मुंबई । एडवोकेट बांद्रा बार एसोसिएशन बांद्रा मुम्बई द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह एवं काव्य सम्मेलन दिनांक 20 मार्च 2018 को सायं 5:00 से प्रारम्भ हुआ जो 9:30 बजे सम्पन्न हुआ । अध्यक्ष महानगर दंडाधिकारी श्री एस. के. मुंगीलवार एवं मुख्य अतिथि महानगर दंडाधिकारी श्रीमती शर्मा जी रहीं। संचालन हास्य कवि भाई सुरेश मिश्र जी ने किया तथा वीर रस के प्रतिष्ठित कवि राज बुंदेली जी, कवियित्री व नायिका श्रीमती काव्या मिश्रा दामोह, रमेश श्रीवास्तव जी, राजेन्द्र मालवीय और एडवो. अनिल शर्मा ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में हास्य और व्यंग सुनाकर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
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एडवोकेट कविवर अनिल शर्मा ने महँगाई की मार को लेकर व्यंग कसते हुए कहा –
महँगाई की मार खाकर , पत्नी के पास आकर पति हाथ जोड़ा !
बोला मेरी देवी तुमने मुझको कहीँ का नही छोड़ा !!
दाल खाये हमको महीने गुजर गये I
महँगाई को देखकर हम बीमार हो गये !!
अपनी खरीददारी पर कुछ तो लगाओ अंकुश !
बेचने पड़ेंगे खेत , खाली पड़ी संदूक !!
घर में आटा है नही , पावडर डिब्बा चार !
रोटियाँ बनती नही , चाटे पुत्र अचार !!
कुछ तो करो कटौती फैशन के खर्च में !
डूबे हुये है पहले से,गुप्ता के कर्ज में !!
इत्र रहित हो एक दिन,तो सब्जी बन जाये मस्त !
सौंदर्य प्रसाधन कर रहा, भारी खर्चे से त्रस्त !!
भारी खर्चे से त्रस्त , यह सुनकर पत्नी झल्लाई !
पति सम्मुख फेंकी चार लिपिस्टिक,जोर से चिल्लाई !!
एक खर्च लिपिस्टिक का , उस पर भी डाँट पिलाते हो !
उसमे भी आधे से ज्यादा, तुम ही चाट जाते हो !!
हास्य-व्यंग्य के प्रख्यात कवि पंडित सुरेश मिश्रा जी ने तो सभी श्रोताओं के चेहरे से उदासी एवं चिंतायें ही गायब कर दी-
(1)
मारा घुसकर पाक को,काँपे नर्किस्तान
जय-जय मोदी कर रहा,अक्खा हिंदुस्तान
अक्खा हिंदुस्तान, अरे ये समझ ‘चबेना’
असली भोजन अब देगी भारत की सेना
कह सुरेश जग देखे छप्पन इंच तुम्हारा
कैसे छक्कों को भारत ने घुसकर मारा ।
(2)
तीन सौ आतंकी मरने की संभावना।
दीजै वापस पायलट,या फिर सुन इमरान
पूरा पाकिस्तान अब,होगा कब्रिस्तान
होगा कब्रिस्तान, अरब होवें या चीनी
लेंगे जलने की सुगंध, सब भीनी-भीनी
कह सुरेश मत शांति-शांति की अब रट कीजै
जग नक्शे में रहना है तो वापस कीजै ।।
(3)
कभी कोर्ट में,कभी स्कूल में,कभी दरगाह में,
झुलस जाओगे सिसकती माँओं की आह में,
शूल जो बिछाए थे हमारे पथ में ऐ पाक-
बिखरे पड़े हैं आज तुम्हारी ही राह में ।।
होली के रंग में रंगते हुए डाॅक्टर राज बुंदेली जी ने सवैया के माध्यम से लोगों को आनंदित कर दिया-
लाल गुलाल भरे सखि झोरिन,नैन नचाय करे बरजोरी ।।
संग दबंग लफंग लिए कछु,घात लगाइ खड़ा गलि मोरी ।।
सोच रहा नँदलाल हठी यह,है बृषभानु सुता मति भोरी ।।
है हिय और कछू उस के सखि,रंग लगावन की मिस कोरी ।।
आज अकाज भयो बहुतै सखि,गोरस दूध दुहान धरे री ।।
कौन गली बचि जाउँ बजारहिं,चारिहुं खोर मसान भरे री ।।
लाज लिहाज भुलाइ गये सबु,ग्वाल सबै हुरियाइ परे री ।।
द्वारन द्वारन ताकत झाँकत,श्याम लिए पिचकारि फिरे री ।।
नाच नचाय रहो जग को सखि,छैल छला छल छन्द मढ़ो है ।।
घूमत ग्वाल लिये सखि खोरन,नन्द लला हिय दम्भ बढ़ो है ।।
झोरिन आजु गुलाल भरे अरु,रंग कुरंग प्रगाढ़ गढ़ो है ।।
भूल रहो मनमोहन री सखि,गोपिन पै रँग श्याम चढो है ।।
रंग- बिरंग गुलाल लियॆ सखि,ताकत झाँकत गैल हमारी !!
संग दबंग लफंग लियॆ कछु,आइ गयॊ अलि छैल-बिहारी !!
माधव मॊहन मारि दई तकि,जॊबन बीच भरी पिचकारी !!
भूल गई सुधि लाजनि तॆ सखि,भीगि गई रँग कॆशर सारी !!
अंग अनंग उमंग उठी सखि,भंग मतंग करैं किलकारी !!
हूक उठी हिय कूक उठी जस,नागिन-नाग भरैं फुसकारी !!
टूट रहॆ अँग अंग सखी सुनु,छूटि रही मुख तॆ सिसकारी !!
लाज लिहाज भुलाइ गई जब,बाँहि गही कसि कै वनवारी !!