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देश का पहला उत्पादन यूनिट जहां उपभोक्ताओं ने खुद किया उत्पाद का निरीक्षण

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रोजाना की जीवन शैली में लोग कितने उत्पादों का उपभोग करते हैं, किन्तु देश की कोई भी उत्पादन यूनिट कभी भी किसी उपभोक्ता को आमंत्रित नहीं करती कि वे जाकर खुद द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे उत्पाद की गुणवत्ता को परखें और उनकी कमियों तथा विशेषताओं के बारे में जानकारी लें। अक्सर हम सुनते हैं कि किसी संस्था या कंपनी पर इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स या अन्य किसी सरकारी विभाग का निरीक्षण किया जाता है, किन्तु किसी उत्पादन यूनिट पर उसके उपभोक्ताओं का निरीक्षण शायद ही किसी ने सुना हो।

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उत्पाद के बारे में जानकारी देते गृहस्थ के लोग

देश में पहली बार ऐसा भी हुआ कि उपभोक्ताओं ने खुद द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे उत्पादों की परख उत्पादन यूनिट में जाकर किया। वाराणसी से लगे भदोही जनपद में किसानों द्वारा चलाई जा रही उनकी खुद की संस्था ‘गृहस्थ’ में संस्था के उपभोक्ताओं ने पहुँच कर उसका बाकायदा ऑडिट और निरीक्षण भी किया। दरअसल वाराणसी व आसपास के किसानों द्वारा स्थापित व संचालित गृहस्थ के किसान जो कि अपने कृषि उत्पादों को खुद प्रोसेस कर ग्राहकों के घर तक पहुचाते हैं। उन्होंने अपने उपभोक्ताओं को खुद आमंत्रित किया था कि वे आयें और उनके उत्पादन के गुणवत्ता, कार्य शैली व सोशल नॉर्म की जांच करें।

उत्पाद का निरीक्षण करते उपभोक्ता

ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए भी यह पहला अवसर था कि जो वस्तु वे इस्तेमाल करते है उसके उत्पादन के हर पहलू के निरीक्षण का अवसर मिल रहा है। इस मौके पर 3 दर्जन उपभोक्ता वाराणसी से तेज बरसात के बावजूद 12 अगस्त की दोपहर भदोही के गिर्दबड़गाव पहुँचे जहां उन्होंने न सिर्फ गृहस्थ परिसर , प्लांट का निरीक्षण किया बल्कि उन किसानों से भी रूबरू हुए जिनके खेत के उत्पाद वो खाते है, उपभोक्ताओं को ये भी जानने का अवसर मिला की इस नई पहल से उनको लाभ क्या है।

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निरीक्षण के पश्चात पौधरोपड़ करते उपभोक्ता

किसानों के लिए भी ये पहला अवसर था जब वे उन लोगों से मिल रहे थे जो उनके उपभोक्ता थे, यानी उत्पादक और उपभोक्ता पहली बार आमने सामने हुए , बीच में कोई बिचौलिया नहीं। निरीक्षण व किसानों से वार्ता के बाद वाराणसी से गए लोगों ने गृहस्थ ग्राम में वृक्षारोपण भी किया , गाँव में घूम कर गाँव के लोगों के जीवन शैली को देखा, सावन के अवसर पर गांव में पेड़ पर लगे झूले का भी लोगों ने आनन्द लिया और गांव के उपले पर बनी बाटी चोखा और मटके वाली दाल का भी स्वाद लिया।

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झूले का आनन्द लेते उपभोक्ता

अधिकांश उपभोक्ता देर रात वापस लौट गए लेकिन कुछ उपभोक्ता रात्रि विश्राम के बाद गाँव के सुबह का भी अनुभव कर 13 की दोपहर को लौटे।
इस अवसर गृहस्थ के संयोजक जनार्दन सिंह ने मेहमानों का स्वगात किया।

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