बुधवार को सोनभद्र के कोन क्षेत्र में घटित हुई घटना में भदोही सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त के पुत्र विपुलेन्द्र प्रताप सिंह की सलिप्तता दिखाकर उनके विपक्षियों द्वारा बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। सोशल मीडिया पर सांसद के विरोधी सच से कोसों दूर अफवाह फैलाने में लगे हुये हैं। वहीं विपक्षी दल के लोग इसे मुद्दा बनाकर सांसद को कटघरे में खड़ा करने में लगे हुये हैं। ‘हमार पूर्वांचल’ ”ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर” की नियत पर हमेशा अपनी बात रखता चला आ रहा है। सोनभद्र काण्ड पर ‘हमार पूर्वांचल’ की तफ्सीस पर जो सच सामने आया है, उसमें कहीं से भी सांसद की तरफ से राजनीतिक दबाव या फिर सत्ता की हनक दिखाकर गांव वालों पर दबंगई करने का नहीं बल्कि उसके विपरीत कुछ और ही मामला सामने आया है।
गौरतलब हो कि सोनभद्र जनपद के कोन थाना क्षेत्र अंतर्गत बरहमोरी में बुधवार को विवाद हो गया। एक ठेकेदार के कार्यालय पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने हल्ल बोल दिया। इसमें कुछ लोग घायल हो गये और मौके से भागकर किसी तरह अपनी जान बचाये। इस दौरान चार बाइक, एक स्कार्पियो, एक सफारी व एक मारुती को आग के हवाले कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप था कि ठेकेदार द्वारा ग्रामीणों के साा दबंगई की जाती है। ग्रामीणों का उत्पीड़न किया जाता है। उन्हें धमकियां दी जाती हैं। जबकि सच्चाई इससे परे है।
आमतौर पर होता यह है कि जब मामला किसी राजनीतिक व्यक्ति से जुड़ा होता है तो लोगों की सोच पहले ही बन जाती है कि इसमें सारी गलती है उसी की होती है। भले ही सामने वाला दबंगई करे किन्तु कोई भरोसा करने वाला नहीं होता हैं। ऐसे किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के खिलाफ जो साजिश रची जाती है तो साजिश रचने वाला व्यक्ति कभी सामने नहीं आता है। बल्कि ऐसे लोगों को सामने कर देता है जो देखने में निरीह और लाचार दिखायी देते हैं। उनकी लाचारीपन के पीछे हाथ सेंकने वाला जो व्यक्ति होता है वह सामने नहीं होता है, इसलिये लोगों की आम धारणा यहीं बन जाती है कि जो बड़ा है, जो राजनीतिक संपर्क रखता है, वहीं गलत होगा। बिल्कुल उसी तरह जैसे सामने से फर्राटे भरता आ रहा बाइक सवार कार में टक्कर मार दे तो बाइक सवार की गलती मानने को कोई तैयार नहीं होगा। इस मामले में भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ है।
बताते हैं कि उक्त क्षेत्र में बालू खनन का एक ठेका है। जिसमें कथित रूप से भदोही सांसद के पुत्र विपुलेन्द्र उर्फ प्रताप सिंह भी शामिल हैं। उक्त बालू खनन को कुछ लोग सोशल मीडिया पर अवैध बता रहे हैं जबकि वह बकायदा टेण्डर भरकर लिया गया है। उक्त बालू के ठेके पर आसपास के ग्रामीणों को काम पर रखा गया था किन्तु वहीं ग्रामीण स्थानीय होने के नाते सही ढंग से काम नहीं करते थे। उक्त क्षेत्र में अभी तक अशिक्षा व्याप्त है। जागरूकता की कमी है। जिसके कारण स्थानीय लोगों का अक्सर नशे में धुत रहना ही होता है। ग्रामीणों के बारे में कहा जाता है कि वे अपना काम ईमानदारी और मेहनत से नहीं करते थे बल्कि दबंगई दिखाकर ठेकेदार से पैसा ऐंठने के ही फिराक में रहते थे। जिससे ठेकेदार का काम प्रभावित होने के साथ परेशानी भी खड़ी हो जाती थी। ग्रामीणों द्वारा लगातार की जा रही इस हरकत से ठेकेदार आजिज आ चुके थे।
लिहाजा ठेकेदार द्वारा गैर जनपदों से मजदूरों को लाकर काम कराया जाने लगा जो स्थानीय लोगों को रास नहीं आया। शराब के नशे में धुत स्थानीय लोग कार्यस्थल पर पहुंचकर बवाल खड़ा कर देते थे और शराब के लिये पैसे की मांग करते थे। घटना के एक दिन पहले भी ऐसा ही हुआ था। गांव की एक व्यक्ति कार्यस्थल पर पहुंचा और बवाल खड़ा करने लगा। वहां काम कर रहे मजदूरों को काम करने से रोकने लगा। काम न रोकने पर मजदूरों के साथ अभद्रता करने लगा जिससे आजिज आकर मजदूरों ने उक्त ग्रामीण की पिटाई कर दी। उक्त ग्रामीण का नाम संजय पासवान बताया जा रहा है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह रास्ते से गुजर रहा था और ठेकेदार के लोगों ने उसे पीट दिया।
इस घटना के बाद वह अपने गांव गया और ठेकेदार के खिलाफ साजिश रचने वालों को मौका मिल गया। रातोंरात आसपास के कई गांवों में यह खबर फैला दी गयी कि ठेकेदार द्वारा एक ग्रामीण की पिटाई की गयी है। ठेकेदार द्वारा बाहरी मजदूरों से काम कराना ग्रामीणों को रास नहीं आ रहा था, जिसका फायदा उनलोंगों ने उठाने की कोशिस की जो ठेकेदार के खिलाफ थे। बुधवार को दर्जनों गांवों से सैकड़ों लोग इकठ्ठा हो गये और ठेकदार के कार्यालय पर धावा बोल दिया। कहा जाता है कि उस समय वहां पर सांसद पुत्र प्रताप सिंह भी मौजूद थे।
ग्रामीणों द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया। वहां पर खड़ी गाड़ियों को जला दिया गया। जिन लोगों को दबंग बताया जा रहा है, यदि वे मौके से भागते नहीं तो उनके साथ अप्रिय घटना भी घटित हो सकती थी। कहा जा रहा है कि ठेकेदार द्वारा फायरिंग की गयी। सोचने वाली बात है कि कोई भी व्यक्ति असलहा इसीलिये लेता है कि समय आने पर वह अपने जानमाल की रक्षा कर सके। उन्होंने भी वहीं किया। हवाई फायरिंग करके ग्रामीणों को अपने से दूर रखा। यदि वे लोग हवाई फायरिंग नहीं करते तो ग्रामीण उनके उपर भी हमला बोल सकते थे। वायरल हुये वीडियों में साफतौर से देखा जा रहा है कि किसी तरह ग्रामीण उत्पाद मचाये हुये हैं। दबंगई का नंगा तांडव ग्रामीण कर रहे हैं। साथ ही यह भी बोल रहे हैं कि गोली चल रही है। शायद ग्रामीण उसी हवाई फायरिंग के डर से दूर रहे अन्यथा बड़ी घटना घटने से इनकार नहीं किया जा सकता था।
किसी भी मामले को कभी एक तरफा नहीं देखा जाना चाहिये, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिये कुछ लोगों ने इस ऐसे प्रस्तुत किया जैसे ठेकेदार ग्रामीणों पर अत्याचार कर रहा हो और भदोही सांसद उसे संरक्षण दे रहे होंं। सोशल मीडिया पर भी जमकर हव्वा खड़ा किया जा रहा है। जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें साफ दिख रहा है कि कौन दबंगई कर रहा है। किसी राजनीतिक और सामाजिक स्टेटस पर किसी को भी दबंग घोषित करने से पहले सच देखना चाहिये अन्यथा न्याय खुद दम तोड़ने लगता है। कल्पना की जा सकती है कि जिस वक्त सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने धावा बोलकर उत्पात मचाना शुरू किया उस वक्त क्या हालात रहे होंगे। जिस सांसद पुत्र को दबंग बताकर सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है। क्या कभी उन्होंने खुद को सांसद पुत्र होने का रौब किसी को दिखाया है। किसी भी घटना को कभी एक पहलू से नहीं देखना चाहिये। विपक्षी दलों का काम ही अफवाह उड़ाकर राजनीतिक लाभ लेना होता है किन्तु समाज में झूठ फैलाकर किसी का सामाजिक हनन करना निहायत ही घटियापन कहा जायेगा।