आज के परिवेश में हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है, समय व्यक्ति को इतना तेज चलने पर मजबूर कर दिया है कि वह अपने कामों को स्वतः न कर के एजेंट के माध्यम से करना चाहता है ताकि उसका बार-बार छुट्टी करके खोटी ना हो और एजेंट के माध्यम से सहज तरीके से काम हो जाए। व्यक्ति अपने स्वार्थ के अभिभूत एजेंटों को संजीवनी दे दिए हैं। जिससे भ्रष्टाचार की जड़ वटवृक्ष बन गई है, चलिए कुछ अपने अनुभव तथा कई लोगों से चर्चा करने के बाद मिले विचारों से ‘हमार पूर्वांचल’ में इस लेख के माध्यम से किस तरह से भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए संकल्पना कर रहा हूँ, पसंद आने पर सरकार तक जरूर पहुंचाए।
कर विभाग(टैक्स डिपार्टमेंट)
अक्सर यह देखा जाता है कि टैक्स या कर से संबंधित प्रत्येक कामों को चार्टर्ड एकाउंटेंट, वकील या एजेंसी के माध्यम से काम किया जाता है, जिससे करों में हेरफेर कर एडजस्ट किया जाता है, क्योंकि उपर के माध्यम और संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत और आँखों पर नोटों का चश्मा लगे होने से सरकार को कई हजार करोड़ रुपये के राजस्व का चूना लग जाता है। चाहे वह इनकम टैक्स, जीएसटी, आरबीआई या शुल्क विभाग हो, सब वेतन, भत्तों और सुविधाओं के सागर में डूबे भले हो फिर भी उपरी कमाई चाहते हैं।
यदि सारे व्यापार और व्यापारियों के द्वारा किए जा रहे सारे व्यवहार और व्यवसाय को आधार तथा व्यवसायिक आधार कार्ड से जोड़ दिया तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है, आज डिजिटल युग आने पर सभी के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है, हर व्यवसाय और व्यवहार कंप्यूटर पर ही हो जो उस आधार का एकाउंट बना संबंधित विभाग में जुड़े रहे, साथ ही जिस तरह से आज गाडी पर लगा फाईन गाडी के नंबर से जुड़ा हुआ है उसी प्रकार आधार से जुड़ी व्यवसायिक प्रक्रिया स्क्रीन पर दिखाई दे कि कितना टैक्स भरा व बकाया है? यह बैंकों के खातों से जुड़े हो ताकि न भरने पर या अनुचित व्यवसाय करने पर बैंक और विभाग दोनों सयुंक्त रूप से उचित कार्यवाही कर सकें। खरीदने और बेचने पर मिली आय, नफा और टैक्स सीधे बैंक से कटकर सरकार के राजस्व में जमा हो जाए ताकि कोई रिटर्न भरने के लिए दौड़ भाग या किसी की अतिरिक्त सेवा लेने की जरूरत ही ना पड़े, संबंधित विभाग एक स्वयं ऐसा एप्प बनाएं जो सीधे संबंधित विभाग से जुड़ा हो जिसमें खरीद और बिक्री चलान, बील के सारे इंट्री हो, सही व्यापार का व्यवहार न होने पर लाल पट्टे पर हाइलाइट होते रहे जब तक की वह सही नहीं हो जाता है। इस प्रकार के संयोजन से एजंट और सरकारी कर्मचारी के बीच के भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है और गलत करने पर छापे मारे जा सके।
सेवा विभाग (सर्विस डिपार्टमेंट)
सेवा विभाग जैसे भविष्य निर्वाह निधी कार्यालय, पुलिस सेवा, महानगरपालिका, अस्पताल, मंत्रालय, रेशन दुकान आदि में नियमित भ्रष्टाचार होने की शिकायत मिलती रहती हैं, सेवाओं को प्रदान कराने के लिए स्थानिक रसूखदार नेता और उनके खास लोग काफी ज्यादा ही दखल देते हैं। ये वे लोग होते है जिनकी पैरवी और संरक्षण नेताओं के आशिर्वाद से चलता है, सरकारी अधिकारी के मना करने पर तबादला करा दिया जाता है। सरकार को चाहिए कि हर जरूरत की सेवाएं आनलाइन करें और वह आधार कार्ड से जोड़कर इतना आसान बनाया जाए कि सरकारी अधिकारी को केवल वेरीफिकेशन और अप्रूवल देना रहे, उदाहरण के रूप में आय, जीवन या निवासी प्रमाणपत्र आदि प्रमाणपत्र जारी किए गए संबंधित विभाग के कंप्यूटर से जुड़े हो जिससे वह जारी नंबर भरते ही सामने आ जाए और पड़ताल करने के बाद तुरंत मांगी गई सेवा का आर्डर कंन्फरमेशन मिल सके यह करने में निश्चित अवधि और बिना किसी दलाल के व्यक्ति घर बैठे पा सकें। पुलिस विभाग में किसी शिकायत का प्राथमिक रूप से एन. सी. आर. (असंज्ञेय रिपोर्ट) और एफ. आई. आर. दर्ज करना हो तो आनलाइन अपराध का ब्यौरा डालते ही भारतीय दंड संहिता की धाराएं दिखे, जिससे धाराओं पर शिकायतकर्ता को घर बैठे सब जान सके फिर प्रशासन अपनी तहकीकात कर अपराध का संज्ञान लें।
मंत्रालय में अधिकांशतः नेताओं से संबंधित लोग अपनी पकड़ बना लेते हैं और सरकारी कांट्रेक्टर बन खराब व सस्ते वस्तुओं का इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार शुरू कर देते हैं जिसमें सरकारी कर्मचारी की भी मिलीभगत होती है, अक्सर देखा यह गया है कि नेता अपने लोगों के माध्यम से ही अपनी काली कमाई करते हैं जिसमें सरकारी कर्मचारी भी अपना हाथ मारते है। सरकार को चाहिए कि निविदा विभाग में नेताओं की इंट्री और दखल पूर्ण रूप से बंद हो, कर्मचारियों का आयडेंटिटी गुप्त रखी जाए और रोज बैठने की जगह बदलती रहे जिससे भ्रष्टाचार रोकथाम हो सके।
सबसे अहम जिस प्रकार इस समय टेलिव्हिजन मे बिग बॉस सिरियल आ रहा है उसी प्रकार छापे मारने वाले अधिकारियों, पुलिस और राजस्व से जुड़े सरकारी कर्मचारियों को भी पूरा कैमरे और ऑडियो रिकॉर्डिंग के जरिए लाइव रखें। इसका फायदा यह है कि किसी प्रकार का हमलों पर भी नियंत्रण रहेगा और खरीद फरोख्त की भी संभावना खत्म रहेगी।
इस प्रकार के प्रयत्नों से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसी रहेगी वरन भ्रष्टाचार नियंत्रण होने से सरकारी निविदाओं के दामों पर भी असर पड़ेगा मतलब की ईमानदारी करने के कारण बदनामी, राजस्व में नुकसान, नेताओं की जी हुजूरी सबसे बचा जा सकता है।डिजिटल इंडिया का फायदा सरकार को जरूर लेना चाहिए।