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भदोही : शिक्षा के मंदिर में बड़ा घालमेल, चहेतों को टॉपर बनाने का चल रहा खेल

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भदोही में टॉपर घोटाला, विद्यालय ने उड़ाई सीबीएसई बोर्ड के नियमों की धज्जियाँ

सीबीएसई बोर्ड के नियमों को ताख पर योग्यता के बजाय सम्बन्धों के मानक पर बच्चों को बनाया टॉप

10 वीं परीक्षा में साक्षी सिंह ने किया जिला टॉप
विद्यालय ने तीसरे नंबर पर रहने वाले छात्र को बनाया टॉपर

भदोही । किसी भी विद्यालय का धर्म होता है कि वे अपने सभी छात्र छात्राओं के लिए समान भाव रखें और उसकी प्रतिभा के अनुरूप मनोबल बढ़ाए । किन्तु भदोही के विद्यालय अपने चहेतों को खुश करने के लिए बच्चों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे है । बोर्ड ने बच्चों को मानसिक तनाव से बचने के लिए मेरिट लिस्ट जारी नहीं की, लेकिन स्कूल प्रबंधन अपने स्कूल के बच्चों को टॉपर दिखाने के लिए नियमों को तोड़ रहे है। इसका विपरीत प्रभाव बच्चों पर पड़ता दिखाई दे रहा है ।

उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद की रहने वाली साक्षी सिंह ने सीबीएसई बोर्ड की 10वीं में इस बार जिले में सबसे अधिक 483 अंक प्राप्त किये, लेकिन वह दुःखी है क्योंकि उससे 4 अंक कम पाने वाले छात्र को जिला टॉपर घोषित कर दिया गया । जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गई जिसका प्रभाव उसके पठन पाठन पर पड़ रहा है ।

भदोही की साक्षी सिंह के साथ जो हुआ पहले उसे भी समझ लेते हैं। साक्षी भदोही की वुडवर्ड पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं। उन्होंने जब 15 जुलाई को एसएमएस से अपना रिजल्ट देखा तो उनके 500 में से 483 नंबर आये। उन्हें इग्लिंश में 97, हिंदी में 98, मैथ में 94, साइंस में 94 और सोशल साइंस में 100 और एडिशनल सब्जेक्ट में 94 नंबर मिले। जरूरी पांच विषयों को मिलाकर प्रतिशत निकालेंगे तो साक्षी को कुल 96.6 फीसदी अंक मिले।

साथ में पढ़ने वालीं फातिमा अंसारी ने साक्षी को फोन करके बताया कि स्कूल में तुम्हारा नंबर सबसे ज्यादा है और तुम टॉपर हो, लेकिन अगले दिन जब अखबरों में खबर आई तो उसके अनुसार स्कूल सहित फातिमा को जिले का टॉपर घोषित कर दिया गया। कुछ अखबारों में दूसरे स्कूल के अनुराग श्रीवास्तव को जिला टॉपर बताया गया।

फातिमा को इंग्लिश में 98, हिंदी में 98, मैथ में 97, साइंस में 93 और सोशल साइंस में 95 और एडिशनल सब्जेक्ट में 98 नंबर मिले। कंप्लसरी पांच विषयों को जोड़कर फातिमा को कुल 481 (96.2%) नंबर मिले 500 में से।

इसी तरह अनुराग श्रीवास्तव को इंग्लिश में 95, हिंदी में 98, मैथ में 90, साइंस में 96, सोशल साइंस में 100 और एडिशनल सब्जेक्ट में 99 नंबर मिले। कंप्लसरी पांच विषयों को जोड़कर अनुराग को कुल नंबर 479 (95.8%) नंबर मिले।

इस हिसाब से देखेंगे तो जिले में साक्षी सिंह के नंबर सबसे ज्यादा आये, लेकिन अखबरों में फातिमा और अनुराग को टॉपर बताया गया। यह कैसे हुआ, इस बारे में पहले हमने वुडवर्ड पब्लिक स्कूल के प्रबंधक पुनीत मेहरा से बात की।

पुनीत कहते हैं, “हमने बेस्ट फाइव विषयों के नंबर जोड़कर टॉपर घोषित किया। हमने सीबीएसई बोर्ड बेस्ट फाइव नियम को अपनाया। इसके तहत अगर कंप्लसरी पांच विषयों में से किसी भी एक विषय का नंबर एडिशनल सब्जेक्ट से कम है तो उसकी जगह एडिशनल सब्जेक्ट का नंबर जुड़ जाता है। फातिमा और अनुराग के साथ भी ऐसा ही हुआ। फातिमा का साइंस में 93 नंबर था जो कि कंप्लसरी पांच विषयों में सबसे कम था जबकि एडिशनल सब्जेक्ट इनफॉर्मेशन टेक्टनोलॉजी में 98 नंबर हैं। हमने साइंस की जगह इनफॉर्मेशन टेक्टनोलॉजी के नंबर जोड़े।”

क्या बोर्ड का ऐसा कोई नियम है, इसके जवाब में पुनीत मेहरा साफ जवाब नहीं दे पाए क्योंकि सीबीएसई की वेबसाइट पर कहीं भी इसका जिक्र नहीं है।

फातिमा को जो नंबर मिले उनमें अगर 92 की जगह 98 जोड़ दिये जाएं तो कुल नंबर हो जाएंगे 486 यानी की 97.2 फीसदी। साक्षी से तीन नंबर ज्यादा। अनुराग श्रीवास्तव को भी इसी आधार पर जिला टॉपर घोषित किया गया। अनुराग के कंप्लसरी पांच विषयों में से सबसे कम मैथ में 90 नंबर आये जबकि एडिशनल सब्जेक्ट कंप्यूटर एप्लीकेशन में 98 आये। स्कूल ने 90 नंबर की जगह 98 नंबर जोड़े जिसके बाद उनके कुल नंबर 488 (97.6%) हो गये जो कि साक्षी से 5 और फातिमा से 7 नंबर ज्यादा हैं।

साक्षी सिंह के पिता संजय सिंह इस मामले को लेकर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। वे कहते हैं, “जब बोर्ड ने फोन पर पांच कंप्लसरी विषयों के ही नंबर जोड़कर मैसेज भेजे हैं तो स्कूल एडिशनल सब्जेक्ट के नंबर जोड़कर रिजल्ट कैसे जारी कर सकते हैं। सच तो यह है कि स्कूल प्रबंधन ने अपने चाहने वालों को आगे बढ़ाने के लिए टॉपर घोषित कर दिया। इसे आप ऐसे भी समझिये कि वुडवर्ड स्कूल ने फातिमा को जिला टॉपर घोषित करा दिया, जबकि जो नियम इन्होंने यूज किया उस हिसाब से अनुराग श्रीवास्तव टॉपर है। मेरी बेटी इसकी वजह से परेशान है।”
इस पूरे प्रकरण में अखबारों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। पत्र प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्होंने तो स्कूल ने जो दिया, वह छाप दिया।

देश के दूसरे हिस्सों के स्कूलों ने टॉपर कैसे निर्धारित किया, इस बारे में हमने और स्कूल संचालकों और अभिभावकों से बात की। बिहार की राजधानी पटना के नोट्रे डेम अकेडमी की छात्रा नव्या निमायक और आलिफा इश्तियाक ने 99 फीसदी अंकों के साथ पटना टॉप किया है। हमने नव्या के पिता गौतम दत्त से बात की।

नव्या को इंग्लिश में 99, हिंदी में 100, मैथ में 99, साइंस में 99, सोशल साइंस में 98 और एडिशनल विषय फाउंडेशन ऑफ आईटी में 100 नंबर मिले।

वे बताते हैं, “हमारे यहां टॉपर की घोषणा पांच जरूरी विषयों के नंबरों को जोड़कर किया गया है। अगर एडिशलन सब्जेक्ट का नंबर जुड़ता तो नव्या का नंबर और बढ़ जाता।”

भदोही में परेंशेटेज निकालने का जो तरीका अपनाया गया उसके हिसाब से नव्या को जरूरी पांच विषयों में से साइंस में सबसे कम 98 नंबर मिले हैं। अगर इसकी जगह फाउंडेशन ऑफ आईटी के 100 नंबर जुड़ते तो कुल नंबर हो जाते 497 यानी कि 99.4 फीसदी। इतने अंकों के साथ नव्या देश के टॉप फाइव टॉपर्स में आ जातीं, लेकिन नव्या के परेंशेटेज में जरूरी पांच विषयों को नंबर जोड़े गये जिस हिसाब से उन्हें कुल 495 नंबर (99 फीसदी) मिले।

मान्यता प्राप्त स्कूल के एक टीचर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “परशेंटेज निकालने का नियम पांच जरूरी विषयों को मिलाकर ही निकाला जाता है, लेकिन स्कूल संचालक अपने स्कूल को आगे दिखाने और अपने लोगों को टॉप पर दिखाने के लिए जैसे चाहते हैं वैसे ही नंबर जोड़ देते हैं। इसमें मीडिया की भूमिका भी रहती है। वे अखबारों में विज्ञापन देते हैं इसलिए अखबार स्कूलों के खिलाफ लिखते ही नहीं हैं।”

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आरपीएम अकेडमी के डायरेक्टर और गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय शाही फोन पर बताते हैं, “बेस्ट फाइव जैसा कोई नियम नहीं है। टॉप फाइव के आधार पर बच्चों का कितना पर्शेंट आया है, तय होता है। एडिशनल विषय का नंबर तभी जुड़ता है जब बच्चा जरूरी पांच विषयों में से किसी एक विषय में फेल हुआ हो। अगर जरूरी पांच विषयों में पास है तो छठवें विषय का नंबर जुड़ता ही नहीं। अगर स्कूल वाले ऐसा कर रहे हैं तो यह गलत है।”

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2019 में सीबीएसई बोर्ड ने एडिशनल सब्जेक्ट के बारे में जानकारी दी है। सात अप्रैल को सीबीएसई बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार 10वीं में अगर कोई छात्र साइंस, मैथ और सोशल साइंस जैसे विषयों में फेल होता है, तब ऐसी स्थिति स्किल विषय (अतिरिक्त छठवां विषय) का नंबर फेल हुए विषय की जगह जोड़ दिया जायेगा। इसके बाद बेस्ट फाइव सब्जेक्ट के आधार पर नंबर जोड़े जाएंगे, जबकि ऊपर खबरों में जिन मामलों का जिक्र है उनमें पांच जरूरी विषयों में बच्चे पास हैं, फिर भी अतिरिक्त विषयों का नंबर जोड़ दिया गया है।

इस मामले में सीबीएसई बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी श्वेता अरोरा, प्रयागराज ने बताया, “इस साल बोर्ड ने मेरिट लिस्ट जारी ही नहीं की है और हमारे यहां बेस्ट फाइव जैसा कोई नियम नहीं है। स्कूलों किस आधार पर टॉपर घोषित कर रहे हैं, यह उनका मामला है।”

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