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सम्मान समारोह,संगोष्ठी एवं यादगार कवि सम्मेलन

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ठाणे। भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे संलग्न अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महफ़िल-ए-गज़ल साहित्य समागम एवं संगीत साहित्य मंच के तत्वावधान में मराठी ग्रंथ संग्रहालय ठाणे दिनांक 25 नवम्बर 2018 रविवार को महाराष्ट्र राज्य सांस्कृतिक कार्य मंत्रालय के द्वारा नवगठित महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी में चयनित मुंबई व ठाणे महानगर के सम्मानित सदस्यों के अभिनंदन हेतु समारोह का आयोजन किया गया,जिसमें सम्मान समारोह के साथ विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ।

इस समारोह में मुख्य अतिथि श्री शीतला प्रसाद दुबे (कार्याध्यक्ष- महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी) एवं विशिष्ट अतिथि श्री ऋषि कुमार मिश्र (राष्ट्रीय राज्यमंत्री- अखिल भारतीय साहित्य परिषद),श्री लक्ष्मण दुबे (गीतकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार),श्री आर•ए•भागिया(मैनेजिंग ट्रस्टी- विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी), श्री संतोष मोटवानी(हिन्दी विभागाध्यक्ष-आर•के•टी•कालेज),श्री संजय द्विवेदी (मंत्री-अखिल भारतीय साहित्य परिषद),श्री सत्यदेव विजय (कोषाध्यक्ष-अखिल भारतीय साहित्य परिषद) एवं सम्मान मूर्ति नवगठित महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के चयनित सदस्य श्रीमती प्रमिला शर्मा,श्री अमरजीत मिश्रा,श्री संतोष सिंह,श्री अभिमन्यु शितोले,श्री राघवेन्द्र द्विवेदी एवं श्री आनंद सिंह उपस्थित थे।आयोजकों में संस्था अध्यक्ष श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी (भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे),श्री एन•बी•सिंह नादान (सचिव- भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे),एडवोकेट श्री राजीव मिश्रा (उपाध्यक्ष- महफ़िल ए गज़ल साहित्य समागम),श्री अंजनी कुमार द्विवेदी(सचिव- महफ़िल ए गज़ल साहित्य समागम),श्री रामजीत गुप्ता (संस्थापक-संगीत साहित्य मंच) एवं श्री नागेन्द्र नाथ गुप्ता (सह-संयोजक संगीत साहित्य मंच) भी उपस्थित थे।सभी आयोजकों द्वारा आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत- सम्मान शाल,श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ देकर किया गया।इस समारोह के मंच संचालन की जिम्मेदारी श्री संजय द्विवेदी ने बहुत सुन्दर ढंग से निभाया।

समारोह में विशेष सम्मान हिन्दी एवं भोजपुरी के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ गीतकार श्री जवाहर लाल “निर्झर” को उनके प्रखर लेखनी एवं उच्चकोटि के गीतकार हेतु नगद (5100 रूपये का चेक)एवं शाल,श्रीफल,पुष्पगुच्छ समाजसेवी श्री नरेंद्र सिंह गहरवाल जी के द्वारा दिया गया।इसी समारोह में वर्तमान समय में हिन्दी साहित्य जगत में श्रेष्ठतम लेखनी हेतु प्रख्यात साहित्य- सेविका सुश्री आर•जे•आरती साइया को भी सम्मानित किया गया।

दूसरे चरण में सम्मान समारोह के पश्चात विचार संगोष्ठी का दौर साहित्य जगत के लिए सराहनीय रहा।तीसरे चरण में मुंबई,ठाणे एवं नवी मुंबई से आये हुए सुप्रसिद्ध ग़ज़लकारों,गीतकारों द्वारा कवि सम्मेलन का भी आयोजन यादगार रहा।कवि सम्मेलन के अध्यक्ष की भूमिका में राष्ट्रीय कवि श्री राज बुंदेली एवं अतिथि के रूप में श्रीमती अलका पांडे(अध्यक्षा- अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच),श्रीमती प्रमिला शर्मा(सदस्य-हिन्दी साहित्य परिषद अकादमी),श्री नरेन्द्र सिंह गहरवाल(समाजसेवी),श्री नामदार राही (संपादक-हरित क्रांति पत्रिका),श्री एन•बी•सिंह जी रहे और मंच संचालन का कार्यभार श्री रामप्यारे सिंह रघुवंशी जी ने की।समारोह में उपस्थित साहित्यकारों में वरिष्ठ गीतकार श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट,श्री नंदलाल क्षितिज,श्री संतोष पाण्डेय,श्री विनय शर्मा दीप,श्री जवाहर लाल निर्झर,एडवोकेट अनिल शर्मा,श्री श्याम अचल प्रियात्मीय,श्री अनिल कुमार राही, श्रीअल्हड़ असरदार,श्री नागेन्द्र नाथ गुप्ता,श्री उमेश मिश्रा ,सुश्री आरती साइया,श्रीमती आभा दवे, श्रीमती अलका पांडे जी,श्रीमती पूनम खत्री,श्री बेचनराम बारी,श्री आर•बी•सिंह खूंटातोड़,श्री राजीव मिश्रा,श्री अंजनी कुमार द्विवेदी,कुलदीप सिंह दीप,श्री ओमप्रकाश सिंह,श्री धनीराम राजभर,श्री हरदास पाहुजा,श्री टी•आर•खुराना,श्री संजय द्विवेदी, श्री संतोष सिंह,श्री उमेश शर्मा,श्रीमती श्रुति भट्टाचार्य आदि उपस्थित थे।कुछ गीतकार, गज़लकार के गीत,गज़ल इस प्रकार रहे-

श्री जवाहर लाल निर्झर-
चले न बात तेरी मैं की बात कौन करे । एवं
अपनी कथनी को तू करनी में बदल कर देखो।

श्री विनय शर्मा दीप-
घर-बार दुवार उसार बड़ा,पर बाटे बड़ा परिवार हे मितवा ।
धन हीर व कंचन छोट पड़ै,जंह प्रेमन कै रसधार हे मितवा ।
बहिनी शुभ-चिंतक औ भगिनी,मन-मीत व जीवनधार हे मितवा ।
अंचरा जननी अरू राह पिता,संग भाई मिलै पतवार हे मितवा ।।

श्री कल्पेश यादव-
बंजर भूमि बड़ी मिलों तक,उजड़े खेत उदास ।
आकर एक बूँद पड़ जाये,अंबर की है आस ।।

श्री नंदलाल क्षितिज-
तुम्हारे बिना यूं लगे ज़िन्दगानी।
बड़ी सी नदी में न हो जैसे पानी।।

श्री अल्हड़ असरदार-
लो लौट कर सुघर दिन आया है,
फिर दीप अवध ने जलाया है ।
जगमग जग फैजाबाद हुआ,
इक बंधन से आजाद हुआ ।।

एडवोकेट अनिल शर्मा-
जरूरत पड़ने पर अपने ही दगा देते हैं,
गैर करते हैं रहम,अपने ही सजा देते हैं ।
खुद को मारकर देते हैं जिंदगी जिनको,
जिगर के टुकड़े वही,मुझको कज़ा देते हैं ।।

श्री अनिल कुमार राही-
हर दिया पास जलता हुआ देखिये,
है मिटता अंधेरा जरा देखिये।
कह रहा देख तुम भी उजाला बनो,
यार हमसे भी कुछ हौसला लीजिए ।।

श्री बेचनराम बारी-
चाहे हिन्दुस्तान बनों तुम,चाहे पाकिस्तान बनों।
फ्रांस जर्मनी रूस अमेरिका,चाहे अफगानिस्तान बनों।
हिन्दू बनों या सिख ईसाई,चाहे मुसलमान बनों।
क्षत्रिय ब्राह्मण वैश्य शुद्र,चाहे जिसकी संतान बनों।
बनते-बनते बन गये बहुत कुछ, अब मानवता की शान बनों।
कुछ भी बनों मुबारक है पर,सबसे पहले इंसान बनों ।।

श्री राजीव मिश्रा अभिराज-
नारी मर्यादित होकर के,दो कुल का मान बढाती है।
वह स्वतः समर्पण की वेदी,हंसते-हंसते चढ़ जाती है ।।

श्री अंजनी कुमार द्विवेदी-
मन मंदिर में बजती हो तुम,बिस्मिल्लाह की शहनाई सी।
दिल के कागज़ पर लिखी हुई,हो तुम चाहत की रोशनाई सी ।।

समारोह के अंत में भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे के सचिव श्री एन बी सिंह नादान जी ने आये हुए सभी अतिथियों, सम्मान मूर्तियों,कवियों, गीतकारों,ग़ज़लकारों एवं पत्रकारों के साथ श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया।

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