Home मन की बात मुख्यमंत्री जी! क्या भदोही की पुलिस हत्यारी है

मुख्यमंत्री जी! क्या भदोही की पुलिस हत्यारी है

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जंगीगंज(भदोही): खादी और ख़ाकी ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। कोई लूट रहा है तो कोई आतंक फैला रहा है। शिकार केवल आमजन हो रहे हैं। नेता अपनी तिजोरी भरने पर लगे हुए हैं तो पुलिस इंसानियत दिल से निकाल अत्याचार कर अपनी जेब भरने में जुटी हुई है। लोग कहते हैं कि पुलिस व्यवस्था आज भी अंग्रेजी हुकूमतों के दौरान की तरह कहर बरपाती है। आज भी उत्पीड़न करती है वैसे ही निर्दोषों को मारती है और अपराधियों को शरण देती है। खैर, ये मैं नही भदोही के गोपीगंज थाने में हुए एक ऑटों चालक के मौत के बाद शनिवार को सड़क पर उतरे आक्रोशित लोग चिल्ला चिल्ला कर कहते नजर आए।

अब एक उदाहरण आप स्वयं ही पढ़िए,  देखिये और उत्तर ढूढिये कि क्या वास्तव में पुलिस अंग्रेजी हुकूमत वाली ही है या अपने रवैये में बदलाव कर पाई है जिस प्रकार सैनिक विदेशी शत्रुओं से देश की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों से पुलिस हमारी रक्षा करती है ।

प्रत्येक राष्ट्र के अपने कानून होते हैं । देश के नागरिक उन कानूनों का पालन करते हैं । परन्तु कुछ लोग देश के कानून की अवहेलना कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं, पुलिस विभिन्न अपराधों में उनका चालान कर न्यायालय में प्रस्तुत करती है । पुलिस की अनेक श्रेणियाँ होती हैं । हमारे देश में केन्द्रिय रिजर्व पुलिस, यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस, सशस्त्र पुलिस और गुप्तचर पुलिस आदि अनेक प्रकार की पुलिस हैं । प्रत्येक राज्य में अपनी अलग अलग पुलिस है । पुलिस में शिक्षित, स्वस्थ और ऊँचे कद के जवान होते हैं । उन की वर्दी प्राय: खाकी होती है ।

प्रत्येक राज्य में कई पुलिस लाइनें होती हैं, जहाँ पुलिस के जवान रहते हैं । पुलिस चौकियों पर वे अपने कार्य काल के दौरान तैनात रहते हैं । पुलिस का कार्य बड़ा कठिन  है राजनेताओं की विभिन्न रैलियों के दौरान सुरक्षा और यातायात की व्यवस्था बनाये रखना, जलूसों को शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न करना, हड़ताल, धरनों और बंद के दौरान असामाजिक तत्त्वों से राष्ट्र की सम्पत्ति की रक्षा करना, राजनेताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा करना, चोर डकैतों और लुटेरों से आम नागरिक की रक्षा करना पुलिस का दायित्व है ।

पुलिस कर्मचारी चौबीस घंटे खतरों से जूझते हैं । चोर डकैतों से मुठभेड़ के दौरान घायल हो जाते हैं । भीड़ के द्वारा पथराव की स्थिति में चोट खाते हैं । सर्दी, गर्मी, बरसात में डयूटी देनी पड़ती है । विभिन्न प्रकार के अपराधियों को पकड़ना और न्यायालय में प्रस्तुत करना पुलिस का कार्य  है व्यक्तिगत झगड़ों में हस्तक्षेप कर समझौता कराना, चोरी गये माल को बरामद कराना भी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है ।

लेकिन इस बातो को ध्यान में रखते हुए जब गोपीगंज कोतवाली के एक रक्षक भक्षक बन गया और एक असहाय ऑटो चालक को जेल में ही पीट पीटकर हत्या कर दी गई लोग कहते हैं पुलिस सबकी रक्षा करती है लेकिन भदोही क्षेत्र के गोपीगंज कोतवाली में ऐसा नहीं है  थाने के लॉकअप में शुक्रवार को फूलबाग निवासी 46 वर्षीय ऑटो चालक रामजी मिश्र की मौत हो गई। बेटी दीपाली मिश्रा ने पुलिस पर बुरी तरह पिटाई का आरोप लगाया है। भाई से विवाद के बाद पुलिस ऑटो चालक को पकड़कर थाने लाई थी। वहीं, पुलिस ने पिटाई से इनकार किया है।

गोपीगंज के फूलबाग निवासी रामजी मिश्रा का उनके भाई अशोक मिश्रा से मकान बंटवारे को लेकर विवाद चला आ रहा है। इसी बात को लेकर दोनों भाइयों में शुक्रवार को कहासुनी हुई। सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों को थाने लाई।  पीछे-पीछे रामजी मिश्रा की पत्नी व बेटी भी थाने पहुंच गईं। दीपाली के अनुसार थाने में भी दोनों भाइयों में कहासुनी हुई तो पुलिस ने पिटाई करते हुए लॉकअप में बंद कर दिया। पुलिस की पिटाई से रामजी की हालत गंभीर हो गई। आरोप है कि लाकअप में ही उसकी मौत हो गई।

शव लेकर पुलिस सीएचसी भागी। यहां बवाल न बढ़े इसलिए पुलिस शव को जिला अस्पताल ले आई।  वहीं, पुलिस अधीक्षक सचिंद्र पटेल का कहना है कि परिजनों के आरोप के बाद मामले की जांच सीओ ज्ञानपुर से कराई जा रही है। तत्काल पोस्टमार्टम भी कराया गया। मौत का कारण हृदय गति रुकना बताया जा रहा है। दोनों भाइयों में संपत्ति को लेकर विवाद था। पुलिस उन्हें थाने नहीं लाई बल्कि दोनों का परिवार खुद आया था।

अगर मीडिया न होती तो क्या होता सच मे जनसेवा का संकल्प है मीडिया

ईमानदारी और जनसेवा का संकल्प लेकर ही हम मीडिया आती है यह दिखना भी चाहिए। ऐसे समय में जब अविश्वास और प्रामणिकता का संकट सामने हो तब मीडिया का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि वह ही मत निर्माण का काम करती है। एक लोकतंत्र के लिए मीडिया का सक्रिय और संवेदनशील होना जरूरी है और यह शर्त पुलिस पर भी लागू होती है। भूमंडलीकरण और बाजारीकरण के दौर में मीडिया के काम काज पर सवालिया निशान उठ रहे हैं, उसका समाधान मीडिया को ही तलाशना होगा।

पूलिस विभाग आज भी पूराने ढर्रे पर चल रहा हे विभाग ने सालो पहले जो नियम कायदे बनाए थे आज भी उसी लीक पर चल रहा हे भले ही वर्तमान समय के हिसाब से वह ना काफी हो।आज के दोर मे जहां जनसंख्या कि स्थिति बेतहासा बढी वही अपराधियो के अपराध करने के तोर तरीके भी बहूत बदल गए हे आज अपराधी हाईटेक हो गए हे जो कि विभिन्न संसाधनो के माध्यम से जगह जगह अपराध को अंजाम दे रहे हे जिससे अपराध का ग्राफ प्रतिदिन बढता जारहा हे ऐसे मे पूराने नियम कानून के आधार पर चलना कहाॅ की तूक है ।

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