भदोही। लोकतंत्र में चुनाव की प्रक्रिया इसलिये होती है कि आम जनता अपने लिये एक ऐसा प्रतिनिधि चुने जो देश की सर्वोच्च संसद में जाकर उसाके क्षेत्र के मुद्दे को उठाये और उसके निदान के लिये प्रयास करे, किन्तु अब लोकतंत्र के महत्व को समझने वाले नहीं रह गये है। अब चुनाव विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर नहीं बल्कि धर्म और जाति को लेकर होने लगी है। ऐसा ही भदोही में भी हो रहा है।
भदोही लोकसभा में भी कोई प्रत्याशी विकास की बात नहीं कर रहा है। उसके पास कोई ऐसी योजना नहीं है कि वह बताये कि भदोही में विकास की धारा कैसे प्रवाहित होगी। स्वास्थ्य की सुविधायें कैसे बेहतर होगी। छात्रों को उच्च शिक्षा के लिये बाहर न जाकर भदोही में ही सुविधायें दी जायेगी। भदोही के लिये नारकीय बन चुका अधूरा ब्रिज कैसे पूरा होगा। भदोही में रोजगार के अवसर कैसे उपलब्ध होंगे। हद तो यह है कि प्रत्याशी ही नहीं बल्कि वोटर भी उसी राह पर चल रहे हैं। चुनाव में खड़े लोगों से कोई यह सवाल नहीं पूछ रहा कि उनके पास भदोही के विकास के लिये योजनायें क्या हैं। विरोध जातिगत टिप्पणियों और भ्रष्टाचार को लेकर हो रही हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि भदोही लोकसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा गया है जिनकी राजनीति की नींव ही जातिगत राजनीति पर हुई है। कांग्रेस प्रत्याशी रमाकांत यादव ने आते ही पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों का मसीहा बनने के चक्कर में ब्राह्मणों के बारे में आपत्तिजनक बयान देकर खुद को प्रचारित करने की कोशिस की। शायद प्रचार में कुछ बाकी रह गया था इसलिये नामांकन के दिन सामंतों को हाथ काटने की धमकी तक दे डाली ताकि पिछड़ों को खुश किया जा सके। बसपा में रहकर जाति की राजनीति करने वाले रमेश बिंद भाजपा में आये तो उनके पिछले कर्म उनका पीछा नहीं छोड़े और एक पुराना वीडियो पटल पर लाकर बखेड़ा खड़ा कर दिया। जिसमें उन्होंने ब्राह्मणों को अपमानित करने वाली कठोर बात कर डाली। अब वे वीडियो को फर्जी और विरोधियों की साजिश बता रहे हैं। लेकिन इस वीडियों को वायरल करने की किसकी साजिश है उसका खुलाशा भी आपको चौंका देगा।
वही चुनाव में गठबन्धन प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा के ऊपर लगे लैकफेड घोटाला, जमीनो पर कब्जा करने, भ्रष्टाचार करने, बसपा सरकार में ब्राह्मणो के ऊपर लगे फर्जी मुकदमे में चुप्पी साधने जैसे आरोपो की भरमार हैं ।
भदोही में सिर्फ एक दूसरे के समर्थक आरोप प्रत्यारोप लगाने में जुटे हैं । भ्रष्टाचार, जनेऊ उतारना, हाथ काटना, एक दूसरे को नीचा दिखाकर वोटरों को जाति और धर्म को बांटने और वोट लेने की साजिश में विकास के मुद्दे गौड़ हो गई हैं ।