क्या आशनाई के चलते गई महिला की जान ! आशाकर्मी के चाल चलन को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म
भदोही । जब कोई अपने संस्कारों से भटककर गलत रास्तो पर चलना शुरू कर देता है तो वह सिर्फ अपना ही पतन नहीं करता बल्कि अपने परिवार और समाज को भी बर्बाद कर देता है । इस सच से सभी वाकिफ हैं किन्तु चंद लम्हों की खुशी के लिए कोई ना कोई इसका शिकार बन हीं जाता है । ऐसे ही एक मामले में विवाहिता मौत की गोद में समा गई और पति जेल की सलाखों के पीछे पहुँच गया । जबकि पुलिसिया कार्रवाई के ऊपर भी अंगुली उठाई जा रही है । आरोप है कि गोपीगंज पुलिस असली अपराधी को बचाने के लिए पति को ही बलि का बकरा बना दिया ।
मामला जिले के गोपीगंज थाना क्षेत्र अन्तर्गत रयपुरी गांव का है जहाँ पूजा नामक आशा कार्यकर्ती की संदिग्ध परिस्थिति में 24 सितंबर को मौत हुई थी । उस समय उसका पति विजय विश्वकर्मा घटना के तीन दिन पूर्व से ही कार्यवश बाहर गया था । घटना के दिन दोपहर को जब वह घर आया तो उसकी पत्नी मृत अवस्था में पड़ी थी । उसके चेहरे पर चोट के निशान थे । विजय ने मीडीया को बताया था कि उसका साला बिना पुलिस को सूचना दिए शव के अंतिम संस्कार की बात कही किन्तु वह तैयार नहीं हुआ और रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुँच गया । लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बजाय उसे भगा दिया ।
उसके बाद विजय विश्वकर्मा ने गाँव वालों के साथ शव को गोपपुर तिराहा पर रखकर चक्का जाम भी किया। जिस पति को आज पुलिस ने हत्या का आरोपी बनाकर जेल भेज दिया । उसी की जिद पर पुलिस ने मजबूरन शव का पोस्टमार्टम कराया । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सांस घुटने से हुई मौत बताया गया । किन्तु इसके बाद भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया । जबकि विजय ने अपने साले संदीप विश्वकर्मा और उसके अज्ञात साथियो पर मुकदमा लिखने के लिए तहरीर दी थी । साथ ही उसने आरोप लगाया था कि उसके पत्नी की मोबाईल सहित कुछ अन्य सामान उठा ले गया था । घटना के 8 दिन तक कार्रवाई करने से आनाकानी कर रही पुलिस ने अब पति को ही आरोपी बना दिया । यह मुकदमा पुलिस ने मृतका के भाई की तहरीर पर दर्ज किया । पुलिस ने चार दिन से विजय को थाने में बैठा रखी थी । इसलिए गिरफ़्तार करने की जहमत भी नहीं उठानी पड़ी ।
गाँव में हो रही चर्चा और पति विजय के बयानों की माने तो पति पत्नी में अनबन बनी रहती थी । वह आशाकर्मी थी और बिना बताए घर से गायब रहती थी । जिसे लेकर दोनों में अक्सर तूतू मैमै भी होती थी । लेकिन उसकी मौत के बाद जाँच के लिए सबसे अधिक विजय ही कार्रवाई के लिए परेशान था । यदि वह चक्का जाम नहीं करता तो पुलिस शव क़ा पोस्टमार्टम भी नहीं कराती । इसके बावजूद विजय को ही आरोपी बना देना किसी के गले नहीं उतर रहा । इस मामले में कोतवाल कृष्णानंद राय ने कहां की मामले की पूरी तरह से जांच पड़ताल कर ली गई है पति ही अपने पत्नी का हत्यारा है घटना वाले दिन संदीप का लोकेशन महाराजगंज में ही था।