सारण: जिले के सम्होता पंचायत अंतर्गत चतरा पतिला ग्राम के मध्यमटोला स्थित सैकङो वर्ष पहले डाक्टर साहब द्वारा निर्मित कराया गया वह कुँआ जिसके किनारे पर ११ अप्रैल को शाम ५ बजे से ही चैत्र महीने में छठ पूजा करनेवाले व्रतधारियो का हूजुम उमङ पङा था उस व्रत का समापण १२ अप्रैल को सुबह तकरीबन ६.२२ बजे भगवान सूर्यदेव के उदय होने के ही साथ हुआ।
बता दें कि उत्तरभारत के बहुत राज्य के गांवो में खरीफ एवं रबी की फसलो की कटाई के समय में जब नये आनाजो की आवक घर में होने लगती है इसी अंदेशे में गृहस्थ आश्रम के लोग खुशी में छठ पूजा का त्योहार मनाते है।
बतातें चलें कि चैत्र छठपूजा की तैयारी होली त्योहार के समापण होते ही शुरू हो जाते है जिसमें खासकर छोटे-छोटे बच्चे दर्जी के दुकानो से कपङो के छोटे छोटे रंग बिरंग के कतरन इकठ्ठा करते है जिसको अरहर के पौधो के सूखे झांखो में लपेटकर सजाते है तथा पूजा के तिथी के रोज उन झांखो को दोनो पैरो के बीच फँसाकर दर्जनो बच्चे आपस मे रेस लगाते है जिस रेस का लुफ्त पूजा में शामिल दर्शकगण भी उठाते है तथा इनाम के तौर पर कुछ बच्चो को पुरस्कृत भी करते है।
मिली जानकारी के अनुसार इस बार के पूजाघाट के सामने होनेवाले दौङ में प्रजुल,बमबम,दीपक, अंश,दीपक, प्रिंस, आदर्श,”छोटू आदि दर्जनो बच्चो ने भाग लिया, जिन सबने स्व.शिवदयाल सिंह के बगीचे से लेकर कबीजी के बोरिंग तक दौङ लगायी, जिसमें बमबम ने बाजी मारी जिसे बमबम के मौसा रामकुमार सिंह ने ५०१ रूपये का पुरस्कार भी दिए जबकि दूसरी तरफ व्रती महिलाओ ने पूरे वर्ष घर में सुख एवं मंगल की कामना के साथ अगले वर्ष जल्दी इस पूजा के आने का गुहार भी सूर्यदेव के सामने नतमस्तक होकर किए।
उपरोक्त सभी जानकारी मोनू सिंह के द्वारा प्राप्त हुई।