मुंबई
मुंबई हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता आभा सिंह ने कहा कि संविधान में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा पर विशेष महत्व दिया गया है। यह तभी सफल हो सकता है जब भारत का प्रत्येक नागरिक संविधान में दिये गए ग्यारह कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक नैतिक रूप से पालन करें । संविधान में भारतीयों को जो मौलिक अधिकार दिया गया है वह अधिकार तभी शोभा देगा जब हम सभी अपने-अपने कर्तव्य का पालन भी करें। उन्होंने यह भी कहा कि देश को स्वतंत्र हुए सात दशक हो गए किंतु आज भी भारत में महिलाओं पर अत्याचार, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा और पर्दा प्रथा जैसे लैंगिक असमानता को दूर नहीं किया जा सका जब तक यह असमानता रूपी खाई को नहीं मिटाया जाएगा तब तक संविधान निमार्ताओं और डॉ. भीमराव आंबेडर द्वारा निर्मित संविधान के सपने को पूरा नहीं किया जा सकता है । यही कारण है कि विश्व के मानव सूचकांक की 117 देशों की सूचि में भारत का स्थान 102 क्रमांक पर है जोकि शर्म की बात है । हम भारतवासी को भारत को सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए सत्य, नैतिकता और कानून का साथ देना होगा तभी हम विकसित भारत के सपने देख सकते है । यह विचार आभा
सिंह ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क.जे.सोमैया परिसर, विद्याविहार द्वारा आयोजित “संविधान दिवस” के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि के रूप में व्यक्त की । कार्यक्रम के अवसर पर परिसर के निदेशक प्रो. भारत भूषण मिश्र ने कहा कि महिलाओं के
साथ जो भी अनैतिक पूर्ण व्यवहार हो रहा है । उसमें केवल पुरुष ही नहीं बल्कि भारतीय महिला वर्ग भी कहीं न कहीं से जिम्मेदार है । इस दूरी को नैतिक आचरण और सदाचार के द्वारा दूर किया जा सकता है । इसके लिए हम सभी को हमारे महानपूर्वजों द्वारा बताये गये धर्माचरण का मार्ग अपनाना होगा जोकि धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है । संविधान दिवस के अवसर पर
राजनीतिविज्ञान के सहायक आचार्य एवं संयोजक डॉ. रंजय कुमार सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान की उदेशिका में भारतीय संविधान का दर्शन छीपा है । जोकि संविधान का प्राणवायू है जैसे शरीर से आत्मा के निकल जाने पर बगर शरीर का कोई महत्व नहीं होता है । उसी प्रकार संविधान का उद्देशिका है । कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सिंह ने इस अवसर पर अभासीय रूप से जुड़े सभी को संविधान ही उद्देश्यिका की शपथ ग्रहण दिलाया । इसके साथ-साथ सभी की तरफ से 26/11 आतंकी
हमले में शहीद हुए मुंबई पुलिस और देश के कमांडो के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी अर्पित किया गया । इस कार्यक्रम में सरस्वती वंदना अंग्रेजी भाषा की सहायक आचार्या डॉ. श्वेता सूद, स्वागत भाषण सहायक आचार्या डॉ. गीता दूबे, धन्यवाद भाषण मराठी भाषा की सहायक आचार्या डॉ. मीनाक्षी बरहाटे ने जबकि मंच संचालन डॉ. रंजय कुमार सिंह ने किया । इस आभासीय कार्यक्रम में बहुत से गणमान्य शिक्षाविद् उपस्थित थे जिसमें चंद्रवीर बंशीधर यादव, एकलव्य परिसर के (अगरतला)हिंदी के सहायक आचार्य डॉ. ब्रह्मानंद मिश्र एवं मुंबई के सभी शिक्षक, कर्मचारीऔर छात्र आभासीय रूप से उपस्थित थे ।