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… तो इसलिए किया बाहुबली विजय मिश्रा ने रमेश बिंद का समर्थन

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भदोही । एक बिंद के बदले सौ ब्राह्मणो का जनेऊ देखकर मारने का कथित वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद के प्रति सवर्णों में बढ़ रहे गुस्से के बीच ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा ने भाजपा का समर्थन करके जो शिगूफा छोड़ा हैं उस शिगूफे से रमेश बिंद को कितना लाभ मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा । किन्तु राजनीति के माहिर खिलाड़ी श्री मिश्रा ने जो जाल फेंका हैं उसमे राजनीति के कई माहिर खिलाड़ी फंस गए हैं ।

गौर करने वाली बात है कि विधायक विजय मिश्रा निषाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और निषाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबन्धन किया है। जब श्री मिश्रा दुबारा निषाद पार्टी जॉइन किए तो लोगो को अंदेशा था कि उन्हें भदोही से लोकसभा टिकट मिलना तय हैं , लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि भाजपा का स्थानीय संगठन नहीं चाहता था कि उन्हें भाजपा का टिकट मिले । 2017 के चुनाव के बाद टिकट बंटवारे तक श्री मिश्रा हाथ पांव मारते रहे कि किसी भी तरह उन्हें भाजपा में शरण मिल जाए किन्तु संगठन हमेशा इस प्रयास में रहा कि उन्हें भाजपा खुद से दूर रखें । इसके पीछे कारण यह था कि यदि बाहुबली का पदार्पण भाजपा में हुआ तो कई नेताओ का कुर्ता खूंटी पर टंग जाएगा या फिर उन्हें धनापुर में दरबार लगाना पड़ेगा ।

इस विरोध के पीछे सबसे बड़ा कारण हैं कि बाहुबली बरगद के वह विशाल राजनीतिक पेड़ हैं जिनकी छाया में छोटे मोटे पेड़ पौधे सूख जाते हैं । लोग यह नहीं भूल पाए हैं कि सपा में रहने के दौरान ज्ञानपुर में सपा के उसी नेता का नाम पटल पर दिखता था जो बाहुबली के समक्ष शरणागत होकर हाँ में हाँ मिलाता था ।

गौर करने वाली बात यह हैं कि निषाद पार्टी के बड़े पद पर आसीन होने के बावजूद भाजपा का टिकट घोषित होने के बाद भी बाहुबली मौन धारण करके लोगो की बेचैनी बढ़ाते रहे । लोग कयास लगाते रहे कि बाहुबली अपनी चुप्पी तोड़ेंगे तो कौन सा तुरुप का इक्का खोलेंगे ।

भदोही में पीएम नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम के एक दिन पहले विजय मिश्रा अपने समर्थको कि एक मीटिंग बुलाते हैं और कहते हैं कि उनके रहते भदोही के ब्राह्मणो का जनेऊ कोई छू नहीं सकता । राष्ट्रवाद और विकास के नाम पर मोदी के समर्थन कि बात कहे । साथ ही एक बात और कहे कि बिंद बिरादरी ने उनका हमेशा सहयोग किया हैं, श्रीमती रामलाली मिश्रा को विधान परिषद में भेजने का काम किया हैं । इसलिए वे भाजपा का समर्थन करेंगे ।

लोगो ने कयास लगाना शुरू किया कि हो सकता हैं ऊपर से दबाव आने के कारण उन्होने समर्थन किया क्योंकि अभी यूपी में योगी की सरकार है और उनके मुकदमों की फाइलें खुल सकती हैं । वही उनके समर्थक उम्मीद लगाए थे की मोदी के प्रोग्राम में विजय मिश्रा का जलवा होगा किन्तु कही चेहरा ना दिखने से समर्थक मायूस हुए । किन्तु असली राज़ कुछ और हैं ।

भदोही में चुनाव हो और राजनीति के शातिर खिलाड़ी अपनी चाल ना चलें ऐसा भला कैसे हो सकता है। बिना विजय मिश्रा की चर्चा हुए भदोही में कोई चुनाव हो जाए भला भदोही की राजनीति के बादशाह को कैसे गंवारा हो सकता है। मौका अच्छा था और मौके पर बादशाह ने चौका जड़ दिया ।

लेकिन यह चौका लोकसभा चुनाव को लेकर नहीं बल्कि उस पिच पर जड़ा गया हैं जो 2022 में तैयार होगी । जी हाँ ! विजय मिश्रा को अपनी चुप्पी तोड़नी जरूरी थी । अपने बयान से उन्हें भदोही में ब्राह्मणो का सर्वमान्य नेता स्वघोषित होने के अलावा बिंद बिरादरी का वोट भी साधना था जिसकी जरूरत उन्हें 2022 में पड़ेगी । विधनसभा चुनाव में अपनी सीट बचाने के लिए बिंद बिरादरी की वोट लेने का विकल्प अभी से बाहुबली ने तय कर दिया हैं । जो ज्ञानपुर विधानसभा में बहुतायत हैं । राजनीति के बादशाह ने एक तीर से दो शिकार किया हैं । उनका पूरा प्रयास होगा की रमेश बिंद लोकसभा चुनाव भले ही हार जाए किन्तु ज्ञानपुर विधनसभा से चुनाव जीत जाए । ताकि भाजपा के शीर्ष संगठन तक यह संदेश दें सके की अपने विधानसभा में एकमात्र वे ही सर्वमान्य नेता हैं और 2022 के चुनाव में जातीय समीकरण के साथ सीट अपने कब्जे में रखें । यदि ऐसा हुआ तो पूरा श्रेय विजय मिश्रा को जाएगा, यदि नहीं तो ठीकरा भाजपा के स्थानीय संगठन पर फूटेगा । दोनों हालात में लाभ बाहुबली को मिलना तय है।

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