भदोही। गत दिनों रसोई गैस से चल रही एक स्कूल वैन में आग लगने से 18 बच्चों के झुलस जाने के बाद भदोही प्रशासन अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागा और बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लगभग 100 की संख्या में अवैध ढंग से चल रहे विद्यालयों को सीज करने की कार्रवाई की गयी। किन्तु सवाल यह उठता है कि अवैध विद्यालयों के जनक असली गुनहगारों की तरफ जिला प्रशासन का ध्यान ही नहीं जा रहा है। जब प्रशासन असली गुनहगारों को बचा रहा है तो कुछ दिन बाद फिर अवैध विद्यालय संचालित होने शुरू हो जायेगे। जो मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर देंगे।
गौरतलब हो कि गांव से लेकर शहर तक शिक्षा एक बड़े व्यवसाय का स्वरूप ले चुका है। बेरोजगारी से त्रस्त युवा कहीं पर एक दो कमरे की जगह लेकर स्कूल खोल दे रहे हैं। इन स्कूलों में अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने की लालच और अच्छी शिक्षा की चाह में अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला करा देते हैं। जिन्हें शिक्षा विभाग भी शह देता है। निश्चित तौर पर इतनी बड़ी संख्या में संचालित हो रहे विद्यालय बिना शिक्षा विभाग की शह के संचालित नहीं हो सकते हैं।
सामान्य तौर पर ऐसे विद्यालयों पर शिक्षा विभाग द्वारा कभी कार्रवाई करने की बात सामने नहीं आती है किन्तु जब कोई हादसा होता है तो अपना दामन बचाने के लिये प्रशासन ऐसे विद्यालयों को निशाना बनाना शुरू कर देता है। जिसके कारण मासूम बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है। सोचने वाली बात यह है कि ऐसे विद्यालयों को पैदा करने वालों पर शिक्षा विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता है।
बता दें कि जो विद्यालय सीज किये जा रहे हैं वे अपने यहां पढ़ने वालों बच्चों का नामांकन ऐसे स्कूल में कराते हैं जो मान्यताप्राप्त होते हैं। इसके लिये मान्यताप्राप्त विद्यालय अवैध ढंग से चल रहे विद्यालयों से एक मोटी रकम वसूलते हैं। बच्चों का नामांकन भले ही ऐसे विद्यालयों में कर लिया जाता है, लेकिन उनकी परीक्षा आदि उन्हीं अवैध विद्यालयों के द्वारा होती है जो सीज किये जा रहे हैं।
इसी तरह बिना मान्यता के चलने वाले कुछ विद्यालय अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालयों में भी करा देते हैं। ऐसे बच्चों की हाजिरी इन सरकारी विद्यालयों में बिना स्कूल गये ही लगती है। और तो और जो बच्चे स्कूल नहीं आते हैं उनके नाम पर मिड—डे मिल का भोजन भी सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान मिलकर खा जाते हैं।
यदि वास्तव में जिला प्रशासन अवैध ढंग से चलने वाले विद्यालयों के प्रति गंभीर है तो उन स्कूलों पर भी कार्रवाई होनी चाहिये जो अवैध तरीके से बच्चों का नामांकन करके गैर मान्यता वाले स्कूलों को संरक्षण दे रहे हैं। कानून की नजर में अपराधी सिर्फ वहीं नहीं होता है जिसने अपराध किया हो बल्कि अपराधी वह भी होता है जो अपराधियों को संरक्षण देने के साथ उनका मनोबन बढ़ता है। यदि ऐसे विद्यालयों के उपर कार्रवाई नहीं की गयी तो यह सिलसिला रूकने वाला नहीं है और मासूमों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ होता रहेगा।