Home मन की बात कोरोना की कहानी… एक मित्र की जुबानी..आर पी सिंह रघुवंशी

कोरोना की कहानी… एक मित्र की जुबानी..आर पी सिंह रघुवंशी

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आज कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।कोरोना कब किसे छू देगा, पता नहीं। आप सभी लोग सावधान तो हैं ही, परंतु यह भी जानना है कि अगर खुदा न खास्ता ऐसी स्थिति आ ही गई तो हमें क्या करना है..? इसलिए आप इतना तो जान ही रखिए की आपके आसपास कहां सेंटर बनाया गया है, नगरसेवक का नंबर क्या है..? हमारे अत्यंत निकट लोगों में मित्र संजय द्विवेदी कोरोना पॉजिटिव हुए और बहुत ही आसानी से भिवंडी में एडमिट होकर ठीक भी हो गए। वहां करीब 56 लोग भर्ती थे जिसमें 90% लोग बिल्कुल ठीक थे।बुखार दो-तीन दिन में समाप्त होने के बाद किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। संजय जी तो 10 दिन बाद ही घर वापस आ गए। पर कुछ अनुभव इसके विपरीत भी हैं।

बात थाने में ही घोड़बंदर रोड के पास मनोरमा नगर की है जहां एक मेरा मित्र एक दिन बारिश में कुछ भीग गया। घर आकर तुरंत तौलिए से पानी को सुखाया। पर दूसरे दिन उसे बुखार आ गया। डॉक्टर ने दवा दिया लेकिन 3 दिन तक वह परेशान रहा बुखार उतर ही नहीं रहा था। अब उसने कोरोना टेस्ट कराया तो पॉजिटिव निकला। यूं तो पॉजिटिव होने के बाद म्युनिसिपल की एंबुलेंस स्वयं आ जाती है। पर यहां बात ऐसी कुछ नहीं हुई। उसने म्युनिसिपाल्टि को फोन किया। कहा गया कि एंबुलेंस हम ४ घंटे में भेजेंगे। रात के 12:00 बजे तक एंबुलेंस नहीं आई। मित्र ने नगरसेवक को फोन किया उन्होंने आश्वासन दिया कि कल एंबुलेंस आएगी। 1 दिन और निकल गया एंबुलेंस नहीं आई। डॉक्टर फोन उठा ही नहीं रहे थे। किसी तरह सिस्टर ने फोन उठाया तो बोली कि एंबुलेंस आएगी थोड़ी देर में आ जाएगी। अब तीसरा दिन था मित्र और उसके घर वाले काफी परेशान हो गए। वे लोग यह भी नहीं बता रहे थे कि कहां जाना है कहां एडमिट होना है। मित्र स्वयं भी कहीं जाने के लिए तैयार था पर कोई निर्देश ही नहीं मिल रहा था सिवा एंबुलेंस के आश्वासन के। अब मित्र ने अपने एक दूसरे मित्र को फोन किया। उसने कहा कि एक वीडियो बनाकर मुझे भेज दो।वीडियो बनाकर भेजने पर उसे थाने न्यूज़ पर दिखाया गया।आज दो-दो एंबुलेंस उसके दरवाजे पर खड़ी थी। हैरानी की बात तो तब हुई कि उसे बालकुम में जहां एडमिट कराया गया वहां 50 बेड का कोरोना सेंटर बनाया गया था और सिर्फ 8 बेड पर ही मरीज थे। बाकी सभी बेड खाली पाए गए। और एडमिट होने के बाद भी दूसरे दिन दवा चालू की गई। वहां भी जो डॉक्टर और अन्य लोगों का रवैया था बहुत अनुकूल नहीं था। डॉक्टर ने इंजेक्शन लिखा 4-4 इंजेक्शन। पर सिस्टर इंजेक्शन लगाने के लिए भी तैयार नहीं। दूसरे दिन काफी झगड़ा करना पड़ा और मित्र ने उन्हें धमकियां दी कि अगर आपने इंजेक्शन नहीं लगाया तो मैं पुनः वीडियो भेज दूंगा और आप लोगों की धज्जियां उड़ा दूंगा। पहले वीडियो की बात भी बताई तब जाकर के सिस्टर ने इंजेक्शन लगाया। वह भी केवल दो ही इंजेक्शन लगाया। क्योंकि उसकी सेहत में 2 इंजेक्शन से ही परिवर्तन हो गया। इसलिए उसने और इंजेक्शन के बारे में कुछ कहना ही छोड़ दिया।

हालांकि वहां सुविधाएं तो थी पर काम करने वाले सही रवैया नहीं अपना रहे हैं। यद्यपि मेरा मित्र ठीक होकर घर आ गया है, लेकिन जब उसने सारी बातें मुझे बताई तो मैं हैरान रह गया।सरकारी व्यवस्था होने के बावजूद भी सही ढंग से कार्य करने वाले अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। ऐसा कहीं-कहीं देखने में आ रहा है। मैं यह जानकारी आप सभी को इसलिए देना चाहता हूं कि हमें ऐसी परिस्थिति में भी अलर्ट रहने की जरूरत है और एक दूसरे से संपर्क रखें जिन्हें इन बातों का अनुभव है।

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