हवालात में बंद बाप से मिलने को गिड़गिड़ाती रही बेटी, मिली तो बाप के शव से

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उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद के अंतर्गत गोपीगंज थाने में हुई एक गरीब आटो चालक की मौत ने पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस घटना से पुलिस के उपर जहां सवालिया निशान उठे हैं, वहीं पुलिस की संवेदनहीनता भी सामने आयी है। यदि मृतक की बेटी के बयान को सही मानें तो पुलिस की लापरवाही के कारण ही एक गरीब अपनी जान से हाथ धो बैठा और तीन बेटियों का एकमात्र सहारा छिन गया।

बता दें कि गोपीगंज नगर के ज्ञानपुर रोड स्थित फूलबाग निवासी रामजी मिश्रा लगभग 48 वर्ष पुत्र मोहन मिश्रा का शुक्रवार को सुबह अपने भाई से जमीन संबंधी विवाद को लेकर कुछ कहासुनी हुई थी। इस मामले में दोनों पक्ष पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने गये। जहां दोपहर के लगभग एक बजे के करीब रामजी मिश्रा की रहस्यमयी मौत हो गई। मौत हो जाने पर पुलिस आनन-फानन में गोपीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

इस घटना के बाद मृतक की बेटी दीपाली मिश्रा ने मीडिया को बताया कि थाने जाने पर पुलिस उसके चाचा को मारने लगी। इसके बाद मृतक रामजी मिश्रा ने पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हुये कहा कि उसके भाई को मत मारिये। इस पर गुस्साई गोपीगंज पुलिस ने रामजी मिश्रा को भी थप्पड़ मारे और दोनों को हवालात में बंद कर दिया। दीपाली का कहना है कि वह पुलिस से बोलती रही कि उसके पिता की तबियत खराब है। उससे मिलने दिया जाय लेकिन पुलिस वाले एक भी नहीं सुने। दोनों लोग को अंदर बंद करके पुलिस वाले बा​हर बैठे रहे और अंदर किसी ने नहीं देखा कि उनकी तबियत कैसी है।

दीपाली ने अपने पिता की मौत के लिये पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। देखा जाय तो पुलिस ऐसे मामलों में लापरवाही बरतती है। मारपीट के बाद पुलिस दोनों पक्षों के उपर कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर लेती है जो कभी कभी भारी विवाद का कारण बन जाता है। हवालात में रामजी की हुई मौत पुलिस की संवेदनहीनता दर्शाती है। यदि उसकी बेटी बार बार कह रही थी कि उसके पिता की तबियत खराब है तो उसकी क्यों नहीं सुनी गयी। हो सकता है कि इस मामले में किसी पुलिस वाले के उपर कार्रवाई करके मामले का पटाक्षेप कर दिया जाये किन्तु सवाल यह उठता है कि अब तीन मासूम बेटियों का सहारा कौन बनेगा।

6 COMMENTS

  1. बहुत बढिया यही सच हैथाने मे एस एच अो का तलवा चाटने वाले ने क्या तारीफ लिखे है उनके लिए जितनी दिजाय कम है

  2. यह मामला मानवाधिकार के अन्तर्गत आता है । आयोग कृपया शख्त रूख़ अख्तिआर कर पीड़ित को न्याय दिलवाये।

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