आम नागरिकों के साथ अपराध करने वालों पर पुलिस शिकंजा कसने का काम करती हैं किन्तु वहीं पुलिस जब किसी ऐसे आरोपी को जिसके उपर सिपाही की हत्या का अरोप है अपना दुलारा बना ले तो कई सवाल भी उठ खड़े होते हैं। ऐसा ही एक आरोपी है इलाहाबाद का पशु तस्कर जो भदोही जिले में जीटी रोड के थानों का दुलारा बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि इन थानों के कुछ पुलिसकर्मी और अधिकारी इससे बात ही नहीं करते बल्कि बकायदा मिलने पर आवभगत भी करते हैं। सवाल उठना तब स्वाभाविक हो जाता है जब उस पर एक सिपाही की दर्दनाक हत्या का आरोप है और वह जमानत पर बाहर टहल रहा है।
बता दें कि भदोही जिले का जीटी रोड पशु तस्करी के लिये सबसे सेफ जोन माना जाता है। सूत्रों की मानें तो इस रोड से रोजाना दर्जनों पशु लदी गाड़ियों को पार कराया जाता है। पशु तस्करी की गाड़ियों को पार कराने में जीटी रोड की पुलिस का भी कथित तौर पर बड़ा हाथ होता है। कहा यह भी जाता है कि इस काले कारोबार में तीन चार नाम ऐसे जुड़े हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं। इन सबकी पुलिस से कथित तौर पर इतनी अच्छी जुगलबंदी होती है कि कौन सी गाड़ियां कब कहां से पार होती हैं इसकी पूरी जानकारी दे दी जाती है। जिन गाड़ियों द्वारा पुलिस के हाथ गरम होने की संभावना नहीं होती है, उन्हें पकड़ लिया जाता है और इसकी मुखबरी भी वहीं करते हैं जो इस काले कारोबार में लगे हुये हैंं।
भदोही पुलिस का रिकार्ड देखें तो जनवरी 2018 से आधे जून तक पशु तस्करी की एक भी गाड़ी नहीं पकड़ी गयी थी। जबकि जनवरी 2018 के पिछले 10 महीनों का रिकार्ड बताता है कि 4500 से ज्यादा पशुओं को मुक्त कराया गया था, 275 तस्करों की गिरफ्तारी और 80 से ज्यादा मुकदमें दर्ज कर पुलिस ने वाहवाही लूटी थी। इस खबर को “हमार पूर्वांचल” ने विशेष रूप से प्रकाशित किया था इसके बाद गाहे बगाहे कुछ न कुछ पशु तस्करी की गाड़ियों को पकड़कर पशु भी छुड़ाये गये हैंं।
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अब बात करते हैं उस सिपाही की जिसकी हत्या पशु तस्करों ने कुचल कर की थी। 31 मई 2013 का वह काला दिन उस सिपाही के परिवार पर कहर बनकर टूटा था। लालानगर टोल प्लाजा के पास मुखबिर की सूचना पर एक पशु तस्करी की गाड़ी आने की सूचना मिली थी। जब पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया तो पशु तस्कर पुलिस जीप को टक्कर मारते हुये निकल गये। जीप पलटने के कारण सिपाही अशोक यादव उसके नीचे दब गया और उसकी मौत हो गयी। इस मामले में अपराध संख्या 124/13 में औराई थाने में मुकदमा दर्ज है। मामला एक सिपाही की मौत से जुड़ा हुआ था, इसलिये पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और छानबीन शुरू कर दी। इसमें क्राइम ब्रान्च की टीम को भी लगाया गया था। इसके बाद 29 जून को क्राइम ब्रान्च व पुलिस की संयुक्त टीम ने सिपाही की हत्या में प्रयुक्त ट्रक और चार आरोपियों का सुराग पा लिया।
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पुलिस सिपाही के हत्यारों को गिरफ्त में लेने के लिये बेचैन थी। 13 अगस्त को इलाहाबाद निवासी ट्रक चालक रेहान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस की बढ़ती दबिश के चलते दो आरोपियों ने कोर्ट में समर्पण कर दिया। अब भी चौथा आरोपी पुलिस की नजरों से फरार चल रहा था जिसकी तलाश पुलिस जोरों से कर रही थी। यह आरोपी था इलाहाबाद जिले के नवाबगंज थाना व बेगम बाजार थाना धूमनगंज निवासी मुजफ्फर पुत्र मुख्तार। अपनी चालाकी से वह बचता रहा था इसलिये पुलिस ने उसके उपर 5 हजार रूपये का इनाम रखने के गैंगेस्टर घाषित कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया था। जमानत पर बाहर आने के बाद एक बार गैंगस्टर कोर्ट इलाहाबाद की पेशी में गये मुजफ्फर के वाहन पर बैठे दो सिपाहियों सुरेश सिंह व देवेश सिंह को निलंबित भी किया गया था।
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सिपाही की हत्या में आरोपी इस पशु तस्कर मुजफ्फर की पकड़ भदोही के कुछ सिपाहियों से लगातार बनी रहती है। पशु तस्करी की गाड़ियों को पार कराने की जिम्मेदारी लेने वाले इस पशु तस्कर का बराबर जीटी रोड के कुछ थानों में आवागमन बना रहता है। ब्लैक डायमण्ड के काले करोबार से ही नहीं बल्कि गौ तस्करी में भी इसका हाथ बताया जाता है। सूत्रों का कहना है कि यदि इसके मोबाइल नंबर 7084347442 का काल रिकार्ड निकाला जाये तो भदोही के उन खाकी वर्दी का भी पता चल जायेगा जो इस काले कारोबार में अपने हाथ सानकर बैठे हुये हैं। रोजाना कई गाड़ियों में पशुओं को इसी रास्ते से काटने के लिये भेजा जाता है किन्तु कभी कभी एक दो गाड़ियां पकड़कर यह दिखा दिया जाता है कि भदोही पुलिस गुडवर्क कर रही है।
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सूत्रों की मानें तो इस मामले में कुछ ऐसे लोगों का हाथ शामिल हैं जिनके बारे में कार्रवाई करने से पुलिस भी हिचकिचाती है और अपनी जांच ठंडे बस्ते में डाल देती है जिसके कारण जी.टी. रोड पर ब्लैक डायमण्ड का काला कारोबार धड़ल्ले में संचालित हो रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस कारोबार में चौरी थाने का एक सिपाही, पुलिस लाइन का एक सिपाही और जीटी रोड के एक थाने के सिपाही का भी हाथ है, जिससे सिपाही के हत्यारोपी पुलिस तस्कर की अक्सर डीलिंग के लिये बात होती है। ब्लैक डायमण्ड के इस खेल के बारे में जब भी खबर छपती है तो कुछ दिन छानबीन के नाम पर चहल पहल रहती है। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
Bahut achcha likha hai . Aur puri jankari bhi hai.
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