सीतामढ़ी। पेड़ों की कटान से डीघ ब्लाक भी अछूता नहीं है। अंधाधुंध पेड़ कटने से डीघ ब्लॉक के गांव में भी जहां स्वच्छ हवा से मिलने वाले सुखद अनुभव की कमी महसूस होने लगी है वहीं हरियाली और छाया की दृष्टि से भी मानव सहित अन्य वन्यजीवों के लिए भी संकट बढ़ता जा रहा है। ऐसा नहीं है कि सरकार पौधे नहीं लगवा रही है समस्या यह है कि लगाए गए पौधे बुलन्दी नहीं हासिल कर पाते। पेड़ कभी पशुचर का शिकार होकर तो अधिकांश पौधे देखरेख के अभाव में सूख जाते हैं। रही सही कसर वृक्ष कटान पूरी कर देता है जिससे इलाके में पेड़ – पौधे का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। मसलन दिक्कत यह है कि अधिकांशतः पौधे ग्राम समाज की भूमियों अथवा तालाब किनारे ही लगाए जाते हैं। जिनमें काफी पौधों को सुरक्षा की दृष्टि से बैरीकेड भी नहीं किया जाता। जिससे पेड़ खुद सूखने के साथ सरकारी खजाने को भी सूखा कर जाते हैं। पर्यावरण सहित जल संरक्षण व सुरक्षा के लिए सरकार जहां कटिबद्ध नजर आ रही है वहीं पतित पावनी गंगा किनारे बसे अधिकांश गाँवों के संचालक विकासखंड कार्यालय डीघ के तेज तर्रार बीडीओ आजम अली भी ब्लॉक से जुड़े समस्त 98 गांव को हरा-भरा करने का संकल्प लिया है। संकल्प के परिपालन के लिए व सोच की बिसात धरातल पर बिछाकर अंजाम दिलाने के लिए उनके साथ ग्राम प्रधान सचिव रोजगार सेवक सहित तकनीकी सहायकों की फौज लिपट गई है।
आप सोच रहे होंगे कि वृक्षारोपण का कार्य तो प्रतिवर्ष मनरेगा आदि योजनाओं से अभियान चलाकर बरसात के समय में कराया ही जाता है तो इसमें नया क्या है ? तो हम आपको बता दें कि अबकी शुरू हो चुका वृक्षारोपण कार्य भी मनरेगा योजना से ही क्रियान्वित होगा। किंतु इसमें जो मुख्य बात है वह यह है कि पौधे सिर्फ रोपित ही न हों , फोटोग्राफी तक सीमित न रहें , बल्कि वह ऊंचाई भी प्राप्त करें इस बात को दृष्टिगत रखते हुए इस अनूठे अभियान को छेड़ा जा है।
दरशल ग्राम समाज की भूमियों में हजारों की संख्या में हर वर्ष पेड़ पौधे सरकार द्वारा लाखों खर्च कर लगवाए जाते हैं किंतु देखरेख के अभाव में 75 फ़ीसदी पौधे सूख जाते हैं। लेकिन इस बार स्वच्छ व स्वस्थ्य गांव बनाने को संकल्पित बीडीओ की पहल पर डीघ ब्लॉक में कुछ अलग ही होने जा रहा है। जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशन में खंड विकास अधिकारी आजम अली की बेहतरीन और उम्दा सोच के नतीजतन ब्लॉक अंतर्गत आने वाले सभी 98 गांव के ऐसे परिवार जिनके पास थोड़ी भी जगह है। उनके घर के अतिसमीप ही दो से पांच पौधे रोपित किये जायेंगे। ऐसी स्थिति में पौधें का देखभाल भी सुनिश्चित हो सकेगा जिससे वृक्ष हरहाल में शिखर प्राप्त कर सकेंगे। इस बेहतरीन पहल से ना सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलेगी अपितु ग्रामीणों सहित पशु-पक्षियों को छाया व फल के साथ लकड़ी भी प्राप्त होगी।
तत्क्रम में बीडीओ आजम अली ने बताया कि वृक्षारोपण के लिए तीन तरह की योजनाएं मनरेगा योजना अंतर्गत क्रियान्वित की जा रही है। प्रथम योजना मुख्यमंत्री सामुदायिकी वानिकी द्वारा ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक स्थानों पर वृक्ष लगाए जाएंगे जिसकी देखभाल ग्राम पंचायतें 3 वर्ष तक करेंगी। साथ ही पर्यावरण सुरक्षा के साथ विशेष लाभांश पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री फलउद्यान योजना संचालित हो रही है। जिसके तहत 10 बिस्वा या अधिक क्षेत्रफल की भूमि देने वाले लाभार्थियों की जमीनों में फलदार व छायादार पेड़ लगाकर तथा उसे बैरीकेडिंग कर उन्हें सौंप दिए जाएंगे। तथा मुख्यमंत्री कृषक वृक्षधन योजना अंतर्गत विशेष पहल कर ग्राम प्रधानों व रोजगार सेवकों के सहयोग से 2 से 5 पौधे प्रत्येक परिवारों के यहां लगाए जाएंगे इस पहल से पर्यावरण संतुलन में मदद मिलेगी। प्रत्येक गांव में 200 से 500 तक पौधें लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कहां कि पौधरोपण हेतु गड्ढा खुदाई के अभियान की शुरुआत गांव में हो चुकी है शीघ्र ही पौधों को लगाकर योजना को मूर्त रूप दे दिया जाएगा। लघु कृषक या जॉबकार्ड धारक व्यक्तिगत जमीन में योजनांतर्गत पेड़ लगवाने हेतु खण्ड विकास कार्यालय में आवेदन दे सकते हैं।