कहा जाता है कि जिस जमीन से आपकी रोजी रोटी चलती हो उस जमीन के लिये कुछ जिम्मेदारियां भी होती हैं। ऐसा ही देखा जाता है राजस्थान की मिट्टी में जन्में उन रणबांकुरों के वंशजों का जो भदोही में रहकर अपनी जन्मभूमि का नाम रौशन कर रहे हैं। रोजी रोटी के लिये भदोही को अपनी कर्मभूमि बनाये ऐसे समाजसेवियों की एक लंबी फेहरिश्त है जो सिर्फ कमाने ही नहीं आये हैं बल्कि अपने प्रदेश का सिर भी गर्व से उंचा कर रहे हैं।
बता दें कालीन नगरी भदोही में कच्चा माल के रूप में काती की बड़ी मात्रा में आपूर्ति होती है। यह काती राजस्थान के पानीपत आदि जगहों से मंगाई जाती है। लिहाजा काती कंपनियों के प्रतिनिधि व व्यापारी भारी संख्या में भदोही में रहते हैं। इन प्रवासियों का सामजिक संगठन भी है जो विभिन्न सामाजिक कार्यो में भागीदारी निभाते हैं।
ऐसा नहीं है कि भदोही में कोई सामाजिक संगठन नहीं है। यहां पर बड़े बड़े उद्योगपति हैं, किन्तु दो चार लोगों को छोड़ दिया जाये तो उनके अंदर समाज के प्रति सार्थक सोच देखने को नहीं मिलती है। वहीं राजस्थान से आये लोगों ने कई ऐसे काम किये हैं जिसकी झलक कहीं न कहीं दिख जाती है। भदोही रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर यात्रियों को ठंडा पानी पिलाने की व्यवस्था रेलवे ने भले ही न किया हो किन्तु भदोही के समाजसेवियों पर हावी राजस्थान की छाप देखने को मिल जाती है।