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किरीट…….कुर्सी….किचकिच… भंवर

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Kirit-Somaiya साभार : गूगल
Kirit-Somaiya साभार : गूगल

 

लोकसभा के चुनाव का खूंमार पूरे देश में चरम पर है, सत्ता के गलियारों में चुनावी टिकट पाने के लिए नेताओं की दिल्ली की दौड़, कुर्सी की जद्दोजहद और कार्यकर्ताओं का आक्रोश सभी से दो दो हाथ करते नेता एक मदारी के बंदर की भांति दिखाई दे रहे हैं। सब उलझनों को छुपाकर नेतृत्व की क्षमता का दिखावा करना ही पड़ रहा है जैसे बंदर मदारी की गुलामी क्षोभ, गुस्सा और दुख तीनो को छुपाकर दर्शकों को हंसाता रहता है।

यहीं हाल ईशान्य मुंबई लोकसभा क्षेत्र के भाजपा के वर्तमान सांसद और उम्मीदवारी की आस लगाये किरीट सोमैया का हुआ है, किसी कार्यकर्ताओं या नागरिकों के काम कराने के लिए मिलने पर अपमान कर देने के रवैये की वजह से न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं, सहयोगी दल शिवसेना के हाँसिएं पर है बल्कि अंदरूनी नेताओं का भी आक्रोश झेल रहे हैं, उनका हाल उस सांप और छछुंदर की भांति दिख रहा है जो सांप के छछुंदर को निगलने पर कीड़े पड़ सड़ कर मरेगा और उगले तो अंधा हो जाएगा यही कारण है दबे मुँह सभी नेता और कार्यकर्ता उनके टिकट न मिलने की कामना कर रहे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता नाम न उजागर करने के हवाले से बताया कि किरीट सोमैया मैनेजमेंट का काम बढिया करते है, उन्होंने मुंबई के रेल्वे प्लेटफार्मों की उचाई, एस्केलेटर लगाना, पुलों का निर्माण आदि काम रेल मंत्रालय और अधिकारियों को लेकर काम कराया, किरीट सोमैया की संस्था युवक प्रतिष्ठान के नाम से मुंबई में मेडिकल कैंप द्वारा ५०० रूपयों में मोतियाबिंद का आपरेशन, कान की मशीन बांटना, विकलांगों को अंग उपलब्ध कराना, ईशान्य मुंबई में दस हजार शौचालय बनाना, संस्था के माध्यम से स्कूलों में एलईडी बल्ब, कंप्यूटर बांटना, चित्रकला और निबंध स्पर्धा, क्रिकेट कराना, नेताओं का काला चिट्ठे खोलना काम बहुत अच्छा किया परंतु जुबान का गंदा होने और चंद चहेते लोगों को ही आगे बढ़ाने, काम व पद दिलाने, उनके पास काम लेकर गए किसी व्यक्ति का अपमान करते हुए कैबिन से बाहर भगा देना, कार्यकर्ताओं और नेताओं का भीड़ में डांट देना और काम कम रोडशो ज्यादा करने के कारण बहुत नाराजगी झेल रहे हैं।

शिवसेना के एक नेता ने बताया कि युती जरूर हुई है परन्तु किरीट सोमैया ने जिस तरह शिवसेना के बालासाहब ठाकरे और उद्धव ठाकरे का अपमान किया था उसको हम भूल नहीं सकते, उद्धव ठाकरे का आदेश हो तो भी किरीट सोमैया के लिए काम नहीं करेंगे। ज्ञात हो मंगलवार भाजपा की दसवीं सूची भी आने पर किरीट सोमैया का नाम इसी बात की गवाही है कि सभी के गुस्से और विरोध ही टिकट न देने की बात शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची है।
ईशान्य मुंबई में लोकसभा के दलों के प्रत्याशियों में राष्ट्रवादी काँग्रेस के संजय पाटील का नाम तय हो गया है, वंचित बहुजन आघाडी ने पत्ते नही खोले हैं। भाजपा में अभी तक कई नामों की चर्चा चल रही थी अब भाजपा के कद्दावर नेता व महानगर पालिका में गुट नेता मनोज कोटक, प्रकाश मेहता, हाल ही में भाजपा में वापसी किये प्रवीण छेडा और किरीट सोमैया पर ही टिकी हुई है।

एक नेता ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया कि हम भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ता है हमें केवल कमल दिखाई देता है उपर का आदेश पालना ही पड़ता है फिर भी जिस तरह से किरीट सोमैया ने महानगर पालिका चुनाव में कईयों को आश्वासन देने के बाद टिकट नहीं दिया था और कईयों को रात एक बजे अंतिम दिन एबी फार्म दिया था उसी प्रकार आज किरीट सोमैया के साथ हो रहा है यह आश्चर्य की बात नहीं है, जिस गड्ढे को उन्होंने खोदा था आज उसी में गिरे हुए हैं और उनकी उम्मीदवारी की तलवार उन पर लटकी हुई है यही वजह है जो सभी नाराज है। किरीट सोमैया को टिकट मिला तो बहुत से लोग काम नहीं करेंगे और शिवसेना और मराठी निर्णायक वोटर सीधे संजय पाटील को वोट कर सकते है वहीं यदि मनोज कोटक को प्रत्याशी बनाया गया तो जीत भी जाएंगे और लोगों के बीच उनकी पकड़ मजबूत है, उन्होंने गुट नेता के रूप में अच्छी छवि बनाई है और कार्यकर्ता भी दबे मुँह मनोज कोटक को टिकट मिले यहीं चाह रहे हैं।

किरीट सोमैया राजनीति में एक अच्छे मैनेजर हो सकते हैं पर अच्छे नेता नहीं बन पाए, उनके करीबी लोग अपने अनुभव से बताते हैं कि जब भी वे जीत जाते हैं तो सत्ता का नशा उन पर हावी रहता है, हारने के बाद फिर गुब्बारे की भांति सिकुड़ जाते है, हिंदी में यमक अलंकार में कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय या खाएं बौराय जाय वा पाये बौराय की बातें सार्थक उतरती है।

अब ईशान्य मुंबई के चुनावी समीकरण पर चलते है ईशान्य मुंबई में कुल छ विधानसभा है जिसमें भाजपा तीन, शिवसेना दो और समाजवादी का एक विधायक है। मुलुंड में भाजपा के सरदार तारा सिंह विधायक है जहाँ गुजराती, मराठी, सिंधी और उत्तर भारतीय निर्णायक वोटर है, भांडुप में शिवसेना के अशोक पाटील है जहाँ दलित और कोकण के मराठी, मुस्लिम और उत्तर भारतीय लोग है पिछले चुनाव में मनोज कोटक मामूली अंतर से हार गए थे, विक्रोली में राज्यसभा में सांसद और शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राऊत के भाई सुनिल राऊत विधायक है जहाँ दलित और मराठी मतदाताओं की बहुलता है, घाटकोपर पश्चिम में राम कदम भाजपा से विधायक है और गुजराती के साथ साथ मराठी मतदाता में अच्छी पकड रखे हैं।

घाटकोपर पूर्व से महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और भाजपा विधायक प्रकाश मेहता है जहाँ गुजराती, दलित मतदाताओं के बल पर जीतते रहे है और अंत में गोवंडी शिवाजी नगर विधानसभा में समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र तथा मुंबई अध्यक्ष व विधायक अबू आसिम आजमी है जहाँ मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। पिछले चुनाव में मोदी लहर के कारण किरीट सोमैया लगभग तीन लाख मतों से संजय पाटील को हराया था, आज की परिस्थिती अलग हो चली है। वहीं पिछले वर्ष भीमा कोरेगाव घटना से चर्चा में आई प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी ने एमआयएम से हाथ मिलाया है पूरे ईशान्य मुंबई में दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक होने से यदि वह जीत जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।

और अंत में जीत किसी की हो जो नेता जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने वाला होगा वहीं आगे नेतृत्व कर पाएगा।
(पाठकों यहां किसी दल या व्यक्ती विशेष पर लिखा नहीं गया है यह लोगों से मिलकर उनके विचारों को सुनकर ही न्यूज लिखा गया है, परोक्ष या अपरोक्ष किसी प्रकार का ठेस या अपमान हो उसके लिए क्षमा)

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