Home मुंबई जो मित्रता अपने मित्र के काम न आये वह मित्रता नहीं- सरस

जो मित्रता अपने मित्र के काम न आये वह मित्रता नहीं- सरस

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मुम्बई: उत्तर भारतीय महासंघ द्वारा आयोजित भाण्डुप मारूति मंदिर लेकरोड मे श्री राम कथा के भव्य आयोजन के तृतीय दिवस पर कथावाचक व्यास शिवाकांत मिश्रा ‘सरस’ ने कहा-
मित्रलाभे तथा नष्टद्रव्यस्य च गवेषणे।
श्रुत्वा पठित्वा कैष्किन्ध्यं काण्डं तत्तत्फलं लभेत्॥
बृहद्धर्मपुराण के अनुसार ‘रामायण’ के किष्किंधाकाण्ड का पाठ करने से मित्रलाभ और बिछड़े परिजनों से मिलन होता है। मित्रता और भक्त के भाव और गुणों को समझने के लिए इस भाग को अहम माना जाता है। इस भाग में राम-हनुमान मिलन, वानर राज सुग्रीव से मित्रता, सीता को खोजने के लिए सुग्रीव की प्रतिज्ञा, बाली व सुग्रीव का युद्ध, बाली-वध, अंगद का युवराज पद, ऋतुओं का वर्णन, वानर सेना का संगठन का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त हनुमान का लंका जाना, जाम्बवंत की हनुमान को प्रेरणा आदि का व्याख्या की गई है। किष्किंधा काण्ड मे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने मित्र किसे कहते है उसका बखूबी छाप छोड़ी है उनके इन समय के लिलाओ मे साफ है,कि जो मित्रता अपने मित्र के काम नहीं आये उसे मित्रता नहीं कहते। सुग्रीव ने भगवान श्री राम के मित्रता पर विश्वास किया जिससे सिद्ध हो गया किविश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऎसा मित्र मिल जाये उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल गया। बजरंगबली ने सुग्रीव के साथ मित्रता किष्किंधा काण्ड मे साफ तौर पर दर्शाता है किहमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची सहानुभुति होनी चाहिए- ऎसी सहानुभूति जिससे एक के हानि-लाभ को दूसरा अपना हानि-लाभ समझे। मित्रता के लिए यह आवश्यक नही है कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या एक ही रूचि के हो। मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ घटित घटनाओं ने किष्किन्धा काण्ड मे मित्रता की व्याख्या से ओतप्रोत करती हैं। भगवान को वनगमन मे सुग्रीव, हनुमानजी, जामवंत आदि का मिलना यही दर्शाता है जब कोई युवा पुरुष अपने घर से बाहर निकलकर बाहरी संसार में अपनी स्थिति जमाता है, तब पहली कठिनता उसे मित्र चुनने में पड़ती है। मर्यादा पुरुषोत्तम ने वही किया बाली रूपी अधर्म का वध किया। कथा समापन के उपरांत विशिष्ट अतिथि मे आये शिवसेना उपशहर प्रमुख संदीप त्रिपाठी, पूर्वांचल वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष प्रविण मिश्रा, काग्रेस नेता जय प्रकाश सिंह,सुनिल वीर,पप्पूजी यादव,आनंद पाण्डेय,युवा नेता विकास पाण्डेय ने व्यास जी से आर्शीवाद लिया। इस कार्यक्रम की संयोजिका अधिवक्ता योगिता अनुपम दुबे,मंगला शुक्ल, राजधर मिश्रा समेत विजय तिवारी, संतोष पाण्डेय, काशीनाथ, मुकेश शुक्ल, एच एन सिंह, अविनाश विश्वकर्मा आदि ने सभी श्रोताओं का आभार जताया।

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