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सीबीआई पर बड़ा ख़ुलासा, कांग्रेस के इशारे पर बुना जा रहा था गहरा जाल, ऐसे ही नही गए आलोक वर्मा !

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एक और सनसनीखेज खुलासे से दहली भारतीय राजनीति, कांग्रेस के इशारे पर आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर CBI का छापा मार कर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे!

मोदी सरकार को गिराने के लिए एक और कोंग्रेसी साजिश का पर्दाफ़ाश हुआ है, जिसने भारतीय राजनीति में हड़कंप मचाया हुआ है। यहाँ ये भी साफ़ होता है कि कांग्रेस अपने अंत को देख कर किस कदर छटपटा रही है। सीबीआई में आंतरिक कलह और दो शीर्ष अधिकारियों के बीच आरोप प्रत्यारोप को लेकर सनसनीखेज खुलासा में मदलासा हुआ है।

प्रधानमंत्री कार्यालय पर सीबीआई का छापा मार कर बड़ी साजिश में लगे थे आलोक वर्मा!

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लेकर खुलासा हुआ है कि वो 10 जनपथ के इशारे पर काम कर रहे थे। और ना केवल काम कर रहे थे बल्कि मोदी सरकार को गिराने की कोंग्रेसी साजिश में भी शामिल थे।

खुलासे के मुताबिक़ कांग्रेस के इशारे पर आलोक वर्मा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार को संकट में फंसाने की साजिश कर रहे थे। खबर है कि आलोक वर्मा प्रधानमंत्री कार्यालय पर सीबीआई का छापा मार कर पीएम नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश में जुटे थे।

अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल का फोन टेप करवाया था।

रिपोर्ट के मुताबिक़ आलोक वर्मा सीबीआई में कांग्रेस के दलाल के रूप में काम कर रहे थे और अपने पद का दुरुपयोग कर सोनिया गांधी व् अन्य भ्रष्ट कोंग्रेसी नेताओं का कवच बने हुए थे। यही कारण है कि कोंग्रेसी नेताओं पर चल रहे भ्रष्टाचार के केसों को जानबूझ कर लटकाया जा रहा था।

इतना ही नहीं, आलोक वर्मा पर कांग्रेस के इशारे पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल का फोन टेप करने का आरोप भी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ आलोक वर्मा व राकेश अस्थाना दोनों कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे।

 चिदंबरम पूरे गैंग का सरगना।

आलोक वर्मा चिदंबरम गिरोह द्वारा संचालित थे, तो अस्थाना अहमद पटेल के संदेसरा ग्रुप से लाभ प्राप्त करने वालों में शामिल थे। कांग्रेस में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का चिदंबरम का पुराना इतिहास रहा है।

यूपीए-2 में प्रणव मुखर्जी की जासूसी कराने में पहले ही उनका नाम सामने आ चुका है। उनका पूरा गिरोह है, जिसमे वकीलों से लेकर पुलिस व् सीबीआई अधिकारी, सरकारी अम्लों में बैठे बड़े आला अफसर से लेकर न्यायपालिका में बैठे कई जज तक शामिल बताये जा रहे हैं।

 अजित डोभाल के आने से कोंग्रेसी साजिशें नाकाम।

यही कारण है कि पीएम मोदी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, दोनों पर एक साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर कांग्रेस के दोनों खेमे पर प्रहार किया है।

सीबीआई की गोपनीय बातें व् फाइलें कोंग्रेसी नेताओं तक पहुँचता था आलोक वर्मा।

ये भी सामने आया है कि सीबीआई द्वारा कोंग्रेसियों के केसों की फाइलों में मौजूद गोपनीय जानकारियां कोर्ट से पहले चिदंबरम की मेज पर पहुंचा दी जाती थी। यहाँ तक कि राहुल गाँधी तक को सीबीआई की आंतरिक जानकारियां पहुंचाई जाती थीं, यही कारण है कि आलोक वर्मा मोदी को फंसाने के लिए राफेल के कागजात का जुगाड़ कर रहे थे और ये बात राहुल गाँधी को पहले से ही पता थी।

मगर बुद्धि के मामले में तंग राहुल गाँधी खुद ही ट्वीट करके फंस गए। राहुल ने ट्वीट करके कहा कि, “सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया। प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा”।

जिससे तुरंत राहुल पकडे गए कि एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी क्या काम कर रहा था, इसकी जानकारी उनतक कैसे पहुंच गयी? यहाँ एक बार फिर से स्पष्ट हो गया कि आलोक वर्मा नाम का ये धूर्त सीबीआई अफसर दरअसल 10 जनपथ की कठपुतली था और राहुल गाँधी को गोपनीय सूचनाएं देकर इसने गोपनीयता का उल्लंघन भी किया।

राहुल गांधी के ट्वीट पर उन्हीं की पार्टी के पूर्व नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल किया कि आखिर राहुल गांधी को कैसे पता कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा राफेल के दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं? राहुल गांधी को निश्चित रूप से इस सवाल का खुलासा करना चाहिए।

 आलोक वर्मा के काले कारनामों पर एक नज़र।

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में अभी तक चार्जशीट न दाखिल की गई हो या फिर उसी मामले में दुबई में गिरफ्तार मुख्य आरोपी मिशेल के प्रत्यर्पण के मामले को लटकाना रहा हो। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में चार्जशीट न दाखिल करने की बात हो या उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई को सुस्त करना हो।

लालू प्रसाद यादव के आईआरसीटी (रेलवे होटल) घोटाला मामले में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को जांच करने से रोकना हो या फिर बिकानेर जमीन घोटाले में राबर्ट वाड्रा की जांच रोकने का मामला हो। इन सारे मामलों में आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी से लेकर उनके संबंधियों या उनके नजदीकी सहयोगियों को बचाने का आरोप है।

अगस्ता वेस्टलैंड में अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं क्यों?

अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में भ्रष्टाचार साबित होने के बाद भी आजतक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। आरोप है कि इसके पीछे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है।

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस घोटाले में सीधे तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम आया है. इतना ही नहीं इस घोटाले के मुख्य आरोपी (बिचौलिया) क्रिश्चियन मिशेल दुबई में गिरफ्तार किया गया।

सीबीआई और ईडी के संयुक्त प्रयास की वजह से दुबई की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण की भी मंजूरी दे दी थी, लेकिन अंत में उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया। जबकि मिशेल ने भारतीय अधिकारियों के सामने स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी का नाम लिया था, लेकिन अंत में उसका प्रत्यर्पण नहीं हो पाया। आरोप है कि कांग्रेस के दबाव के कारण ही आलोक वर्मा ने उनका प्रत्यर्पण नहीं होने दिया।

 एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट नहीं

एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में भी अभी तक पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं होने के पीछे आलोक वर्मा का ही हाथ बताया जा रहा है। आरोप है कि आलोक वर्मा पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर कांग्रेस आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहते थे।

जबकि ईडी और सीबीआई जांच के बाद यह करीब-करीब साबित हो चुका है कि पी चिदंबरम ने अपने बेटे को आर्थिक फायदा पहुंचाने के एबज में एयरसेल मैक्सिस कंपनी को अवैध तरीके 3,500 करोड़ रुपये के लिए एफआईपीबी की मंजूरी दी थी, जबकि यह काम आर्थिक मामले की कैबिनेट कमेटी का है।

लेकिन चिदंबरम ने उसकी सहमति के बगैर ही मंजूरी दे दी थी। इसके बाद भी अभी तक सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है।

पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई रोकने का आरोप

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर न केवल पी चिदंबरम को बचाने का आरोप लगाया गया है बल्कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चल रही कार्रवाई को भी रोकने का आरोप है। मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम से आईएनएक्स मीडिया मामले में ईडी ने कई बार पूछताछ की है।

ईडी के प्रयास से उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। कार्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के लिए आलोक वर्मा को ही जिम्मेदारा माना जाता है।

आईआरटीसी घोटाले में लालू प्रसाद यादव को बचाने का आरोप

यथावत के संपादक राम बहादुर राय ने अपने आलेख में एक जगह है लिखा है कि अगर लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री नहीं बनाए गए होते तो उन्होंने अपने परिवार के लिए जो संपत्ति अर्जित की ही है वह नहीं कर पाते।

ऐसे भ्रष्टाचारी को बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर है। आरोप है कि जब विशेष निदेशक राकेश अस्थाना आईआरटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव की जांच कर रहे थे तो आलोक वर्मा ने उन्हें लालू प्रसाद यादव की जांच करने से रोक दिया था।

कांग्रेस तो कांग्रस उसके नजदीकी सहयोगियों को भी बचाने का आरोप आलोक वर्मा पर लगता रहा है। दरअसल कहा जा रहा है कि ये एक इतना धूर्त और मक्कार किस्म का अधिकारी था, जो एक नंबर का बिकाऊ और मौकापरस्त था। पैसों व् निजी फायदे की खातिर ये कांग्रेस समेत अन्य दलों के भ्रष्टाचारी नेताओं को भी बचाता आ रहा था।

बिकानेर जमीन घोटाला मामले में राबर्ट वाड्रा के खिलाफ आगे नहीं बढ़ने दी जांच

बलात छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को भी बचाने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि बिकानेर में एक जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा का नाम आया था। इस मामले की जांच सीबीआई को करनी थी, लेकिन आलोक वर्मा ने उस जांच को आगे ही नहीं बढ़ने दिया।

आरोप है कि कि आलोक वर्मा ने ही दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच को रोक दिया था। आलोक वर्मा द्वारा जांच रोके जाने के कारण आज तक उसके खिलाफ जांच पूरी नहीं हो पाई है।

वामपंथी वकील प्रशांत भूषण की सहायता

इतना ही नहीं आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के लिए एक केंद्र बन गए थे। वे हमेशा से प्रशांत भूषण के संपर्क में रहे हैं। आरोप तो यह भी है कि आलोक वर्मा के कहने पर ही प्रशांत भूषण ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर उनकी सीबीआई के विशेष निदेशक के पद पर हुई नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया था।

इसके अलावा ये भी आरोप हैं कि आलोक वर्मा द्वारा लीक किये गए दस्तावेजों के आधार पर ही प्रशांत भूषण ने अस्थाना के खिलाफ स्टर्लिंग बायोटेक मामले से लेकर मोईन कुरैशी से संबंध के मामले को उछाला था।

अरुण शौरी तथा यशवंत सिन्हा भी साजिश में शामिल

साथ ही ये बात भी सामने आयी है कि पीएम मोदी के खिलाफ बीजेपी के मौकापरस्त नेताओं अरुण शौरी तथा यशवंत सिन्हा व् वामपंथी वकील प्रशांत भूषन के साथ मिलकर ये धूर्त सीबीआई अधिकारी आलोक वर्मा रफाल डील मामले में साजिश रच रहा था।

इस तिकड़ी ने सीबीआई को लिखी 132 पेज की चिट्ठी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में इनलोगों की मंशा पर पानी फेर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की प्रक्रिया पर सुनवाई की बात करते हुए इन लोगों की साजिश का बेड़ा गर्क कर दिया।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से सीबीआई में वापसी के जुगाड़ में लगा आलोक वर्मा

सुप्रीम कोर्ट से लात पड़ने के बाद ही इन लोगों ने आलोक वर्मा के माध्यम से सीबीआई के बहाने इस मसले को उठाने की योजना बनाई। आरोप है कि आलोक वर्मा कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के मुखौटा भर रह गए थे। वे मोदी सरकार को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले गहरे संकट में डालना चाहते थे, ताकि कांग्रेस को राजनीतिक रूप से भी लाभ मिल सके।

छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा अभी भी चुप नहीं बैठे हैं। वह अभी भी अपना पत्ता चल रहे हैं। खबर आ रही है कि ये भ्रष्ट व् मक्कार अफसर अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के समर्थन से दोबारा अपना ओहदा पाने के फिराक में है। दरअसल वे पीएमओ (भास्कर खुलबे और पीके मिश्रा) से टकराने का मन बना चुके हैं. जिस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (राजेंद्र कुमार) पर रेड डाला गया था। उनकी योजना पीएमओ में रेड डालने की थी।

कुल मिलाकर पीएम मोदी के खिलाफ षड्यंत्र किये जा रहे हैं। किसी तरह से उन्हें बदनाम कर दिया जाए या फिर उनकी ह्त्या करवा दी जाए ताकि कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सके क्योकि कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार व् लूट करना ऐसे अधिकारियों के लिए भी आसान रहता है।

(खबर सोशल मीडीया ,  चर्चा व सूत्रो के हवाले से ,  हमार पूर्वांचल खबर की पुष्टि नही करता )

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