Home भदोही अन्त्येष्ठि स्थल में कैद हुए छुट्टा पशु।

अन्त्येष्ठि स्थल में कैद हुए छुट्टा पशु।

प्रशासन की लापरवाही बेजुबान पशुओं पर पड रही है भारी।

भूख प्यास से तडप कर मरने पर विवश बेजुबान पशु

भदोही। सरकार भले ही प्रदेश में छुट्टा पशुओ के लिए अस्थायी गौशाला केन्द्र बनाकर उनके चारा-पानी और चिकित्सा की बात करे लेकिन यह हकीकत से काफी परे है। शासन का आदेश था कि 10 जनवरी तक प्रदेश के सभी छुट्टा पशुओं को आश्रय स्थल में पहुंचा दिया जायेगा लेकिन शासन की यह मंशा भी असफल होती नजर आ रही है, इसका कारण लापरवाही, खानापुर्ति व भ्रष्टाचार है।

अन्त्येष्ठि स्थल

एक मामला भदोही जिले के डीघ ब्लाक के बेरासपुर गांव का है। जहां के ग्रामीणों ने छुट्टा पशुओं से त्रस्त होकर सोमवार को गांव में टहल रहे पशुओं को अन्त्येष्ठि स्थल में बंद कर दिया। और बेजुबान पशु बिना चारे पानी के रहने पर विवश है। कोई नही है उनकी सुध लेनः वाला। गांव के जटाशंकर यादव ने कहा कि सरकार जब कुछ नही कर रही है तो हम लोग क्या करे? अपने फसलों व पशुओं को बचाने के लिए हम लोग छुट्टा पशुओ को बंद कर दिए है। और इन बंद पशुओ को हम लोग नही छोडेंगे। चाहे ये पशु मर ही क्यों न जाए।

इस बारे में ग्राम प्रधान बब्बन तिवारी ने कहा कि अधिकारियों से कई बार कहा लेकिन कोई सहयोग नही मिल रहा है। कहा कि 43 छुट्टा पशुओं की संख्या मैने प्रशासन को दे दी है। एक दो दिन पशुओं के चारे पानी की व्यवस्था मै कर सकता हूं लेकिन हमेशा करना मेरे वश की बात नही है। प्रशासन को इसके बारे में कुछ करना बहुत जरूरी है।

अब यहां प्रश्न बनता है कि इन पशुओ की गलती आखिर क्या है? इसमें शासन, प्रशासन, ग्राम प्रधान या ग्रामीण मे कौन है जिम्मेदार? जब सरकार ने 10 जनवरी का दिया था अल्टीमेटम तो प्रशासन के लोगों ने क्यो नही की व्यवस्था? प्रशासन की बातों का कौन नही कर रहा है सहयोग? सहयोग न करने पर प्रशासन क्यो नही कर रहा है कार्यवाही? आखिर क्यों बेजुबान पशुओं की जिन्दगी को दांव पर लगा रहा है प्रशासन के लोग? लापरवाह व भ्रष्ट लोगो ने आदेश के बाद भी क्यों उडा रहे है धज्जियां? यह तो केवल बेरासपुर का ही मामला नही है बल्कि जिले के कई गांवों मे लोग पशुओ से त्रस्त होकर बेजुबान पशुओं को मार-पीटकर भगा रहे है। जिसकी जिम्मेदारी केवल प्रशासन की लापरवाही है।

यदि प्रशासन चाहे तो सख्ती के साथ कार्यवाही करके एक दो दिन में सभी पशुओं को अस्थायी गौशाला या आश्रय स्थलों में पहुंचा दें लेकिन पता नही किस तरह का आदेश हो रहा है कि कुछ समझ मे नही आ रहा। प्रशासन को बेजुबान पशुओं के चारा-पानी की व्यवस्था करके इस समस्या से निजात पाना बेहद जरूरी है।

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