Home मुंबई दीपोत्सव के उपलक्ष्य में हुआ काव्यसंध्या का आगाज़

दीपोत्सव के उपलक्ष्य में हुआ काव्यसंध्या का आगाज़

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हमार पूर्वांचल
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ठाणे :हिन्दुस्तान की पावन-पवित्र, भाईचारा, स्नेह-मिलन का पर्व दीपावली के उपलक्ष्य में “संगीत साहित्य मंच ठाणे ” की काव्यसंध्या का खूबसूरत नजारा सिडको बस स्टॉप ठाणे के मुन्ना विष्ट के कार्यालय में देखने को मिला। काव्यमंच की अध्यक्षता श्री धनीलाल राजभर जी कर रहे थे और मुख्य अतिथि के रूप में उनके बगल में प्रख्यात शायरा, गीतकारा श्रीमती पूनम खत्री जी विराजमान थी। काव्यसंध्या की शुरुआत श्री राधाकृष्ण मोलासी ने सरस्वती वंदना से की। काव्यगोष्ठी में उपस्थित कवियों, गीतकारों, ग़ज़लकारों ने पावन पर्व को लेखनी के फुलझड़ियों से मन प्रफुल्लित कर दिया, जिसमें श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी, श्री एन बी सिंह नादान, श्री विनय शर्मा “दीप”, श्री आर बी सिंह “खूंटातोड़ “, श्री रवि यादव,श्री मनोज मैकस, श्री त्रिलोचन सिंह अरोरा,श्री कुलदीप सिंह दीप,श्री ओमप्रकाश सिंह,श्री पवन तिवारी,श्री बेचनराम बारी, श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट,श्री जाकिर रहबर,श्री जवाहर लाल निर्झर,श्री श्याम अचल,श्री श्रीराम शर्मा, श्री बहादुर सिंह आदि उपस्थित थे। कुछ कवियों की रचनाएँ सराहनीय रही जो निम्नवत इस प्रकार-
श्रीमती पूनम खत्री-
भूख जहां हो वहां निवाला रखता है,
लेखा-जोखा ऊपर वाला रखता है।
काली अमावस सोचे भी ना तंग करना,
जुगनू अपने साथ उजाला रखता है ।।

श्री एन बी सिंह नादान-
कुछ न सीखा सबक इन नजारों से हैं,
क्यूँ ये रोशन फलक चाँद-तारो से है ।
जीते हैं गैर की जिंदगी के लिए,
आदमीयत की पहचान यारों से है ।।

श्री विनय शर्मा “दीप” –
धन्य-धान्य,सोना-चांदी व सुख-समृद्धि मिले,
छोटों से प्यार और बड़ो से आशीर्वाद हे ।
खुशियाँ अपार मिले व संगी हजार मिले,
यश-कीर्ति संग गूंजे,जग शंखनाद हे ।
दीप के प्रकाश संग,खिले फुलवारी सदा,
भाईचारा बढ़े नहीं बढ़े प्रतिवाद हे।
दिन-दुखी,निर्बल संग हैं असहाय जो भी,
हृदय से लगा लो उन्हें,करें तुम्हें याद हे ।।

श्री आर बी सिंह “खूंटातोड़” –
गाय-भैंस का पता नहीं,फिर भी
हररोज डेरीफार्म खुल रहें हैं ।
बैंक में बेलेंस बढता नहीं,
फिर भी
जन-धन खाते खुल रहें हैं ।
अभी तक राम मंदिर बना नही,
फिर भी
कहते सरकार अच्छा काम कर रही है ।
लगता है कहीं न कहीं कुछ तो भूल रहे हैं ।।

श्री रवि यादव-
देती हो जन्म सबको,देती हो सहारा ।
तुम धन्य हो माँ,जिसने इस जग को संवारा ।
बच्चों को जन्म देकर,मर-मर के जीती हो।
शिशु को पिलाया दूध माँ,खुद आंसू पीती हो ।।

श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी-
लक्ष्मी जी आपके द्वार आई,
धन-वैभव नित घर में आये,
सुख-शांति भी धूम मचाये।
खुशियों का साम्राज्य हो ऐसा,
सप्तरंग जीवन में जैसा ।।

श्री जवाहर लाल निर्झर-
बाद चौदह बरस,श्रीराम वन से आये थे।
देवता मन प्रसन्न हो सुमन लुटाये थे।
राम के प्रेम में बेसुध हो,अयोध्या वासी,
रात में ही नहीं दिन में दिये जलाए थे ।।

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काव्यसंध्या समारोह 

काव्यसंध्या में आगाज़ लगाने वाले, वरिष्ठ साहित्यकार श्री उमाकांत वर्मा जी ने अपने संचालन के लिए खूब सराहे गये। समारोह अध्यक्ष जी ने सभी को लक्ष्मी पूजन, दीपावली एवं भाईदूज की ढेरों शुभकामनायें दी। अंत में संस्था के सहसंयोजक श्री नागेन्द्र नाथ गुप्ता ने आये हुए सभी कवियों पत्रकारों को धन्यवाद देकर आभार प्रकट कर गोष्ठी का समापन किया।

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