जौनपुर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी पर रविवार को स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आईबीडी (प्रदाहक आन्त्र रोग) जैसे गम्भीर बीमारी के लक्षण व उससे बचाव के तरीके बताए गये। और इस बीमारी सेे सावधान रहने को कहा गया।
चिकित्साधिकारी डा.मसूद ने बताया कि आईबीडी एक गम्भीर बीमारी है। यदि दस्त के साथ में रक्तस्राव हो, पेट में दर्द बना रहे और बुखार आने के साथ वजन में गिरावट हो तो रोगी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह आईबीडी के लक्षण हो सकते हैं। आईबीडी आंतों की गंभीर बीमारी है। इसका समय पर इलाज नहीं कराने से जान को खतरा रहता है। लक्षण दिखने पर यदि रोगी का तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाए तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। और रोगी की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। डाइट पर कंट्रोल हो। रोज व्यायाम करें। इलाज के दौरान भटके नहीं। यदि ये सब मरीज करते हैं तो वे आईबीडी के साथ बेहतर जीवन बिता सकते हैं।
क्या होता है आईबीडी -?
आईबीडी को हमारे पाचन तंत्र को ग्रस्त करने वाली दो मुख्य बीमारियां अल्सरेटिव कोलाइटिस व क्रोहन रोग को कहते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो हमारी बड़ी आंत को लंबे समय तक ग्रसित करती है। जिससे बड़ी आंत में घाव बनते हैं। क्रोहन रोग मुंह से लेकर बड़ी आंत के निचले हिस्से तक शरीर के खाने की नली के किसी भी हिस्से को ग्रसित करती है। इससे न सिर्फ आंत की ऊपरी सतह बल्कि पूरी की पूरी आंत इसकी चपेट में आती है।
आईबीडी क्यों होता है -?
अब तक आईबीडी के कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि शरीर की प्रतिरक्षा की कोशिकाएं अपनी ही आंत के खिलाफ क्रिया करती हैं। जिससे आंत में विभिन्न जगहों पर जख्म हो जाते हैं। इसके पीछे वातावरण में बदलाव, तनाव, खानपान में परिवर्तन और कुछ जेनेटिक कारण हो सकते हैं।
आईबीडी के लक्षण –
आईबीडी किसी भी उम्र में हो सकता है। आमतौर पर यह 20 से 40 वर्ष की आयु के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। पेट में दर्द होना, दस्त लगना, दस्त के साथ में रक्तस्राव होना, वजन का कम होना, भूख कम लगना, बुखार, जोड़ों में दर्द और थकावट आदि