योगी सरकार भले ही प्रदेश में कानू का राज स्थापित करने की बात करें किन्तु भदोही पुलिस अपने कारनामों से सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम करती ही रहती है। ऐसा ही एक मामला बुधवार को सामने आया जब बिना किसी कसूर के भदोही पुलिस ने एक सम्मानित बुजुर्ग व्यक्ति को पांच घण्टे थाने में बिठाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया। मामला ज्ञानपुर कोतवाली के जोरई गांव का है, जहां राजस्व के एक मामले में पुलिस ने असंवैधानिक रूप से यह कार्य किया।
बता दें कि ज्ञानपुर से सटे हुये ग्रामसभा जोरई का है। प्रकरण पैतृक सम्पत्ति को लेकर था। बताया जाता है कि पैतृक सम्पत्ति तीन जगह थी। जिसमें से एक जगह को गजराज यादव ने 20वर्ष पूर्व चुपके से बेच दिया था और एक जगह जबरन कब्जा कर रखा है। वहीं गजराज यादव की ज्यादितियों से तंग आकर सुखराज यादव ने भी अपने हिस्से की जमीन बेच दिए। इससे गजराज यादव तिलमिला उठा और स्थानीय कोतवाली को नाजायज प्रभाव में लेकर सुखराज यादव को अवैध हिरासत में करवाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया।
ज्ञानपुर पुलिस ने सम्मानित बुजुर्ग को पांच घण्टे तक कोतवाली में बिठाकर रखा। जबकि पुलिस विभाग में ऐसी कोई वैधानिक व्यवस्था नहींं है कि किसी शिकायत की जांच लोगों को जबरन थाने में बिठाकर किया जाए। उक्त मामला राजस्व विभाग से सम्बंधित है। इस प्रकरण में किसी भी पक्ष द्वारा न तो गाली गलौज हुई है और न ही मारपीट हुई है। इसके बावजूद भय पैदा करने के लिये बुजुर्ग को बिठाकर रखा। जबकि पुलिस का काम शान्ति व्यवस्था कायम रखना है न की जनता में भय पैदा करना।
यदि पुलिस को यह लगता है कि किसी कार्य से शान्ति व्यवस्था भंग हो रही है तो उसका वैधानिक विकल्प है, जिसमें पुलिस धारा 107/16 में रिपोर्ट बनाकर एसडीएम के समक्ष कार्रवाई के लिये प्रस्तुत कर सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि पुलिस द्वारा पांच घण्टे थाने में बिठाकर बुजुर्ग को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का कार्य किया।
हालांकि इस मामले में ज्ञानपुर कोतवाल भैया छविनाथ सिंह का कहना है कि किसी को पकड़कर नहीं लाया गया था बल्कि वे लोग खुद ही थाने आये थे। गौरतलब है कि जब वे खुद ही थाने आये तो किस आधार पर पुलिस उन्हें पांच घण्टे बिठाये रखी और क्या जांच करती रही।