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मुम्बई में व्यापार जिहाद: हिन्दुओं की दुकान से मुस्लिम नहीं कर रहे खरीददारी

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रमजान के पवित्र माह में पूरे एक महीने तक रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है। कहा जाता है कि यह त्योहार बुराईयों का त्याग करके अच्छाइयों को अपनाने का है। लोगों को इफ्तार की दावत देकर हिन्दु मुसलमानों के बीच भाईचारा बढ़ाने का प्रयास किया जाता है किन्तु मुम्बई में यह कया हो रहा है। अभी तक तो लव जिहाद के बारे में सुना था किन्तु अब व्यापर जिहाद शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि मौलानाओं द्वारा यह अपील की जा रही है कि हिन्दुओं और दूसरे धर्मों के दुकानदारों से रमजान में सामान न खरीदें।purvanchal

सुदर्शन न्यूज पर जो खबर ली है वह चौंकाने वाली है। मौलानाओं द्वारा अपील नहीं बल्कि फतवा जारी किया गया है कि अपने मुस्लिम भाईयों की दुकानों से सामान खरीदें ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हों। कहा जा रहा है कि हिन्दुओं या दूसरें धर्मों के यहां से खरीददारी करने पर वे मजबूत होंगे इसलिये बहिष्कार करें।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसका असर भी देखने को मिल रहा है। कुर्ला समेत जहां मुस्लिम बाहुल्य दुकानें हैं वहां इतनी भीड़ है कि दुकानदार सामान दे नहीं पा रहे हैं, वहीं हिन्दू बाहुल्य दुकानदार खड़े होकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। रमजान के महीने में व्यापारी अपनी दुकानों में भारी बिक्री का आशा में अधिक सामान लाकर रख देते हैं, लेकिन मौलानाओं के फतवे ने ऐसे व्यापारियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है।

हद तो यह है कि इसका असर भी देखा जा रहा है। ऐसे फतवे में यदि मुस्लिम समाज फंसता रहेगा तो भाईचारे की भावना प्रकट कहां से होगी। बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती बल्कि फुटपाथ पर धंधा करने वाले अधिकतर हिन्दू दुकानदारों ने अपनी पहचान छुपाने के लिये रमजान में टोपियां पहननी शुरू कर दी हैं ताकि वे भी कुछ सामान बेचकर अपने परिवार को पेट पाल सकें। देश में जिस तरह धर्म व जाति के नाम पर कुछ लोग नफरत फैलाने व समाज को बांटने का काम कर रहे हैं, उससे किसी का भला हो या न हो, लेकिन समाज अवश्य दूषित हो रहा है।

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