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संजय विनायक जोशी जैसे नेताओं को अवसर देने से मजबूत होगी भाजपा-आशीष श्रीवास्तव

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हमार पूर्वांचल
बस्ती न्यूज़

बस्ती : पांच राज्योें के चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये पं. दीन दयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि समाजसेवा के लिये समर्पित लोगों की उपेक्षा के कारण भी एक बड़ा वर्ग निराश हो गया। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय विनायक जोशी जैसे लोगों को साजिशन हाशिये पर करने का ही दुष्परिणाम है कि निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने भाजपा से दूरी बना लिया।
यहां जारी विज्ञप्ति के माध्यम से आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि जब केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो ऐसा लगा था कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचार जमीनी धरातल पर आकार लेंगे किन्तु वे चंद समारोहों तक सिमट गये। समाज का अंतिम व्यक्ति बदलाव की प्रतीक्षा ही करता रहा। सरकार के प्रयास चंद समूहों तक सिमटे और वे उन तक नहीं पहुंच पाये जहां दरिद्र नारायण उम्मीद लगाये हुये हैं। पं. दीन दयाल जी के नव मानववाद, अन्त्योदय जैसे अनेकों संकल्पों से पार्टी ने जैसे दूरी सी बना लिया। नारा तो सबका साथ, सबका विकास का दिया जा रहा है किन्तु उसका व्यवहारिक परिदृष्य जमीनी नहीं हो सका।

आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अभी बहुत देर नहीं हुआ है। लोकसभा चुनाव से पहले यदि देश के किसानों, मजदूरों, दलित, वंचित समाज को भरोसा दिलाया जाय कि पार्टी उनके हितों के साथ न्याय करेगी, निष्ठावान कार्यकर्ताओं को उचित अवसर मिले तो स्थितियों को संभाला जा सकता है। संजय विनायक जोशी जैसे निष्ठावानों को पुनः समादार देना होगा जिससे भाजपा वैचारिक संकट से उबरकर उत्साहित हो सके। राजनीतिक दलों को कार्पोरेट की तरह नहीं चलाया जा सकता। कार्यकर्ता ही उसके प्राणतत्व है। लाखों की संख्या में भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता संजय विनायक जोशी की ओर निगाह लगायें हुये हैं कि उन्हें अवसर मिले जिससे संगठन और सरकार में संतुलन के साथ ही कार्यकर्ता खुद को जोड़ सके।
कहा कि यदि पांच राज्यों के चुनाव परिणामों से जिम्मेदारों ने सबक न लिया और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अवसर न मिले तो निश्चित रूप से जिस प्रकार के संकेत हैं, ऐसे में भाजपा खुद को मजबूत बना सकेगी इस पर संदेह है। यही समय है जब पार्टी के ऐसे लोगों को सामने लाया जाय जिनकी उपेक्षा की गई। जिम्मेदार लोग आयेंगे तो स्थितियों को पुनः संभाल लेंगे, इसके साथ ही कार्यकर्ताओं में एक नये वैचारिक शक्ति का संचार होगा।

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