रिपोर्टः द्रुपति रामनिवास झा
मुंबई – कोरोना काल की वजह से मुंबई के डब्बेवालों की हालत बहुत दयनीय हो चुकी हैं ऐसे में उन्को खुद के परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है, आलम यह है कि अब अपने परिवार को चलाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाने पड़ रहे है , कुछ डब्बावाले शिक्षित न होने की वजह से तो छोटे मोटे काम का शरण ले घर बैठे हैं , इस परेशानी से निकलने के लिए कुछ डब्बोवालों ने तो सरकार से मदद के लिए गुहार भी लगाई थी लेकिन सरकार द्वारा कोई चहल पहल नहीं देखी गई, डब्बावालों की काफी दिनों से यह मांग रही है कि उन्हें मुंबई की लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति दी जाए, लेकिन सरकार से कोई मदद न मिलने की वजह से वो काफी हदास ओर उदास हो गए हैं, लेकिन अछी खबर ये हैं कि डब्बवालों की बढ़ती समस्या को देखते हुए भारतीय विकास संस्थान के डॉक्टर योगेश दुबे और श्री आशीष राय (लॉ के छात्र, मुंबई विश्वविद्यालय ) और डॉ योगेश दूबे (अध्यक्ष अवार्डी और अध्यक्ष भारतीय विकास संस्था) ने याचिका दायर की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने गुरुवार यानी 17 सितंबर को राज्य के मुख्य सचिव को आयोग के सामने हाज़िर रहने के लिए कहा है , मुंबई डब्बावाला संगठन के अध्यक्ष सुभाष तलेकर ने बताया कि डब्बावालो को 130 साल के इतिहास में एसी पहली बार हुआ है जब 6 महिनो तक ये कारोबार बंद रहा , वैसे तो अब कुछ फिसदी काम कुछ शर्तो के साथ तो खुल चुके है लेकिन लोकल ट्रेन में आम आदमी को लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति ना होने से डब्बावाले असहाय हो चुके हैं ,महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने अब समन और सख्त निर्देश जारी किया है सरकार के मुख्य सचिव। आपको बता दे कि आशीष राय और डॉ योगेश दूबे ने याचिका दायर की थी जिस वजह से उनके अथक प्रयासों के लिए इस मुद्दे को उठाने पर सभी डब्बावाले को न्याय मिलता देखा जा रहा है।