिले जिससे लोग भूखमरी के शिकार न हो। लेकिन यहां सरकार के इस योजना का दुरूपयोग विभाग और कोटेदार की लापरवाही व मिलीभगत से कुछ ऐसे लोग कर रहे है जो अपात्र है। सरकार को यह ध्यान देना चाहिए कि जिनके पास कई एकड खेत है आखिर उनको इस योजना का लाभ क्यों दिया जाये? लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिनियम में चाहे वह गरीब हो या अमीर सभी को लाभ मिलेगा। इस योजना में केवल सरकारी सेवा में कार्यरत लोगों को बाहर रखा गया है। जबकि बहुत ऐसे लोग है जिनको खाने के लिए अनाज की तनिक भी दिक्कत नही है लेकिन फिर भी लोग राशन की दुकान से राशन ले जा रहे है। जबकि सभी गांव ऐसे भी लोग है जिनको सच में राशन की जरूरत है लेकिन उनको भी वही लाभ मिल रहा है जैसा एक सुविधा सम्पन्न व्यक्ति को मिलता है।

सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर सभी व्यक्तियों को तीन माह का नि:शुल्क चावल देने की घोषणा की है और लोग चावल सरकारी राशन की दुकान से ले भी रहे है। लेकिन कुछ सही में जो गरीब है उनको तो यह काफी सहायक साबित हो रहा है जबकि बहुत लोग गांव के किराना की दुकान पर कोटे से मिले चावल को बेचकर मोटी रकम ले ले रहे है। आखिर ऐसे गरीबों को सरकार राशन ही क्यों देती है जो सरकार और सिस्टम को मूर्ख बनाते है। और अपात्र होते हुए भी सरकार की योजनाओं का बेवजह लाभ लेते है। जबकि एक पात्र गरीब बेचारा इस तरह की योजनाओं का सही लाभ नही ले पाता है। इस गडबडी में कोटेदार और आपूर्ति विभाग की लापरवाही से ही सब हो रहा है और अपात्र को पात्र दिखाकर सरकारी योजनाओं का मखौल उडाया जा रहा है।
भदोही जिले में कई गांव है जहां कुछ ऐसे ‘फर्जी’ गरीब है जो कोटेदार और ग्रामप्रधान की कृपा से सरकार की योजनाओं का दुरूपयोग कर रहे है लेकिन कोई कुछ बोल नही रहा है। जिसमें से कई अपात्र है लेकिन जबकि इन्ही गांवों में कुछ ऐसे भी लोग जिनको फर्जी गरीबों की अपेक्षा उनको राशन की जरूरत है उनको इस तरह की योजना का लाभ नही मिल रहा है। जिले में ऐसे कई लोग है जिनके पास जमीन, गाडी है फिर भी कोटेदार की कृपा से बने है ‘फर्जी’ गरीब। और किसी भी तरह की कार्यवाही इन फर्जी गरीबों पर नही हो रही है। इस तरह के कई ‘फर्जी गरीब’ सरकार की योजना में लगा रहे है पलीता। और विभाग के लोग वही सही मानते है जो कोटेदार सूची बनाकर देते है। और कोटेदार लोग ऐसे लोगों को भी पात्र दिखाते है जो कभी उनके लिए संकटमोचन बन सकते है। या उनके बचाव के लिए कोई खेल करने में सहयोगी साबित हो सकते है। यहां पर केवल विभाग की लापरवाही की वजह से ही केवल एक ही गांव में ही नही अपितु पुरे जिले में यही हाल है कि गांव के कुछ ऐसे लोग जो पात्रता नही रखते है उनको पात्र बना दिये है और जो पात्रता रखते है उनको अपात्र। इसमें विभाग, कोटेदार और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से ही होता है। जो सभी लोग मिलकर सरकार की योजना की धज्जियां उडाते है। और मनमानी कार्य करते है। कोटेदार के खिलाफ शिकायत होने पर भी विभाग कोटेदार को ही बचाने की जुगत में रहता है। आम आदमी थक हार कर बैठ जाता है। कुछ मामलों में कोटेदारों के खिलाफ गलत करने पर कार्यवाही भी होती है।
जिले के डीघ ब्लाक के बेरासपुर में एक मामला प्रकाश में आया है जहां एक फर्जी गरीब की करतूत उजागर हुई है। उस फर्जी गरीब के पास कई बीघे खेत है, गाडी है, बढिया घर, किराना की दुकान है, शहरी रहन सहन है, घर में सभी सुविधायें है, पम्पिंगसेट है। लेकिन कोटेदार की कृपा से बेचारा दो दसको से सरकार की नजर में गरीब है। और सरकार के तरफ से पत्नी के नाम अन्त्योदय कार्ड बनवा कर सरकार के आंख में धूल झोककर गरीबों के हक का राशन यह फर्जी गरीब ले रहा है। लेकिन अच्छे रसूख और पकड होने से कोटेदार और ग्राम प्रधान इस फर्जी गरीब के ऊपर अपनी कृपा बनाये है, और इसके खिलाफ कार्यवाही करने से बच रहे है। ऐसे ही कई गरीब है और गांवों में और जिले में लेकिन विभाग को क्या पडी है कि जांच करे और केवल सही पात्रों को ही सरकार की योजना का लाभ मिले। इस समय फर्जी गरीबों की तो और चांदी है कि प्रति यूनिट पांच किलो चावल किराना की दुकानों पर बेचकर मोटी रकम ले रहे है। जब तक सरकार के नुमाइंदे और अधिकारी अपने कार्यों में पार्दर्शिता और ईमानदारी नही लायेंगे तब तक देश के दुश्मन ‘फर्जी’ लोग ऐसे ही सरकार की विभिन्न योजनाओं का दुरूपयोग करेंगे। और देश में सही पात्रों को सरकारी योजना के लाभ से हमेशा ही पीछे रहना होगा।

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