कितनी दुखद बात है कि चरित्रहीन और चरित्रवान की परिभाषा अब पार्टी के साथ जुड़े होने पर हो गयी है। यदि छेड़खानी या दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति भाजपा का है तो उसे चरित्रवान का प्रमाण मिलना शुरू हो जाता है और आरोप लगाने वाली पीड़िता चरित्रहीन की श्रेणी में आ जाती है। वहीं आरोपी यदि सपा या किसी और पार्टी से जुड़ा है तो वह चरित्रहीन बता दिया जाता है।
गत दिनों भारतीय जनता पार्टी के कथित नगर अध्यक्ष प्रिंस गुप्ता पर एक पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे साथ भाजपा नेता और उसके साथियों ने छेड़खानी और मारपीट की।
जब यह खबर फैलने लगी तो भाजपा जन ओरापी को चरित्रवान का सर्टिफिेट देने में जुट गये और लड़की को ही गलत बताना शुरू कर दिया। आरोपी के पक्ष में लोग तारीफों के कसीदे पढ़ने लगे। महिला सुरक्षा का कथित नारा देने वाले भाजपाई आरोपी को बचाने में लग गये। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हो सकता है कि अभी तक पीड़िता लडत्रकी को सत्ता का डर दिखाकर चुप भी करा दिया गया हो।
वहीं सपा सरकार में जब विधायक जाहिद बेग के एक भतीजे पर छेड़खानी का आरोप लगा तो भाजपा जन सड़क पर उतर आये थे। आरोपी ही नहीं विधायक को भी चरित्रहीन घोषित करने लगे थे। भाजपा का यही दोहरा चरित्र लोगों का विश्वास अर्जित नहीं कर पाता है। सवाल उठता है कि किसी भाजपाई पर आरोप लगाने वाली पीड़िता चरित्रहीन क्यों घोषित की जाती है। क्या चरित्रवान और चरित्रहीन की परिभाषा भी राजनीति में मुंह छुपाने लगी है।
इनलोग का ज़मीर ही मर गया है !
दूसरी बात बाकी पार्टिया क्यो नही सड़क पर उतर रही है पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सोचने वाली बात है यह भी !