बस्ती : आवास विकास कालोनी स्थित डॉन बॉस्को स्कूल परिसर में शुक्रवार को दर्शकों ने संस्कारों पर आधारित अवधी लोक गीतों का आनंद लिया। मंच पर लोक गायिका डॉ प्रतिमा यादव और उनकी टीम जब अवधी संस्कृति में प्रचलित संस्कारों पर आधारित गीत गा रही थीं तो बैठे दर्शक मनमोहक गीतों को उनके साथ-साथ गुनगुना रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन प्रीती महिला एवं बाल विकास सेवा संस्थान बस्ती व संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में सदर विधायक दयाराम चैधरी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा की कहा कि पूर्वांचल के 25 जिले ऐसे हैं, जो अवधी भाषी क्षेत्र में आते हैं। इसमें सात करोड़ से ज्यादा लोग भोजपुरी भाषा का प्रयोग करते हैं।
इस मौके पर नगर पालिका बस्ती की अध्यक्ष रूपम मिश्रा ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से नई प्रतिभाओं का प्रोत्साहित कर आमजन को आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता, कला और संस्कृति से जोड़ा जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा लोक जीवन से जुड़े ये लोक गीत हमारी संस्कृति की ही संगीतमय अभिव्यक्ति हैं। इन गीतों के जरिए कोई भी इंसान जीवन से सीधे जुड़ जाता है, चाहे वह दुनिया के किसी कोने में हो। वह सहज ही पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना से सहज जुड़ जाते हैं। पुष्कर मिश्र ने कहा जिन फिल्मों में भी लोकाचार के दृश्य या गीत होते हैं, वो फिल्म हिट भी होते हैं, और सालों-सालों के बाद भी लोग उसे दर्शक याद रखते हैं। विद्यालय के प्रबन्धक राजेश मिश्र ने कहा की संस्कृति भौतिक रूपों के विकास की वह प्रक्रिया है, जिसे भारत की ज्ञान परंपरा के पुरोधाओं ने सत्य की समग्रता में रस का निरूपण कर के जन-मन के बीच प्रवाहित किया। समाजसेवी राना दिनेश प्रताप सिंह नें कहा कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में जो सोलह संस्कारों का जिक्र मिलता है, उन्हें सिर्फ रीति-रिवाजों से न जोड़कर कर्मों और मूल्यों से जोड़ना चाहिए।
संस्थान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में लोकगायिका डॉ प्रतिमा यादव ने अवधी लोक संस्कृति पर आधारित संस्कार गीत पेश किए। प्रतिमा के के सहयोगी कलाकारों ने ढोलक, हारमोनियम और मंजीरे की लय पर शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने श्रेष्ठ संतान के जन्म, नामकरण, विधा आरम्भ, कर्ण छेदन, मुंडन संस्कार और विवाह जैसे संस्कारों पर आधारित गीत सुनाकर वाहवाही बटोरी।
कार्यक्रम की शुरुआत गायिका डॉ प्रतिमा ने अवधी गीत श्रेष्ठ संतान की कामना के लिए बंसी तो बाजे राजा रंगमहल मा… सुनाकर की। इसके बाद उन्होंने गोद भराई के समय गाया जाने वाला गीत सउरी मां सोंठ के लड्डू बनावौश् और जन्म के समय गाया जाने वाला गीत बधैया बाजे अंगने … गाया। कार्यक्रम स्थल पर बैठे दर्शक एक के भी गीतों पर झूमते रहे। डॉ प्रतिमा के साथ सहयोगी गायक-गायिकाओं ने समूह गानकर लय-ताल का शानदार उदाहरण पेश किया। लोक गायक अमरेश पाण्डेय अमृत ने निमंत्रण के समय में गाया जाने वाला गीत पूजहूं गणपति गौरी प्रथम सखी… अन्न प्राशन के समय गाया जाने वाला गीत बाबा की गोदी मां बईठै ललन किलकावै हो…श् और जनेऊ संस्कार गीत पूछहिं कौशल्या रानी, राजा दशरथ से बात… सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ने सहयोग दिया। कार्यक्रम में दर्शकों ने विभिन्न संस्कारों पर आधारित एक से एक अवधी लोक गीतों का आनंद लिया। छात्र-छात्राओं ने संस्कार गीतों पर अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जिसमें मुख्य रूप से प्रांजलि सिंह, श्रेया सिंह, रूमी यादव, ममता यादव , शिवांश मिश्रा , श्रेया मिश्रा, प्रमात्मा चैहान, शामिल रहे।
कार्यक्रम में जनार्दन यादव, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, मुकेशमणि त्रिपाठी, तन्मय पाण्डेय, परमेश्वर शुक्ल, राममूर्ति मिश्रा,सीमा वर्मा, नम्रता पाण्डेय, प्रियंका सिंह, उपमा त्रिपाटी,डॉ नवीन सिंह, शुभ्रा सिंह, अमरेश चन्द्रा, ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर भोजपुरी अभिनेता रविशंकर मिश्र , विनोद उपाध्याय, जय प्रकाश उपाध्याय , जीतेन्द्र कौशल सिंह, अनूप मिश्र, सम्मानित हुए। कार्यक्रम का संचालन पंकज त्रिपाठी ने किया इस अवसर पर विशाल पाण्डेय, प्रीती शुक्ल, आशीष , सुभाष मणि त्रिपाठी, उपस्थित रहे कार्य के समापन अवसर पर सचिव बृजेश शुक्ल ने सभी का आभार व्यक्त किया।