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भोला शुक्ल ने उतारा भोलेपन का चोला, पंचायत चुनाव से भदोही की राजनीति में देंगे मजबूत दस्तक

भदोही. जिले में एक बार फिर सुर्खियों में बने भोलानाथ शुक्ल को लेकर भदोही की ठहरी राजनीतिक हलचल में लहरें उठने लगी हैं। कयास लगने लगे हैं कि श्री शुक्ल की नजर इस बार सामान्य सीट हुई जिला पंचायत चुनाव पर जम गई है। हालांकि खुद उन्होंने इसका संकेत तो नहीं दिया है। किंतु समाज सेवा के रास्ते उनकी गतिविधियों को देखते हुए यहीं लग रहा है कि भदोही जिला पंचायत पर नजर जमाए कपसेठी चंदौली घराने को पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र परिवार के अलावा जिले में भोलानाथ शुक्ल की भी चुनौती से जूझना पड़ सकता है। वैसे ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र को जेल में पहुंचने एवं पारिवारिक विवादों में उलझने से यहीं लग रहा था कि अब प्रयागराजी के बाद काशी वाले के हाथों में ही भदोही की चाबी होगी। ऐसा इसलिये किवह भदोही विधायक रविन्द्र त्रिपाठी के कपसेठी घराने से पुराना रिश्ता है । इसे देखते हुये लोग श्री त्रिपाठी को कपसेठी घराने का ही एक हिस्सा मानते हैं। लोगों को यह भरोसा है कि जिले में काबिज होने की जंग में पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र परिवार आगे बढ़ा तो उन्हें थामने के लिए त्रिपाठी घराना और कपसेठी घराना संयुक्त प्रयास करेगा। किंतु इस बीच भोलानाथ शुक्ल की एक बार फिर बढ़ी सक्रियता जानकारों को यह समझने को मजबूर कर दिया है कि यदि भदोही की सत्ता पर कपेसेठी घराना आगे बढ़ा तो उसे रोकने के लिए औराई से रंगनाथ मिश्र परिवार और सुरियावा से भोलानाथ शुक्ल चुनौती बनकर सामने होंगे।
यह कहने में संकोच नहीं कि भदोही जनपद सृजन के 5 वर्ष बाद से ही भदोही पड़ोसी दबंग राजनीतिको राज्यों के लिए चारागाह बन गयी थी। इस बार यह विजय मिश्र से खाली है। बाहुबली श्री मिश्र को जेल पहुंचने से अन्यो की नजर भदोही की खाली राजनीतिक वनक्षेत्र क्षेत्र की हरियाली हलक में उतारने की है। वैसे रंगनाथ मिश्र जिस तरह पंचायत राजनीत से उदासीन रहे, उससे उन्हें कभी जिला पंचायत का अखाड़ेदार नहीं माना गया किन्तु पिछले दो चुनावों में जिस तरह उन्हें पराजय मिली उससे उनका नजरिया बदल गया। पिछले चुनाव में उन्होंने ब्लॉक स्तर से राजनीतिक खेल शुरू किया और अपने बड़े पुत्र विकास को औराई ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर बैठा दिया। इससे उत्साहित श्री मिश्र सामान्य सीट घोषित हुई भदोही में यदि अपने छोटे चिकित्सक पुत्र डा. ज्ञान मिश्र को जिला पंचायत अध्यक्ष पद सौंपने की जंग में जोर आजमाइश करें तो आश्चर्य नहीं। उनके कई करीबी यह मान रहे हैं कि श्री मिश्र मौका भुनाने के माहिर हैं और उसे भुनायेंगे भी।  इधर पिछले पंचायत चुनाव में ब्लॉक व वार्ड वार अपने सामाजिक संगठन के बैनर तले जिले में अधिसंख्य सीटों से अपनी अपना बीडीसी और डीवीसी लड़ा चुके भोलानाथ शुक्ल इस बार अपनी पूरी ताकत जिला पंचायत पर कब्जे की करेंगे।
बताया जाता है कि उनका प्रयास भाजपा की छत्रछाया में जिला पंचायत की कुर्सी तक पहुंचना है। इसके लिए वे सधे कदम चाल भी बढ़ा दिये हैं।  गोसंरक्षण के लिए गौशाला संचालन कर देश प्रदेश सरकार की नजरों में आना और श्री राम जन्म भूमि समर्पण निधि के रूप में खुद 11 लाख से अधिक और अपनी धर्म पत्नी के द्वारा 15 लाख से अधिक राशि समर्पण कर श्री शुक्ल का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों का चहेता बन जाना इस बात का प्रमाण है कि श्री शुक्ल अब अपनी राजनीतिक पारी भाजपा की छत्रछाया में ही शुरू करेंगे। श्री शुक्ल का उक्त प्रयास कपसेठी घराना और भदोही विधायक रविंद्र त्रिपाठी परिवार को दोहरी चुनौतियों में डालने जैसा है। क्योंकि दोनों घराने भाजपा के ही हैं। संघ और भाजपा के बड़े पदाधिकारियों की नजरों में बसते जा रहे श्री शुक्ल के लिए यदि भाजपा हामी भर दी तो उन सपनों का क्या होगा जिसे भाजपा के लोगों ने ही पाल रखा है। बहरहाल भोलानाथ शुक्ल की तैयारी किसी किस को भारी पड़ेगी यह तो वक्त बतायेगा। किन्तु सच तो यहीं है कि जो लोग भोला को सिर्फ भोला ही मानते रहे उनके लिये श्री शुक्ल के करीबियों का दावा है कि उन्हें जान लेना चाहिये श्री शुक्ल ने अब अपने भोलेपन का चौला उतार दिया है।

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