कल्याण(मुम्बई): भोजपुरी जिसे आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए लंबे समय से भोजपुरी भाषी क्षेत्र के लोग प्रयासरत हैं। बुद्धिजीवियों का भी यही मत है कि भोजपुरी समृद्ध भाषा बने, ¨कतु इसी भोजपुरी को कुछ ओछी मानसिकता के लोग बदनाम करने पर तुले हैं।जी हां हम बात कर रहे हैं भोजपुरी के नाम पर समाज में परोस जा रहे अश्लील गाने की।
भोजपुरी गायक जो भी मन में आए, नारी समाज पर छींटाकशी करते हुए, बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघते हुए कोई भी गीत लांच कर दे रहे हैं। अभी के समय में सब जगह से लेकर भीड़-भाड़ वाले स्थानो पर इसी तरह के गीतों का बोलबाला है। काफी तेज अवाज में जब ये गीत बजने शुरू होते हैं, तो नारी समाज की आंखे शर्म से झुक जाती है। बावजूद इसके इस पर रोक लगाने या इस पर बहस के लिए प्रशासन या कोई राजनीतिक दल आगे नहीं आना चाहता। ऐसे में बुद्धिजीवियों ने केंद्र व प्रदेश सरकार से भोजपुरी के नाम पर परोसे जाने वाले फुहड़पन युक्त अश्लील गानों के लिए सेंसर स्थापित करने की मांग की है।
अश्लील गानो पर भोजपुरीया समाज जता रहे है नाराजगी भोजपुरी गानो के छिछोरेपन एवं अश्लीलता के प्रति समाज के सभ्य लोग अब अपनी नाराजगी जता रहे है, और जताना भी चाहिए, क्योकि दिन ब दिन भोजपुरी गायक तथा लेखको को अपने ही समाज मे अश्लील गाने परोसकर अपने ही समाज की बदनामी एवं खिल्ली उड़ा रहे है दूसरे समाज के लोगो द्वारा यह माजरा अब समझ से परे है।
बता दे कि हाल ही मे उतरप्रदेश, बिहार एवं झारखंड मे एक गाना धूम मचा रहा है जिसका मुखङा है, पाण्डेय जी का बेटा हूँ।
पाण्डेय जी, मिसिर जी आदि जिन गानो मे ऐसे सरनेम रहते है वैसे लोग ऐसे गाने सुन तनिक ज्यादा ही कुंठित हो जाते है। और किसी के विचारो एवं भावनाओ को ठेस ना लगे,ऐसा विचार भोजपुरी के गायको और लेखको को भी रखने चाहिए । चपक के चुम्मा लेता हूँ । ऐसे में सरकार को कड़ी से कड़ी कार्यवाही करें और समाज को स्वच्छ बनाये ।