Home मुंबई वर्तमान में प्रसिद्ध गीतकार का नाम है रूस्तम घायल-जौनपुरी

वर्तमान में प्रसिद्ध गीतकार का नाम है रूस्तम घायल-जौनपुरी

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अपनी काविलियत के दम पर मुकाम हाँसिल करने का नाम है रुस्तम घायल। रुस्तम घायल एक ऐसा नाम है जो लगन और परिश्रम का नाम है|फिल्मी गीतों के अग्रज गीतकार का नाम है रुस्तम घायल, स्कूली दिनो के टापर का नाम है रुस्तम घायल, मृदुभाषी सरल स्वभाव समभाव अहं से दूर का नाम है रुस्तम घायल। भोजपुरी भाषा के सुपरहिट गीतकार का नाम है रुस्तम घायल। इनके लिखे गीतों को जाने माने गायक उदितनरायण से लेकर भरत शर्मा व्यास मनोज तिवारी विनय बिहारी कल्पना अवस्थी विनोद राठौड़ जैसे दिग्गजों ने अपने स्वरों से सजाया है। रुस्तम घायल अपनी धुन के पक्के आदमी हैं। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि जब मैं गीत लिखना शुरू किया तो हमारे ही गाँव के मशहूर निर्माता निर्देशक प्रकाश झा पर बड़ा भरोसा और गर्व करता था कि हमारे अपने हैं। हमें जरूर मौका देगें। मगर जब मैं भरोसे और जोश के साथ मुम्बई में आकर उनसे मिला तो हमारे सारे सपनों पर तुषारापात हो गया। सारा जोश ठंढा हो गया। बहुत निराश हुए उनके व्यवहार से। लेकिन अपनी धुन के पक्के उनकी बातों पर से ध्यान हटाकर अपने परिश्रम से सिलाई का काम करते हुए अपनी कलम को रफ्तार देते रहे|और उस मुकाम को हाँसिल किया|आज वो नवोदित गीतकारों के लिए मिशाल हैं। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बेतिया बिहार गुलाब मेमोरियल कालेज में हुई। ये सदैव स्कूल में स्कालर रहे|इनके माता पिता गृहस्त हैं। पिता इस्लाम अंसारी साहब खेती बारी का काम व माता बीबी रौफन निशा घर का काम देखती हैं|इनका भरा पुरा कुनबा है। सात भाई बहनों में रुस्तम जी सबसे बड़े हैं। इनका छोटा भाई फैशन डिजाइनर है। रुस्तम जी दो बेटे व दो बेटियों के पिता हैं। घर की जिम्मेदारियों को कुशलता से सम्हालते हुए आज रुस्तम घायल जी चमकता सितारा बनकर अपने कुल देश माता मिता का नाम रोशन कर रहे हैं। आज इनके पास समय नहीं है, कई भोजपुरी फिल्म रिलीज को तैयार है जिसमें प्रमुख है। प्यार के रंग हजार, कसम धरती मइया की, बा केहू माई के लाल, ई कइसन प्रथा, सुहागिन, सेनुरा के लाज, गजब भइल रामा, केहू हमसे जीत न पाई, कजरी आदि है। कई हिन्दी फिल्मों में भी इनके लिखे गीत गाये जा रहे हैं। इनमें से कई फिल्में रिलीज हो चुकी हैं और दर्जनों रिलीज की लाइन में हैं।

इनके कई एलबम भी बजार में उपलब्ध हैं। लगभग सभी कैसेट कम्पनियों के लिए गीत लिखे हैं। जिसमें टी सिरीज, वीनस,माइल स्टोन,असना वेव इत्यादि हैं। इनके पहले एलबम में बिहार के मशहूर गायक विनय बिहारी जी ने स्वर दिये थे। तब से लेकर अब तक अनेकों हिंदी भोजपुरी फिल्मों में इनके लिखे गीत गाये जा रहे हैं। रुस्तम घायल जी फिल्मी गीतों के अलावां लोकगीत कविता भी लिख रहे हैं|अपने फुरसत के पलों में ये काव्यगोष्ठियों में जाकर नव रचनाकारों की प्रेरणा भी बनते हैं। और उनको आगे बढ़ने के हुनर भी बताते हैं। कहते हैं कि आप सब अपनी मेहनत अपनी लगन से आगे बढें। मंजिल खुद कदम चूमेगी। निराशा को दूर रखो और मुझे देखो बिना किसी सहारे के अपनी काविलियत के दम पर आज स्थापित गीतकार हूँ। क्या हुआ जो मुझे प्रकाश झा जैसे निर्माताओं का साथ नहीं मिला। आज हो सकता है उन नामी गिरामी निर्माताओं के द्वारा नकारे जाने के कारण ही मैं इस मुकाम को हाँसिल किया।

इसी तरह गोष्ठियों मेंउपस्थित होकर रचनाकारों को उत्साहि करते हैं और गोष्ठियों का भी मान बढ़ाते हैं|इन्हें कई संस्थाओं से सम्मान भी मिले हैं। जिसमें देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था काव्यसृजन का प्रथम फिल्म साहित्य रत्न प्रमुख है। रुस्तम घायल जी कभी हार नहीं माने,एक बार आगे बढ़े तो फिर नित नई ऊँचाइयों को छूते रहे|इतनी उपलब्धि प्राप्त करने के बावजूद भी जमीन से जुडें रहे आज भी अपने गाँव जाते हैं तो खेती बारी में हाँथ बँटाते हैं।हिम्मत न हारने वाले मशहूर गीतकार रुस्तम घायल जी आज नवरचनाकारों के प्रतीक बन चुके हैं। इनसे जब कोई इनके संघर्ष के बारे में पूछता है तो मुस्कुराकर शिवप्रकाश जौनपुरी द्वारा लिखे गीत की दो लाइने बोलते हैं।

ए जीवन है तो जीना है,सदा संघर्ष में यारों|
करो चिन्ता नहीं कोई,करो संघर्ष खुब यारों||
कहते ये जीवन ही संघर्ष है। जीने के लिये संघर्ष जरूरी है। बिना संघर्ष के जीवन में आनंद कहाँ?इसलिए मैं ही नहीं सबको संघर्ष करते रहना चाहिए। संघर्ष से घबराकर पीछे नहीं हटना चाहिए। हमारी सबसे अपील है यदि कुछ बनना है कुछ करना है तो संघर्षरत रहना है। आज मैं यहाँ तक मैं पहुँचा हूँ तो वो मेरा संघर्ष है मेरी मेहनत है मेरी लगन है।

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