Home मुंबई धनतेरस के उपलक्ष्य में भाजभा प्रचार समिति की हुई काव्यगोष्ठी

धनतेरस के उपलक्ष्य में भाजभा प्रचार समिति की हुई काव्यगोष्ठी

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ठाणे। भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र के तत्वावधान में पावन पर्व धनतेरस व दीपोत्सव के उपलक्ष्य (दिनांक 26 अक्टूबर 2019 शनिवार) में वरिष्ठ साहित्यकार,गीतकार राम स्वरूप साहू जी की अध्यक्षता में भव्य कविगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में गज़लकार, डाॅक्टर वफ़ा सुल्तानपुरी मंच की शोभा बढ़ा रहे थे।काव्यगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ कवि, गीतकार, साहित्यकार ओमप्रकाश सिंह ने की।
कवियों ने श्रोताओं, साहित्यकारों का अपनी रचनाओं से दिल जीत लिया,मानो दिवाली के दीप जगमगा उठे और चारों तरफ वातावरण प्रकाश मय हो उठा।

कवियों में वरिष्ठ साहित्यकार भुवनेन्द्र सिंह विष्ट,अभिलाज अवस्थी, अल्हड़ असरदार, एडवोकेट अनिल शर्मा, सुश्री आर जे आरती साइया हिरांशी, रामप्यारे सिंह रघुवंशी, उमाकांत वर्मा, सुशील सिंह,एल बी शर्मा “कुवांरा”, टी आर खुराना, त्रिलोचन सिंह अरोरा,.कुलदीप सिंह दीप, किशन आडवाणी, गीतकार रामजी कन्नौजिया, रमेश दुबे आदि प्रमुख रूप से विद्यमान थे।कुछ साहित्यकारों की रचनाएँ-

वरिष्ठ गीतकार ओमप्रकाश सिंह ने दीपावली के दिया को अध्यात्म से जोड़ते हुए कहा-

दिया बनाकर तन का अपने,
मन का तेल भर डाला।
अहँकार को तीली दिखाकर,
जग में किया उजाला।।
गई अब रात ये काली, मनाये आज दिवाली।।

अपने इन्द्रियों के रथ को ,
बाहर से अँदर मोडें।
मृग..तृष्णा है जग यह सारा,
इससे नाता तोडेँ।।
आओ छोडें बेहाली, मनाये आज दिवाली।।

पँचतत्व से बने हैं हम,
और पँचतत्व से वो भी।
किससे ईर्ष्या.. द्वेष करें,
स्तुति करें हम किसकी।।
अरे लूटे खुशहाली, मनाये आज दिवाली।।

आओ इस पावन मौके पर,
आज ये कसमें खायें।
किसी के आँखों के आँसू के,
कारण ना बन जायेँ।
ये झोला ना हो खाली,मनाये आज दिवाली।।

इस भारत का बच्चा बच्चा,
गाये और मुस्काये।
हर जवान माँ बाप के पैरो,
पर नित.शीश झुकाये।
चेहरे पर छलके लाली, मनाये आज दिवाली।।

वरिष्ठ कवि अभिलाज ने अपनी गजलों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

दीया वफ़ा का प्यार की बाती से फ़िर जले।
चातक मिले खुदाया स्वाती से फ़िर मिले।

दीपावली की रात क्या दूँ दुआ बता?
उजड़ा हुआ नशेमन साथी से फ़िर मिले।।

एडवोकेट अनिल शर्मा ने चार लाइनों में सभी के दिलों को जीत लिया-

तुम लाख दिये जला लो, अपनी मकां मे प्रियतम ।
घर द्वार को सजा दो ,या खुद को सजा लो साजन।।
इक बात मेरी कान खोल, ध्यान से सुन लीजिये ।
” रोशनी ” हमारे आने से, ही होगी तुम्हारे आँगन ।।

अनोखे पर्व दिवाली विशेष पर वरिष्ठ कवि रामप्यारे सिंह रघुवंशी ने दिवाली पर प्रकाश डालते हुए कहा-

पर्व अनोखा दीवाली का,
वंदन-वार सजे हर द्वार,
द्रव्य की देवी महालक्ष्मी,
लेकर आई खुशी अपार।

वर्षा रानी सजा गयी है,
बन-उपवन, खेत-खलिहान,
देखो चारों ओर तना है,
हरियाली का नया वितान।

संध्या-देवी सजी हुई है,
फैल रहा है नया प्रकाश,
खग-विहंग नित कलरव करते,
गर्वित है मन का आकाश।

दीपों की इन मालाओं से,
जगमग जग होता चहुं ओर,
आतिशबाजी की अनुपम छवि,
मचा रही है घर-घर शोर…।

आओ हम भी दीप जलाकर,
दूर करें मन का अंधियारा..,
ऐसी ज्योति जले घट-घट में,
बहे प्रेम की अविरल धारा..।

सुख, शांति और समृद्धि
घर-घर में डाले अब डेरा,
हर जीवन में नई क्रान्ति हो,
हर घट में हो नया सबेरा..।

अल्हड़ असरदार ने अपनी पंक्तियाँ देश के नाम करते हुए कहा-

इस दिवाली में काम कर देगें।
साफ कचरे तमाम कर देगें।।
जिनको प्यारा जिहाद मिट्टी से,
उनको हूरों के नाम कर देगें।।

करवा चौथ पर विशेष रूप से डाॅक्टर रामस्वरूप साहू ने कहा-

प्रियवर प्यार तुम्हारा पाकर,
पूर्ण हुए जीवन दो आखर
तृप्त हुई मन अभिलाषायें,
तेरे बाहु पास में आकर।

उपरोक्त कवियों की तरह सभी साहित्यकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं से लोगों को आनंदित कर दिया और अंत में संस्था के अध्यक्ष रामप्यारे सिंह रघुवंशी ने दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें देते हुए, राष्ट्रीय गीत के साथ कविगोष्ठी का समापन किया।

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