भदोही। सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए काफी सक्रियता दिखाती है। लेकिन सच में सरकार के मंशा के विपरीत कुछ सरकारी अधिकारी व कर्मचारी लगातार अपने कृत्यों से सरकार को बदनाम करने पर तुले रहते है। अब इस तरह की बात को पकड कही जाए या मनमानी? मातहतों को नौकरी व जांच का भय दिखाकर शोषण करना कितना उचित है?
एक ऐसा ही मामला जिले के डीघ ब्लाक के अन्तर्गत प्रकाश में आया है जहां सीडीपीओ और सुपरवाइजर से त्रस्त है एक आंगनवाड़ी सहायिका, लेकिन उसकी बात सुनने वाला कोई नही है। मामला डीघ ब्लाक के एक गांव का है। जहां की आंगनवाडी सहायिका ने सीडीपीओ डीघ सुजीत सिंह और सुपरवाइजर नीलम दीक्षित से त्रस्त होकर मंगलवार को तहसील दिवस पर प्रार्थना पत्र दिया।
पीडिता का आरोप है कि सीडीपीओ और सुपरवाइजर कार्य नही करने दे रहे है। जिसकी वजह से उसका मानदेय नही आ रहा है। और पैसे की मांग करते है। धमकाते है और काम करने से मना करते है। उससे कई बार कागजात मांगा गया। पीडिता ने दिया लेकिन हमेशा कागजात गायब कर देते है। और उसकी नियुक्ति फर्जी करार देना चाहते है। पीडिता ने कहा कि जब तक सुपरवाइजर प्रेमलता सिन्हा थी कोई दिक्कत नही थी और सब सामान्य था लेकिन सुपरवाइजर नीलम दीक्षित लगातार परेशान कर रही है। कहा कि ये लोग विद्यालय के केन्द्र पर भी जाकर प्रधानाचार्य से मुझे कार्य न करने की बात कही लेकिन प्रधानाचार्य ने ऐसा नही किया।
नीलम दीक्षित के बारे में शिव प्रकाश तिवारी ने भी बताया कि वह संवीदा पर है लेकिन पैसे की वजह से डीघ में कार्य कर रही है। नीलम दीक्षित के बारे में एक सहायिका ने भी आरोप लगाया है कि स्लोगन लेखन के लिए जो पैसा उसके खाते में आया था वह नीलम दीक्षित ने ले लिया। इस तरह के न जाने कितने आरोप और भी हो सकते है नीलम दीक्षित पर पता नही क्यों विभाग मेहरबान बना है? और आंगनवाड़ी कार्यकर्ती और सहायिका विवशता वश काम करने पर मजबूर है।