Home भदोही जनता के सवालों के घेरे में भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद

जनता के सवालों के घेरे में भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद

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रिपोर्ट : ए के फारुखी

ज्ञानपुर-भदोही। 78-लोकसभा भदोही के भाजपा प्रत्याशी व मिर्जापुर में मझवां ब्लॉक से कई बार विधायक रहे रमेश बिंद मंझवा विधानसभा क्षेत्र के विकास का कभी भी ध्यान नहीं दिए। मंझवा ब्लाक के सभी 347 गांवों में विकास की कोई भी किरण आज तक नहीं है। अधिकतर इलाकों की आज भी सड़कें बदहाल व जर्जर हैं। स्वास्थ, विद्युत, पेयजल आदि की समस्याएं आज तक जस की तस बनी हुई है।

बताते चलें कि वर्ष 1989 से कांग्रेस प्रत्याशी लोकपति के चुनाव हारने के बाद से आज तक किसी भी सरकार द्वारा विकास कार्य नहीं कराया गया है। जनप्रतिनिधि रहते हुए रमेश बिंद सदैव क्षेत्र से गायब रहे हैं। चाहे वह छठहां अस्पताल की दुर्दशा हो या बेलवन का पुल और भटौली पुल की समस्या आज तक बरकरार है। बताया जाता है कि कांग्रेस के शासन में चलने वाली पैड़ापुर सिकरी से श्रृंगारमति धाम तक जाने वाली बस बंद होने के बाद रमेश बिंद के लंबे कार्यकाल तक भी नहीं चल सकी है।

बंधवा क्षेत्र के लोगों का आरोप रहा कि चुनाव जीतकर कई बार विधायक रहे रमेश बिंद कांतिपुर, गोदवा खैरही, रामनगर, सीकरी, पहाड़ी इलाकों में विकास का टोटा आज तक बना हुआ है। लेकिन रमेश बिंद विधायक ने उन पर कभी ध्यान नहीं दिया। फिर भी जनता किसी न किसी तरह दुख तकलीफ से अपना गुजर-बसर आज तक करने को मजबूर है। इनके कार्यों से नाराज जनता द्वारा धीरे-धीरे मंझवा क्षेत्र से विधायक रमेश बिंद की जमीन खिंचने लगी तो वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा से निष्कासित रमेश बिंद दल बदल कर भाजपा से भदोही के लिए किसी न किसी तरह चुनावी टिकट प्राप्त कर प्रत्याशी बन बैठे हैं। और सत्ता में आने को बेताब हैं। अन्य किसी राजनीतिक दलों द्वारा इन्हें चारा न मिलने पर भाजपा का दामन थाम लिया और अब मोदी जी के सहारे चुनावी भवसागर पार करने की फिराक में है।

कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि ब्राह्मण समुदाय के नाराज होने से यह बिरादरी के बल पर चुनाव नहीं जीत पाएंगे। अब भदोही संसदीय क्षेत्र के जागरूक मतदाता व भाजपा कार्यकर्ता एक तरफ तो मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। परंतु दूसरी ओर रमेश बिंद को वोट देना, मोदी के नाम पर भदोही की बलि देने के समान मानते हैं। लोगों का कहना है कि जनपद का विकास निधि करेगा कि मोदी जी वैसे भी लाला नगर के अमवा जनसभा में हुई मोदी की रैली में जो नारा था उसमें उन्होंने प्रत्याशी का नाम नहीं लिया था।

मात्र यही नारा था, की “दो बातें मत जाना भूल ,”नरेंद्र मोदी और कमल का फूल।” अब देखना यह है कि क्या मोदी जी के सहचारे रमेश बिंद चुनावी वैतरणी पार लगा पाएंगे या भाजपा मानसिकता का प्रत्याशी ना होने से मोदी लहर के बावजूद भी मोदी जी को यह सीट गवानी पड़ेगी?

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