Home मुंबई पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम चलाते हास्य कवि डॉ. मुकेश गौतम

पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मुहिम चलाते हास्य कवि डॉ. मुकेश गौतम

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मुम्बई वासी प्रसिद्ध हास्य कवि और टी वी कलाकार डॉ. मुकेश गौतम कवि सम्मेलनों और कॉमेडी शो का एक जाना-पहचाना नाम है। दुनियां भर में उन्हें सहज और स्वस्थ हास्य प्रस्तुति के लिए बुलाया जाता है। टेलीविजन पर उनके शो बहुत लोकप्रिय हुए है। परंतु उनका एक पक्ष और है। मुकेश गौतम पर्यावरण संरक्षण को लेकर ” वृक्ष बचाओ-विश्व बचाओ” आंदोलन चला रहे है और दुनियां भर में उनके इस आंदोलन की प्रशंसा हो रही है।

पूरे देश में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि यह दुखद है कि हमारा देश जो कि कुछ दशक पूर्व तक हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त समझा जाता था वहां पर भी प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और नागरिक संगठनों को सामने आकर मुहिम चलानी होगी नही तो स्थिति भयावह हो जाएगी। डॉ. मुकेश गौतम पिछले पच्चीस वर्षों से वृक्ष एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे है। लोग अलग-अलग विषयो पर कविता लिखते है लेकिन डॉ. मुकेश गौतम एकमात्र ऐसे कवि है जो वृक्ष संरक्षण का संदेश देती एक कविता प्रतिदिन लिखकर पूरे विश्व के लोगो तक मीडिया के अलग-अलग माध्यमों द्वारा पहुंचाने का काम कर रहे है। मुकेश गौतम द्वारा स्थापित “गौतम प्रतिष्ठान”(रजि.) के द्वारा “वृक्ष बचाओ-विश्व बचाओ” अभियान चलाया जा रहा है और जिसके द्वारा वें वृक्ष और पर्यावरण को बचाने का कार्य निरंतर कर रहे है। वे और उनका परिवार खुद कभी पटाखे नही चलाते, प्लास्टिक का प्रयोग अनावश्यक रूप से नही करते है और सेमिनार आयोजित करके लोगो को भी इसका संदेश देने का काम कर रहे है।

मुकेश गौतम ने बताया कि तीस-चालीस वर्ष पूर्व हमारे यहां नदियों की चौड़ाई इतनी थी कि उससे गुजरने में लोगो को डर लगता था परंतु अब यह नदियां कुछ मीटर चौड़ी ही बची है, जो कि बहुत दुखद है। नदियों का अविरल बहना देश की खुशहाली के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में गंगा नदी को स्वच्छ और अविरल बहते देखना चाहती है तो उसके लिए जरूरी है कि गंगा की सहायक छोटी नदियां अतिक्रमण मुक्त हो, उनमें गंदगी ना डाली जाए क्योंकि ये छोटी नदियां ही गंगा के वास्तविक स्वरूप को बनाये रख सकती है। मुकेश गौतम जिस शहर में भी किसी कार्यक्रम में शामिल होने जाते है वहां वृक्षारोपण अवश्य करते है। हज़ारो की संख्या में उन्होंने पेड़ लगाए है और बचाये है।

दो दशक पूर्व उनकी लिखी पुस्तक ” वृक्षो के हक में” काफी चर्चित रही इस पुस्तक को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था और अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। वर्ष 2016 में उनकी पुस्तक “प्रेम समर्थक हैं पेड़” भी बहुत लोकप्रिय हुई इस पुस्तक में वृक्षों का महत्त्व दर्शाती एक सौ कविताएं है। इस पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुवा और इसे महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। पूरे देश में वन-उपवन, महामार्गों, रेल मार्गो, स्कूल-कॉलेज में वृक्ष संरक्षण को लेकर लिखे गए अधिकांश स्लोगन मुकेश गौतम द्वारा ही लिखे गए है। उनका कहना है कि दुनियां में अनेक समस्याओं का कारण है प्रकृति का अप्राकृतिक दोहन। उन्होंने बताया कि भारत के पास दुनियां की सर्वश्रेष्ठ वन संपदा है, प्राकृतिक संसाधन है लेकिन हमने उनका स्वरूप बिगाड़कर रख दिया है। हमारे पास जल-जंगल को बचाने के पर्याप्त कानून है लेकिन भृष्ट आचरण उनका पालन करने में बाधा बनता है। डॉ.मुकेश गौतम ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हज़ारो वर्ष पहले से हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण का संदेश वेदों के द्वारा दिया गया था और आज विश्व के अन्य देशों के साथ ही हमारा देश भी गंभीर प्रदूषण की समस्या से बेहाल है।

हमारा प्राचीन साहित्य पर्यावरण संरक्षण के संदेशों से भरा पड़ा है। वृक्ष, नदियों, वन्य जीवों से हमारे मानवीय रिश्ते प्रदर्शित करते हज़ारो किस्से कहानियां है लेकिन फिर भी हम जाग नही रहे है। डॉ. मुकेश गौतम ने बताया कि यदि प्रशासन और सरकार चाहे तो उनके पास ऐसी योजनाएं है जो खोई हरियाली को वापस ला सकती है और प्रदूषण की समस्या को खत्म कर सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और दूसरी अंतराष्ट्रीय संस्थाओं से भी संवाद किया है। गौतम प्रतिष्ठान(रजि.) के द्वारा प्रत्येक वर्ष पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वालो को सम्मानित करने का कार्य भी उन्होंने शुरू किया है। उन्होंने कहा कि वृक्ष एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर यदि कोई भी संगठन आगे आता है तो वे उसके साथ आकर काम करने को सहर्ष तैयार है, सभी को वृक्ष संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी तभी हम प्राकृतिक आपदाओं से बच सकेंगे।

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