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जिले की सत्ता के लिये साजिशों का दौर जारी, सुनाई पड़ रही बाहुबली की धमक

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विधायक के भतीजे पप्पू त्रिपाठी के टिकट की घोषणा के बाद हुआ निष्कासन बना चर्चा का विषय

भदोही। पिछले काफी दिनों से भदोही की राजनीति में हो रही सियासत अक्सर चर्चा का विषय बनी रही है। पिछले वर्ष भदोही विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी के परिवार के उपर लगे आरोपों के मुकदमें में फंसाने की जो चाल चली गयी थी और उन आरोपों से तो श्री त्रिपाठी बाल—बाल बचे किन्तु उसके बाद आरोपों का सिलसिला ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा की ओर मुड़ गया, लेकिन वे आरोपों की गिरफ्त से बच नहीं सके और जेल की हवा खा रहे हैं। लोगों का यह सोचना था कि ज्ञानपुर विधायक के जेल जाने के बाद भदोही में चल रहा शह मात का खेल अब विराम लेगा, लेकिन पंचायत चुनाव में जो घटनायें घटित हो रही हैं। उससे यहीं लगता है कि बाहुबली का यह खेल अभी खत्म नहीं होने वाला है। आखिर तभी तो परिवारवाद के नाम पर विधायक परिवार के तीनों दावेदारों का टिकट कटना और चंद दिनों बाद ही विधायक के बड़े भतीजे को टिकट देने की घोषणा कर देना और इस घोषणा के चंद घंटे बाद ही टिकट काटकर पार्टी से निष्कासित कर देना लोगों के गले से नहीं उतर रहा है। चर्चा यही है कि कहीं जिला पंचायत की कुर्सी से दूर रखने के लिये ही तो भदोही विधायक के ​खिलाफ साजिश नहीं हो रही है।

बतातें चलें कि जिला गठन के बाद दो कार्यकाल को अपवाद छोड़ दिया जाय तो जिला पंचायत पर सबसे अधिक कब्जा परोक्ष अपरोक्ष रूप से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का रहा है। जब श्री मिश्रा जेल गये तो लोगों में चर्चा रही कि इस बार जिले में भाजपा पहली बार जिला पंचायत की कुर्सी पर कब्जा कर सकती है। इसके दावेदारों में सबसे पहले नाम आया एमएलसी बृजेश सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह का, लेकिन किसी कारणवश उन्हें पीछा हटना पड़ा।

इसके बाद चर्चा यह भी शुरू हुई कि जिला पंचायत की कुर्सी पर दो राजनीतिक परिवार अपना दावा ठोंक सकते हैं। जिनमें पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा के चिकित्सक पुत्र डा. ज्ञान मिश्रा का नाम सामने आ रहा था किन्तु श्री मिश्रा का परिवार जिला पंचायत की दावेदारी से दूर रहा। अब अनुमान यहीं लगाये जा रहे थे कि बाहुबली विधायक से खुली जंग का एलान करने वाले भदोही विधायक का कब्जा जिला पंचायत की कुर्सी पर होगा। इसके लिये सुलभ रास्ता भी था क्योंकि वे सत्ताधारी दल के विधायक हैं। विधायक परिवार के तीन महारथी भी जिला पंचायत के चुनाव में कूद पड़े। जिसमें उनके भाई निवर्तमान ब्लाक प्रमुख अनिरूद्ध त्रिपाठी, सबसे बड़े भतीजे चन्द्रभूषण त्रिपाठी उर्फ पप्पू त्रिपाठी, निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सचिन त्रिपाठी शामिल हैं।

विधायक को शायद उम्मीद रही होगी कि तीन में दो उम्मीदवारों को भाजपा टिकट देगी किन्तु ​सूची आने के बाद लोग चौंकने को विवश हो गये कि विधायक परिवार के तीनों दावेदारों को भाजपा ने बाहर क्यों रखा। जबकि सूची में ऐसे ऐसे नाम शामिल थे जो खुद या उनका परिवार भी पहले भाजपा से नहीं जुड़ा था। सूची में नये चेहरों की मौजूदगी और विधायक परिवार सहित उनके समर्थकों को भी सूची से बाहर रखना जिले के लोगों के गले से आजतक नहीं उतर रहा है। उतरे भी कैसे .. रविवार के बदलते घटनाक्रम ने गले के नीचे उतरने ही नहीं दिया। हुआ यह कि विधायक परिवार के तीनों सदस्यों का टिकट कटने के बाद संगठन के अंदरूनी खेमे में मंथन का दौर जारी रहा। इस मंथन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह सहित काशी क्षेत्र के नेता भी शामिल रहे। रविवार की दोपहर जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने बयान दिया कि विधायक जी का सम्मान करते हुये चन्द्रभूषण तिवारी उर्फ पप्पू को वार्ड 8 से टिकट देने के साथ उनके भाई अनिरूद्ध त्रिपाठी व भतीजे सचिन त्रिपाठी को पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है, लेकिन शाम होते होते जिलाध्यक्ष पलटी मार बैठे और नया फरमान जारी करते हुये कहा कि प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ हुये ताजा मंथन में पप्पू को भी पार्टी से निकाला जा रहा है। हालांकि कुछ ही घंटे में पार्टी द्वारा बदला गया निर्णय किसी के गले नहीं उतर रहा है। लोगों में चर्चा यह है कि पप्पू त्रिपाठी चुनाव जीतने के बाद जिला अध्यक्ष पद के लिये दावेदारी करेंगे। यदि ऐसा होता है तो जिले में विधायक का राजनीतिक कद बहुत बढ़ जायेगा, ​जो लोगों को पच नहीं रहा है। दूसरी तरफ ह्यूमन टुडे से भाजपा जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने एक अनौपचारिक वार्ता में बताया कि इस शर्त पर विधायक के भतीजे पप्पू त्रिपाठी को ​भाजपा ने समर्थन दिया था कि वे अपने भाई और एक भतीजे को चुनाव मैदान से हटा लेंगे। लेकिन दोपहर की हुई प्रेस वार्ता में ऐसा कोई मंतव्य उन्होंने प्रकट नहीं किया था।

दूसरी तरफ गौर करने वाली बात यह भी है कि जब जिलाध्यक्ष ने यह बयान देकर टिकट दिया कि जरूरी नहीं कि भतीजा भी परिवार के साथ हो, क्योंकि परिवार बढ़ने पर अलगाव भी होता है तो बयान क्यों पलट गया। गौर इस पर भी किया जाना चाहिये कि जब परिवार के दो सदस्यों को पार्टी से निकाला गया और पप्पू त्रिपाठी को टिकट दिया गया तो उस समय चुनाव से दो लोगों को वापस हाथ खींचने की कोई शर्त नहीं थी। यदि मान भी लिया जाय कि विधायक ने पप्पू त्रिपाठी का टिकट घोषित होने के बाद यह आश्वासन भी दिया हो कि बाकी दो लोग चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उन्हें पार्टी से निकालने का औचित्य ही क्या था। क्योंकि पार्टी से निष्कासन जिन लोगों का हुआ उनके उपर पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ने का ही आरोप था।

क्या जिला पंचायत पर अब भी है बाहुबली की नजर

रविवार को हुये घटनाक्रम में चर्चाओं की बयार जिले में चल रही है। कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि भले ही ज्ञानपुर विधायक जेल के अंदर है किन्तु जिला पंचायत के चुनाव में वे शांत बैठकर तमाशा नहीं देख रहे हैं। सियासत के खिलाड़ी बाहुबली विधायक का शांत रहना लोगों के गले से उतर भी नहीं रहा है। भदोही की राजनीति से ताल्लुक रखने वाले जानकारों का मानना है कि भाजपा ने जो सूची जारी की है उसे भले ही जिलाध्यक्ष कार्यकर्ताओं की जीत बता रहे हों किन्तु कई चेहरे ऐसे भी हैं जो चुनाव सन्निकट देखकर भाजपा के सदस्य बने ओर उन्हें टिकट मिल गया। ​जो लोग वर्षों से जिले में भाजपा का झंडा बुलंद किये थे उनके टिकट काटकर ऐसे लोगों को भी टिकट दिया गया है जो पूर्व में हुये चुनावों में भाजपा के खिलाफ ही लड़े थे। ऐसा आरोप खुद भाजपा के पुराने कार्यकर्ता ही लगा रहे हैं।
जिला पंचायत से एमएलसी बृजेश सिंह के पुत्र सिद्धार्थ सिंह की भदोही में संभावित इंट्री ने हलचल बढ़ायी थी किन्तु उनके कदम पीछे हटाने और पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा का पंचायत चुनाव से विमुख होने के बाद लोग सोच रहे थे कि इस बार जिला पंचायत की गहमगहमी पहले की तरह नहीं रहेगी, किन्तु रविवार को घटी अप्रत्यासित घटनायें साफ संकेत दे रही हैं कि उपर से शांत दिखायी देने वाला पंचायत का चुनाव अंदर ही अंदर उथल पुथल मचाये हुये है, जिसका परिणाम कुछ भी हो सकता है। लोगों का मानना है कि बाहुबली विधायक विजय मिश्रा भले ही जेल के अंदर हैं किन्तु चुनावी शतरंज में कहीं न कहीं अपने पासे फिट करने में लगे हुये हैं।

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