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भदोही में भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही लगेगा अटकलों पर विराम।

भदोही लोकसभा में भले ही सपा-बसपा गठबंधन ने रंगनाथ मिश्र को पेश कर चुकी है लेकिन सपा के अन्तर्कलह से रंगनाथ मिश्र के समर्थन में कुछ नेता व लोग नही है। बसपा के समर्थन में रहने वाले लोग भी खुले रूप से रंगनाथ को समर्थन देने से संकोच कर रहे है। लेकिन आकाओ के आदेश की अवहेलना करने की हिम्मत नही कर पा रहे है और भदोही लोकसभा क्षेत्र में सपा-बसपा के नेता व कार्यकर्ता रंगनाथ मिश्र को जाति के आधार पर कम पसंद कर रहे है।

यदि भदोही से किसी पिछडी को प्रत्याशी बनाया गया होता तो सपा के लोग ज्यादा खुश होते। इसका एक उदाहरण सपा के एक युवा नेता योगेश यादव ने 19 दिन तक जिले के विभिन्न क्षेत्रों में क्रमिक अनशन करके रंगनाथ को टिकट मिलने का विरोध किया। योगेश का कहना था कि भदोही से कोई पिछडी जाति का प्रत्याशी होना चाहिए। हालांकि सपा व बसपा के किसी बडे नेता के तरफ से रंगनाथ मिश्रा का विरोध नही हो रहा है। यदि पिछले चुनावों पर नजर डाली जाए तो वर्तमान माहौल में रंगनाथ मिश्र के जीत की संभावना काफी अच्छी है। इसकी वजह यह है कि रंगनाथ मिश्र के आगे कोई बडा चेहरा नही दिख रहा है लेकिन बसपा का पिछला रिकार्ड देखा जाए तो बसपा किसी को भी टिकट देकर चुनाव भुना सकती है।

सपा-बसपा के सभी कार्यकर्ताओ व नेताओ को एकजुट होकर अपने प्रत्याशी का समर्थन करना चाहिए। नही तो चुनाव में जाति का कार्ड खेलने वालों की वजह से पेंच फंस सकता है भाजपा के प्रत्याशी के घोषणा के बाद ही भदोही लोकसभा का राजनैतिक विश्लेषण करना सही होगा क्योकि भाजपा में टिकट के दावेदारों की सूची काफी लम्बी दिख रही है। अब इसमें कितनी सच्चाई है? यह तो समय ही बताएगा।

भाजपा के वर्तमान सांसद वीरेन्द्र सिंह जो भाजपा के पुराने नेता है और जिले से कई बार चुनाव जीत चुके है। उनकी दावेदारी पर तरह-तरह की बाते आ रही है लेकिन भाजपा के नेताओं से पकड व राजनीति की जानकारी उनके टिकट कटने पर प्रश्नचिह्न लगा रही है। लेकिन जिले में ज्यादातर लोग वर्तमान सांसद के पक्ष में नही हैं। क्योकि जिले का डेंगूरपुर पुल व औराई चीनी मिल पर कुछ खास नही किया जा सका सांसद द्वारा। हालांकि कुछ लोगो का मानना है कि वीरेन्द्र सिंह का टिकट नही कटेगा।

टिकट के दावेदारों में ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्र, बसपा से निष्कासित रमेश बिन्द और भाजपा नेता मदन लाल बिन्द की चर्चा है। एक नाम की और चर्चा है वह नाम है व्यवसायी गुलाब त्रिपाठी का। भाजपा के टिकट दावेदारी में जहां पिछडी जाति लोग पिछडी जाति के प्रत्याशी को तरजीह दे रहे है वही ब्राह्मण वर्ग विजय मिश्र को टिकट मिलने के पक्ष में है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी है जो विजय मिश्र को भाजपा से टिकट न मिलने के पक्ष में है। रही बात गुलाब त्रिपाठी की तो वे टिकट के दौड में पीछे दिख रहे है। लेकिन राजनीति में किसकी पकड कहा से है? यह कहना बडी बात है। राजनीति में सब कुछ संभव है।

लोकसभा में कांग्रेस के तो लोग तैयारी कर रहे थे लेकिन अभी तक यह नही स्पष्ट हो पाया कि कांग्रेस भदोही से चुनाव लडेगी कि सपा-बसपा के प्रत्याशी का समर्थन करेगी? भदोही लोकसभा में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा यदि भदोही से किसी बिन्द प्रत्याशी या विजय मिश्र को टिकट दे तब जीत की संभावना बढ सकती है नही तो रंगनाथ मिश्र काफी आगे है। क्योकि वर्तमान सांसद भले ही अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों के लिए अच्छे हो लेकिन जनता के मूढ में नाराजगी है।

हालांकि जिले के कुछ छोटे दलों के या निर्दलीय प्रत्याशी समीकरण बिगाडने में अहम भूमिका निभा सकते है। जहां सरकार के कार्यों को लेकर भाजपा लोगों को लूभाने की कोशिश मे है वही विपक्ष के लोग सरकार के नाकामियों को दिखाकर अपने पक्ष करेंगे। भदोही लोकसभा में भाजपा के प्रत्याशी के घोषणा के बाद ही अटकलों पर विराम लगेगा। वैसे भदोही में इस बार का चुनाव काफी रोचक व मजेदार रहेगा। इसे रोचक बनाने में सभी मतदाता अपना मत देकर और अहम भूमिका निभा सकते है।

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